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leek par ve chale

कविता-लीक पर वें चलें : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

लीक पर वे चलें जिनकेचरण दुर्बल और हारे हैं,हमें तो जो हमारी यात्रा से बनेऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं।साक्षी हों राह रोके खड़ेपीले बाँस के झुरमुट,कि उनमें गा रही है जो हवाउसी से लिपटे हुए सपने हमारे हैं।शेष जो भी हैं-वक्ष खोले डोलती