वारिस(कहानी) : मोहन राकेश PDF
लेखक: मोहन राकेश
घड़ी में तीन बजते ही सीढ़ियों पर लाठी की खट्-खट् होने लगती और मास्टरजी अपने गेरुआ बाने में ऊपर आते दिखायी देते. खट्-खट् आवाज़ सुनते ही हम भागकर बैठक में पहुंच जाते और अपनी कापियां और किताबें ठीक करते हुए ड्योढ़ी की!-->!-->!-->…