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सूरदास के पद हिन्दी-‘ग’

पद मैया! मैं नहिं माखन खायौ। ख्याल परै ये सखा सबै मिलि मेरे मुख लपटायी॥ देखि तुही सींके पर भाजन, ऊँच धरि लटकायी। हौं जु कहत नान्हे कर अपने मैं कैसें करि पायौ॥ मुख दधि पछि, बुद्धि इक कीन्ही, दोना पीठि दुरायौ। डारि साँटि, मुसुकाइ जसोदा,

सूरदास के पद सप्रसंग व्याख्या

पद मैया! मैं नहिं माखन खायौ। ख्याल पर ये सखा सबै मिलि मेरै मुख लपटायौ॥ देखि तुही सींके पर भाजन, ऊँच धरि लटकायौ। हौं जु कहत नान्हे कर अपने मैं कैसें करि पायौ॥ मुख दधि पोंछि, बुद्धि इक कीन्ही, दोना पीठि दुरायौ। डारि साँटि, मुसुकाइ जसोदा,

Solved Question Answers, सूरदास

प्रश्न-2  सूरदास की काव्य कौशल का परिपाक भ्रमरगीत में किस प्रकार हुआ है? विश्लेषण कीजिए। अथवा सूरदास के काव्य कला पर विचार कीजिए। उत्तर- सूरदास सगुण भक्ति धारा के कृष्ण भक्ति शाखा के कवि हैं। वे पहले भक्त है और बाद में कवि

मॉडल प्रश्न उत्तर, हिन्दी कविता सेमेस्टर-2, इकाई-2

निम्नलिखित मॉडल प्रश्नोत्तर बी.ए.(ऑनर्स) हिन्दी के सेमेस्टर-2 के पेपर हिन्दी कविता: सगुण भक्तिकाव्य एवं रीतिकालीन काव्य के हैं। इकाई-2: सूरदास- भ्रमरगीतसार प्रश्न-2. सूरदास के भ्रमरगीत की काव्य संरचना। शिल्प/स्थापत्य/रचना विधान/काव्य

मॉडल प्रश्न उत्तर, हिन्दी कविता सेमेस्टर-2, इकाई-2

निम्नलिखित मॉडल प्रश्नोत्तर बी.ए.(ऑनर्स) हिन्दी के सेमेस्टर-2 के पेपर हिन्दी कविता: सगुण भक्तिकाव्य एवं रीतिकालीन काव्य के हैं। इकाई-2: सूरदास- भ्रमरगीतसार प्रश्न-1. भ्रमरगीतसार का उद्देश्य। दार्शनिक एवं साहित्यिक पक्ष की व्याख्या