सप्रसंग व्याख्या, घनानन्द
संकेत- रावरे रूप की रीति अनूप .......................... बावरी रीझ की हाथनि हारियौ।
संदर्भ- प्रस्तुत पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिमुक्त कवि घनानंद द्वारा रचित सुजानहित से संकलित किया गया है।
प्रसंग- इस पद में कवि घनानंद ने!-->!-->!-->!-->!-->…