हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
Browsing Tag

kavi nagarjun

कविता: अकाल और उसके बाद- नागार्जुन

लेखक: नागार्जुन कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदासकई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पासकई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्तकई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बादधुआँ उठा आँगन से ऊपर कई