केवट प्रसंग: रामचरितमानस – तुलसीदास सप्रसंग व्याख्या
दोहा : रथ हाँकेउ हय राम तन हेरि हेरि हिहिनाहिं। देखि निषाद बिषादबस धुनहिं सीस पछिताहिं ॥99॥
जासु वियोग बिल पसु ऐसें। प्रजा मातु पितु जिइहहिं कैसे॥ बरबस राम सुमंत्र पठाए। सुरसरि तीर आपु तब आए ॥1॥ मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु!-->!-->!-->…