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बिहारी के दोहे (B.Com)

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निम्नलिखित दोहे बी.कॉम. प्रोग्राम के प्रथम वर्ष में लगे हुए हैं।

बतरस-लालच लाल की, मुरली धरी लुकाइ।
सौंह करें, भौंहनु हँसे, दैन कहैं नटि जाइ॥

या अनुरागी चित्त की, गति समुझे नहिं कोइ।
ज्यों-ज्यों बूड़े स्याम रँग, त्यों-त्यौं उज्जलु होइ॥

सटपटाति-सी ससिमुखी मुख घुघ-पटु ढांकि।
पावक-झर सी झमकि कै गई झरोखा झाँकि

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