हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
Browsing Tag

pushp ki abhilasha kavita ki vyakhya

कविता: पुष्प की अभिलाषा- माखनलाल चतुर्वेदी

लेखक: माखनलाल चतुर्वेदी चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंधा प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली,