हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
Browsing Tag

bhaktikal ki pravritiyan

Ram Avtar Guru Gobind Singh (राम अवतार)

प्रस्तुत पद सिक्खों के दसवें व अंतिम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह द्वारा रचित राम काव्य शीर्षकतः राम अवतार (Ram Avtar Guru Gobind Singh) से लिए गए हैं। पद संख्या 616-622 नीचे दिए गये हैं :- स्त्री रघुनदन की भुज ते जब छोर सरासन वान उडाने ।

निर्गुण भक्ति धारा: संत, सूफी काव्य।

निर्गुण : ज्ञानाश्रयी संत काव्यधारा 14वीं सदी के मध्य से 17वीं सदी के मध्य तक भक्ति का अनवरत प्रवाह भारत की कोटि-कोटि दलित शोषित जनता के लिए शक्ति और स्फूर्ति का पर्याय रहा, इसलिए ग्रियर्सन से लेकर रामविलास शर्मा तक