हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
Browsing Tag

jayshankar prasad

कविता: अरुण यह मधुमय देश हमारा- जयशंकर प्रसाद PDF

अरुण यह मधुमय देश हमारा। जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा॥ सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर। छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुमकुम सारा॥ लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे। उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़

कविता : नर हो, न निराश करो-मैथिलीशरण गुप्त

कुछ काम करो, कुछ काम करोजग में रह कर कुछ नाम करोयह जन्म हुआ किस अर्थ अहोसमझो जिसमें यह व्यर्थ न होकुछ तो उपयुक्त करो तन कोनर हो, न निराश करो मन कोसंभलो कि सुयोग न जाय चलाकब व्यर्थ हुआ सदुपाय भलासमझो जग को न निरा सपनापथ आप प्रशस्त करो