कविता: अरुण यह मधुमय देश हमारा- जयशंकर प्रसाद PDF
अरुण यह मधुमय देश हमारा। जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा॥ सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर। छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुमकुम सारा॥ लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे। उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़!-->…