वापसी (कहानी) : उषा प्रियंवदा PDF
लेखिका : उषा प्रियंवदा
गजाधर बाबू ने कमरे में जमा सामान पर एक नज़र दौड़ाई-दो बक्स, डोलची, बालटी–“यह डिब्बा कैसा है, गनेशी?” उन्होंने पूछा। गनेशी बिस्तर बाँधता हुआ, कुछ गर्व, कुछ दुःख, कुछ लज्जा से बोला-“घरवाली ने साथ को कुछ बेसन के!-->!-->!-->…