हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
Browsing Tag

ghananand

घनानन्द के पद, हिन्दी-‘ग’

पद अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं। तहाँ साँचे चलें तजि आपनपी झिझकैं कपटी जे निसाँक नहीं॥ घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक ते दूसरो आँक नहीं। तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ लला, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं।। रावरे रूप की

सुजानहित : घनानंद

पद अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं। तहाँ साँचे चलें तजि आपनपौ झिझकैं कपटी जे निसाँक नहीं॥ घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक ते दूसरो आँक नहीं। तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ लला, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं॥ रावरे रूप की

सप्रसंग व्याख्या, घनानन्द

संकेत- रावरे रूप की रीति अनूप .......................... बावरी रीझ की हाथनि हारियौ। संदर्भ- प्रस्तुत पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिमुक्त कवि घनानंद द्वारा रचित सुजानहित से संकलित किया गया है। प्रसंग- इस पद में कवि घनानंद ने

Solved Question Answers, घनानन्द

प्रश्न-2 घनानंद के काव्य सौंदर्य की समीक्षा कीजिए। या घनानंद के काव्य कला पर विचार कीजिए। उत्तर- रीतिमुक्त कवि, ब्रजभाषा, प्रवीण, विरह विदग्ध वियोगी कवि घनानंद का नाम रीतिकाल में ही नहीं, बल्कि समूचे हिन्दी साहित्य में अप्रेमय है।

Solved Question Answers, घनानन्द

प्रश्न-1: घनानंद प्रेम की पीर के कवि है, इस कथन के आधार पर घनानन्द का काव्य सौंदर्य स्थापित कीजिए। उत्तर- घनानंद रीतिकाल के सर्वाधिक मार्मिक कवियों में से है। वे प्रेमानिरूपण के ही केवल कवि नहीं है। वरन् वे स्वयं नेही महा है। प्रेम ही

मॉडल प्रश्न उत्तर, हिन्दी कविता सेमेस्टर-2, इकाई-4 घनानंद

निम्नलिखित मॉडल प्रश्नोत्तर बी.ए.(ऑनर्स) हिन्दी के सेमेस्टर-2 के पेपर हिन्दी कविता: सगुण भक्तिकाव्य एवं रीतिकालीन काव्य के हैं। इकाई-4: घनानंद प्रश्न-1. घनानन्द की ‘प्रेम व्यंजना’ का वर्णन कीजिए। उत्तर- रीतिमुक्त स्वच्छन्द