सप्रसंग व्याख्या, रामचन्द्रिका: केशवदास
किछौं यह राजपुत्री वरही बरी है, ........ हर हरि श्री हौ सिवा ........ चाहत फिरत हौ।
संदर्भ- प्रस्तुत पद भक्तिकाल के कवि केशवदास द्वारा रचित एक प्रसिद्ध महाकाव्य ‘रामचंद्रिका’ से लिया गया है। यह पद ‘रामचंद्रिका’ के एक भाग वनगमन भाग का!-->!-->!-->…