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Study Material For UG
भूषण कवित्त संख्या: 409, 411, 412
(409)
गरुड को दावा जैसे नाग के समूह पर दावा नागजूह पर सिंहसिरताज को। दावा पुरहूत को पहारन के कुल पर दावा सबै पच्छिन के गोल पर बाज को। भूषण अखंड अखंड महिमंडल में तम पर दावा राबिकिरनसमाज कोपूरब पछाँह देस दच्छिन तें उत्तर लौं जहाँ पातसाही!-->!-->!-->…
रैदास के पद, पद संख्या: 1, 4, 19
(1)
बिनु देखै उपजै नहीं आसा, जो दीसै सो होइ बिनासा। बरन सहित जो जापै नामु, सो जोगी केवल निहकामु॥ परचै रामु रवै जउ कोई, पारसु परसै दुविधा न होई॥1॥ रहाउ॥ सो मुनि मनकी दुविधा खाइ, बिनु दुआरे त्रैलोक समाइ। मनका सुभाउ सभु कोई करै, करता होइ!-->!-->!-->…
राष्ट्रभाषा, राजभाषा और सम्पर्क भाषा के रूप में हिन्दी
भाषा के विविध रूपों-सामान्य भाषा, बोली, विभाषा, भाषा, राष्ट्रभाषा, राजभाषा, साहित्यक भाषा, कृत्रिम भाषा, सम्पर्क भाषा आदि में से केवल राजभाषा राष्ट्रभाषा तथा सम्पर्क भाषा के बारे में विवेचन करना यहाँ अभीष्ट है। राजभाषा हिन्दी का राजभाषा!-->…
रामा : महादेवी वर्मा
रामा हमारे यहाँ कब आया, यह न मैं बता सकती हूँ और न मेरे भाई-बहिन। बचपन में जिस प्रकार हम बाबूजी की विविधता भरी मेज से परिचित थे, जिसके नीचे दोपहर के सन्नाटे में हमारे खिलौनों की सृष्टि बसती थी, अपने लोहे के स्प्रिंगदार विशाल पलँग को जानते!-->…
घर जोड़ने की माया : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
सन् 1942-43 ई. में मैंने कबीरदास के सम्बंध में एक पुस्तक लिखी पुस्तक लिखने की तैयारी दो-ढाई साल से कर रहा था और नाना प्रकार के प्रश्न मेरे मन में उठते रहे। मुझे सबसे अधिक आश्चर्य कबीरदास के परवर्ती साहित्य को पढ़कर हुआ। जिस धर्मवीर ने पीर,!-->…
बहादुर (कहानी) : अमरकांत
सहसा मैं काफी गंभीर था, जैसा कि उस व्यक्ति को हो जाना चाहिए, जिस पर एक भारी दायित्व आ गया हो। वह सामने खड़ा था और आँखों को बुरी तरह मटका रहा था। बारह-तेरह वर्ष की उम्र । ठिगना शरीर, गोरा रंग और चपटा मुँह। वह सफेद नेकर, आधी बाँह की ही सफेद!-->…
दो बैलों की कथा : प्रेमचंद
लेखक : प्रेमचंद
जानवरों में गधा सबसे ज़ियादा बुद्धिमान समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को पहले दर्जे का बेवक़ूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवक़ूफ़ है या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है,!-->!-->!-->…
बिबिया : महादेवी वर्मा
अपने जीवनवृत्त के विषय में बिबिया की माई ने कभी कुछ बताया नहीं, किन्तु उसके मुख पर अंकित विवशता की भंगिमा, हाथों पर चोटों के निशान, पैर का अस्वाभाविक लंगड़ापन देखकर अनुमान होता था कि उसका जीवन-पथ सुगम नहीं रहा।
मद्यप और झगड़ालू पति के!-->!-->!-->…
मज़दूरी और प्रेम : सरदार पूर्ण सिंह
लेखक : सरदार पूर्ण सिंह
हल चलाने वाले का जीवन
हल चलाने वाले और भेड़ चराने वाले प्रायः स्वभाव से ही साधु होते हैं। हल चलाने वाले अपने शरीर का हवन किया करते हैं। खेत उनकी हवनशाला है। उनके हवनकुंड की ज्वाला की किरणें चावल के लंबे और!-->!-->!-->!-->!-->…
एक दुराशा(निबंध) : बालमुकुंद गुप्त
नारंगीके रस में जाफरानी वसन्ती बूटी छानकर शिवशम्भु शर्मा खटिया पर पड़े मौजोंका आनन्द ले रहे थे। खयाली घोड़ेकी बागें ढीली कर दी थीं। वह मनमानी जकन्दें भर रहा था। हाथ-पावोंको भी स्वाधीनता दी गई थी। वह खटियाके तूल अरजकी सीमा उल्लंघन करके!-->…