कविता : बलिका का परिचय-सुभद्रा कुमारी चौहान
यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सोहाग की है लाली शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली।
दीप-शिखा है अँधेरे की, घनी घटा की उजियाली उषा है यह काल-भृंग की, है पतझर की हरियाली।
सुधाधार यह नीरस दिल की, मस्ती मगन तपस्वी की जीवित ज्योति नष्ट!-->!-->!-->!-->!-->…