हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
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bhaktikal ka parichay

भक्तिकाल की दार्शनिक पृष्ठभूमि

हिन्दी साहित्य का भक्तिकाल संवत 1375 से संवत 1700 तक माना जाता है। यह हिन्दी साहित्य का श्रेष्ठ युग है। समस्त हिन्दी साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएँ इस युग में प्राप्त होती है। इस युग के परिप्रेक्ष्य पर विचार करते समय इतिहासकारों का

निर्गुण भक्ति धारा: संत, सूफी काव्य।

निर्गुण : ज्ञानाश्रयी संत काव्यधारा 14वीं सदी के मध्य से 17वीं सदी के मध्य तक भक्ति का अनवरत प्रवाह भारत की कोटि-कोटि दलित शोषित जनता के लिए शक्ति और स्फूर्ति का पर्याय रहा, इसलिए ग्रियर्सन से लेकर रामविलास शर्मा तक