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bihari ke dohe bcom

बिहारी के दोहे, हिन्दी-‘ग’

दोहे मेरी भववाधा हरौ, राधा नागरि सोय। जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।। कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। वा खाये बौराये नर, वा पाए बौराये।। कहत नटत रीझत खिझत मिलत खिलत लजियात। भरे भौन मैं करत हैं नैननु ही सब बात।।

बिहारी के दोहे

दोहे मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोय। जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय॥ कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, वा खाये बौराये नर, वा पाए बौराये। थोड़े ही गुन रीझते बिसराई वह बानि। तुमहूँ कान्ह मनौ भए आज-काल्हि के दानि॥ कहत

बिहारी के दोहे हिन्दी-‘क’ (B.Com)

बिहारी के निम्नलिखित दोहे B.Com(P) के ge पेपर हिन्दी-'क' में लगे हुए हैं। पद बसै बुराई जासु तन, ताही कौ सनमानु। भलौ भलौ कहि छोडियै, खोर्टें ग्रह जपु दानु ॥381॥ मरतु प्यास पिंजरा पर्यो सुआ समै कैं फेर। आदरू दै दै बोलियतु बाइसु

बिहारी के दोहे (B.Com)

निम्नलिखित दोहे बी.कॉम. प्रोग्राम के प्रथम वर्ष में लगे हुए हैं। बतरस-लालच लाल की, मुरली धरी लुकाइ। सौंह करें, भौंहनु हँसे, दैन कहैं नटि जाइ॥ या अनुरागी चित्त की, गति समुझे नहिं कोइ। ज्यों-ज्यों बूड़े स्याम रँग, त्यों-त्यौं उज्जलु