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ritikal ki paristhitiyan

रीतिकाल की प्रवृत्तियाँ (Ritikal ki pravrittiyan)

रीतिकाल हिंदी साहित्य ((Ritikal ki pravrittiyan)) में सन् 1643 ईस्वी से 1843 ईस्वी तक का वह कालखंड है, जो मुख्य रूप से दरबारी संस्कृति और श्रृंगारिक चेतना से प्रभावित रहा। इस काल की कविता की प्रवृत्तियाँ तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और

रीतिकालीन काव्य की पृष्ठभूमि, परिवेश और परिस्थितियाँ (ritikal ki paristhitiyan)

रीतिकाल हिंदी साहित्य (ritikal ki paristhitiyan) के इतिहास में सन् 1643 ईस्वी से 1843 ईस्वी तक का कालखंड है। इस काल की कविता संवेदना और स्वरूप दोनों दृष्टियों से पूर्ववर्ती भक्ति काल से पूर्णतः भिन्न है। रीतिकाल की कविता, जिसे मुख्य रूप से