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bhaktikal ki rachnayen

Ram Avtar Guru Gobind Singh (राम अवतार)

प्रस्तुत पद सिक्खों के दसवें व अंतिम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह द्वारा रचित राम काव्य शीर्षकतः राम अवतार (Ram Avtar Guru Gobind Singh) से लिए गए हैं। पद संख्या 616-622 नीचे दिए गये हैं :- स्त्री रघुनदन की भुज ते जब छोर सरासन वान उडाने ।

Vinay Patrika (विनय पत्रिका) : तुलसीदास

प्रस्तुत पद राम भक्ति धार के श्रेष्ठतम एवं भक्तिकाल के पुरोधा कवि तुलसीदास द्वारा रचित हैं। निम्नलिखित पद उनके द्वारा रचित विनयपत्रिका (Vinay Patrika) ग्रंथ से लिए गए हैं जो कि राम काव्य परंपरा की श्रेष्ठ रचनाओं में से एक है।  पद-45

कबीर की भक्ति भावना (kabir ki bhakti bhavna)

प्रश्नः क्या कबीर ने अनीश्वरताप के निकट पहुंच चुके भारतीय जनमानस को निर्गुण ब्रम्ह की भक्ति की ओर प्रवृत्र होने की उत्तेजना प्रदान की? तर्क सम्मत उत्तर दीजिए। (kabir ki bhakti bhavna) उत्तर : निर्गुण ब्रह्म गुणों से रहित न होकर गुणातीत