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notes of ramchandrika

सप्रसंग व्याख्या, रामचन्द्रिका: केशवदास

किछौं यह राजपुत्री वरही बरी है, ........ हर हरि श्री हौ सिवा ........ चाहत फिरत हौ। संदर्भ- प्रस्तुत पद भक्तिकाल के कवि केशवदास द्वारा रचित एक प्रसिद्ध महाकाव्य ‘रामचंद्रिका’ से लिया गया है। यह पद ‘रामचंद्रिका’ के एक भाग वनगमन भाग का

Solved Question Answers, रामचंद्रिका: केशवदास

प्रश्न-2: केशवदास द्वारा रचित ‘रामचंद्रिका’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। उत्तर- ‘रामचंद्रिका’ केशवदास द्वारा लिखित परंपरा का महाकाव्य है। जिसका रचनाकाल 1601 ई. है। इसमें रामकथा का वर्णन किया गया है एवं रामकथा के प्रमुख प्रसंगों को चुनकर

Solved Question Answers, केशवदास: रामचंद्रिका

प्रश्न-1: ‘केशव कठिन काव्य के प्रीत है’- टिप्पणी कीजिए। उत्तर- केशवदास जी को हिन्दी साहित्य का प्रमुख आचार्य और रसिक कवि माना जाता है। ये एक निर्भीक एवं स्पष्टवादी कवि थे। और यह इनकी सबसे बड़ी विशेषता थी। ये एक रीतिकाल के प्रवर्तक कवि