सप्रसंग व्याख्या, बिहारी
1. मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।जा तन की झाँई परै स्यामु हरित-दुति होई।।
संकेत- मेरी भव बाधा ..................... हरित-दुति होई।।
संदर्भ- प्रस्तुत पद हिन्दी साहित्य के रीतिकाल के रीतिसिद्ध कवि बिहारी लाल द्वारा रचित!-->!-->!-->!-->!-->…