हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।

DU B.A.(Hons.) Hindi PYQ हिन्दी सगुण कविता Semester-II DSC PDF

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Unique Paper Code2052101201
Name of th Paperहिंदी कविता सगुण भक्तिकाव्य एवं रीतिकालीन काव्य
Name of the CourseB.A.(Hons.) Hindi, DSC
SemesterII
Duration3 Hours
Maximum Marks90

छात्रों के लिए निर्देश :

  1. इस प्रश्न-पत्र के मिलते ही ऊपर दिए गए निर्धारित स्थान पर अपना अनुक्रमांक लिखिए।
  2. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।

प्रश्न-1. निम्न पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिये : (3×9=27)

(क) त्रिजटा नाम राच्छसी एका । राम चरन रति निपुन बिबेका।।
सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना । सीतहि सेइ करहु हित अपना।।
सपनें बानर लंका जारी । जातुधान सेना सब मारी।।
वर आरूढ़ नगन दससीसा । मुंडित सिर खंडित भुज बीसा ।।

अथवा

एके कहै अमल कमल मुख सीताजू को,
एकै कहे चंदसम आनँद को कंद री।
होइ जी कमल तौ रयनि में न सकुचैरी,
चंद जौ तौ बासर न होइ दुति मंद री।
बासर ही कमल रजनि ही में चंद,
मुख बासर हू रजनि बिराजै जगवंद री।
देखे मुख भावे अनदेखई कमल चंद,
तातें मुख मुखै सखी कमलै न चंद री।

(ख) बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं।
तब ये लता लागति अति सीतल, अब भई ज्वाल की पुंजै।।
बृथा बहति जमुना, खग बोलत, बृथा कमल फूलैं, अलि गुंजें।।
पवन पानि घनसार संजीवनि दघिसुत किरन भानु भई भुंजै।।
ए, ऊधो, कहियो माधव सों बिरह कदन करि मारत लुंजै।।
सूरदास प्रभु को मग जोवत आँखियाँ भई बरन ज्यों ज्यों गुंजै।।

अथवा

मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ ।
जा तन की झाँई परै स्यामु हरित दुति होई।।
लिखन बैठि जाकी सबी गहि गहि गरब गरूर।
भए न केते जगत के चतुर चितेरे कूर।।

(ग) रावरे रूप की रीति अनूप नयो नयो लागत ज्यों ज्यौं निहारियै।
त्यों इन आँखिन बानि अनोखी अघानि कहूँ नहिं आन निहारियै।
एक ही जीव हुतौ सुतौ वारयौ सुजान सकोच और सोच सहारियै।
रोकी रहै न, दहें घनआनंद बावरी रीझ की हाथनि हारियै।।

अथवा

इंद्र जिमि जंभ पर, बाडव सुअंभ पर । रावन सदंभ पर रघुकुलराज है।
पौन बरिबाह पर, संभु रतिनाह पर ज्यौं सहस्रबाह पर, राम द्विजराज है।
दावा द्रुमदंड पर चीता मृगझुंड पर भूषण बितुंड पर, जैसे मृगराज है।
तेजतम अंस पर कान्ह जिम कंस पर त्यों मलेच्छ बंस पर, शेर सिवराज है।

प्रश्न-2. तुलसीदास की भक्ति भावना का वर्णन कीजिए। (15)

अथवा

केशव की काव्य-कला पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न-3. सूरदास के ” भ्रमरगीत सार” का अपने शब्दों में विवेचन कीजिए। (15)

अथवा

मुक्तक काव्य की दृष्टि से बिहारी के काव्य का मूल्यांकन कीजिए।

प्रश्न-4. घनानंद की श्रृंगारिक भावना का विश्लेषण कीजिए। (15)

अथवा

“भूषण का काव्य राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता को प्रकट करता है” – इस कथन का युक्तियुक्त विवेचन कीजिए।

प्रश्न-5. टिप्पणी लिखिए (किन्हीं दो पर) : (2 ×9=18)

(i) तुलसीदास के काव्य में लोकमंगल की भावना
(ii) सूरदास की काव्य भाषा
(iii) केशव का आचार्यत्व
(iv) बिहारी की सौंदर्य चेतना
(v) रीतिमुक्त कवि घनानंद
(vi) वीर काव्य परंपरा और भूषण

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