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Study Material For UG
कविता: रोटी और संसद- सुदामा पांडेय ‘धूमिल’
कवि: सुदामा पांडेय 'धूमिल'
एक आदमी रोटी बेलता है। एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है। वह सिर्फ रोटी से खेलता है मैं पूछता हूँ... 'यह तीसरा आदमी कौन है?' मेरे देश की संसद मौन है।
कविता: पुष्प की अभिलाषा- माखनलाल चतुर्वेदी
लेखक: माखनलाल चतुर्वेदी
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंधा प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली,!-->!-->!-->…
सुजानहित : घनानंद
पद
अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं। तहाँ साँचे चलें तजि आपनपौ झिझकैं कपटी जे निसाँक नहीं॥ घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक ते दूसरो आँक नहीं। तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ लला, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं॥
रावरे रूप की!-->!-->!-->!-->!-->…
बिहारी के दोहे
दोहे
मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोय। जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय॥
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, वा खाये बौराये नर, वा पाए बौराये।
थोड़े ही गुन रीझते बिसराई वह बानि। तुमहूँ कान्ह मनौ भए आज-काल्हि के दानि॥
कहत!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
सूरदास के पद सप्रसंग व्याख्या
पद
मैया! मैं नहिं माखन खायौ। ख्याल पर ये सखा सबै मिलि मेरै मुख लपटायौ॥ देखि तुही सींके पर भाजन, ऊँच धरि लटकायौ। हौं जु कहत नान्हे कर अपने मैं कैसें करि पायौ॥ मुख दधि पोंछि, बुद्धि इक कीन्ही, दोना पीठि दुरायौ। डारि साँटि, मुसुकाइ जसोदा,!-->!-->!-->…
कबीर के दोहे हिन्दी-‘ग’ (B.Com)
दोहे
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय॥
निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय॥
कबिरा संगत साधु की ज्यों गंधी का बास। जो कछु गंधी दे नहीं तौ भी बास!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
कविता: अकाल और उसके बाद- नागार्जुन
लेखक: नागार्जुन
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदासकई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पासकई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्तकई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बादधुआँ उठा आँगन से ऊपर कई!-->!-->!-->!-->!-->…
कविता: हमारे पूर्वज- मैथिलीशरण गुप्त
लेखक: मैथिलीशरण गुप्त
उन पूर्वजों की कीर्ति का वर्णन अतीव अपार है। गाते नहीं उनके हमीं गुण, गा रहा संसार है। वे धर्म्म पर काले निछावर तृण-समान शरीर थे, उनसे वही गम्भीर थे, वर वीर थे, ध्रुव धीर थे।
उनके अलौकिक दर्शनों से दूर होता!-->!-->!-->!-->!-->…
बिहारी के दोहे हिन्दी-‘क’ (B.Com)
बिहारी के निम्नलिखित दोहे B.Com(P) के ge पेपर हिन्दी-'क' में लगे हुए हैं।
पद
बसै बुराई जासु तन, ताही कौ सनमानु। भलौ भलौ कहि छोडियै, खोर्टें ग्रह जपु दानु ॥381॥
मरतु प्यास पिंजरा पर्यो सुआ समै कैं फेर। आदरू दै दै बोलियतु बाइसु!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
मीरा के पद सप्रसंग व्याख्या
मीराबाई के निम्नलिखित पद बी.कॉम प्रोग्राम के ge पेपर हिन्दी-'क' में लगे हुए हैं।
पद
मण थें परस हरि रे चरण॥टेक॥ सुभग सीतल कँवल कोमल, जगत ज्वाला हरण। जिण चरण प्रहलाद परस्याँ, इन्द्र पदवी धरण। जिण चरण ध्रुव अटल करस्याँ, सरण असरण सरण।!-->!-->!-->!-->!-->…