हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
Browsing Tag

angad ka paon shrilal shukl

अंगद का पाँव (व्यंग्य) : श्रीलाल शुक्ल

वैसे तो मुझे स्टेशन जा कर लोगों को विदा देने का चलन नापसंद है. पर इस बार मुझे स्टेशन जाना पड़ा और मित्रों को विदा देनी पड़ी। इसके कई कारण थे। पहना तो यही कि वे मित्र थे। और, मित्रों के सामने सिद्धांत का प्रश्न उठाना ही बेकार होता है।