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nirgun bhakti ke kavi

निर्गुण भक्ति धारा: संत, सूफी काव्य।

निर्गुण : ज्ञानाश्रयी संत काव्यधारा 14वीं सदी के मध्य से 17वीं सदी के मध्य तक भक्ति का अनवरत प्रवाह भारत की कोटि-कोटि दलित शोषित जनता के लिए शक्ति और स्फूर्ति का पर्याय रहा, इसलिए ग्रियर्सन से लेकर रामविलास शर्मा तक