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meera ke kavya ki visheshta

मीरा के काव्य में स्त्री चेतना (mira ke kavya mein stri chetna)

मीरा भक्ति साहित्य की प्रमुख कवयित्री होने के साथ-साथ भारतीय स्त्री-चेतना की अग्रिम आवाज़ भी हैं। उनके काव्य में स्त्री-अनुभूति, स्वाभिमान, स्वतंत्रता और आत्मसत्ता का प्रखर स्वर दिखाई देता है। मीरा का जीवन और काव्य—दोनों—स्त्री के स्वतंत्र

मीरा की प्रेम भावना (mira ki prem bhavna)

मीरा के काव्य का मूल तत्व प्रेम है—ऐसा प्रेम जो सांसारिक नहीं, बल्कि पूर्णत: आध्यात्मिक और आत्मिक है। मीरा का प्रेम ईश्वर-कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति, समर्पण और माधुर्य-भाव से पूर्ण है। उनका काव्य इसी निष्काम, निरावरण और गहन प्रेम की