हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
Browsing Tag

sunderkand vyakhya in hindi

सप्रसंग व्याख्या, सुंदरकांड: तुलसीदास

2.  तब देखी मुद्रिका मनोहर। राम नाम अंकित अति सुन्दर।चकित चितव मुदरी पहिचानी। हरष विषाद हृदयै अकुलानी।।जीति को सकङ् अजय रघुराई। माया तें असि रचि नहिं जाई।।सीता मन बिचार कर नाना। मधुर बचन बोलेउ हनुमाना।।रामचन्द्र गुन बरने लागा। सनतहिं सीता

सप्रसंग व्याख्या, सुंदरकांड: तुलसीदास

1.  प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।हृदय राखि कोसलपुर राजा।।गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।गोपद सिंधु अनल सितलाई।।गरुड़ सुमेरू रेनु समताही। राम कृपा करि चितवा बाही।।अति लघु रूप धरेउ हनुमाना। पैठा नगर सुमिरि भगवाना।।मंदिर मंदिर प्रति करि सोधा।देख जहँ