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भाषा-विज्ञान का स्वरूप तथा अध्ययन की पद्धतियाँ

प्र. भाषा-विज्ञान का स्वरूप तथा अध्ययन की पद्धतियाँ। उ.       पश्चिम से आए भाषा-विज्ञान शब्द से पहले भारत में भाषा-विज्ञान के संदर्भ में शिक्षा-निरुक्त, व्याकरण और प्रातिशाख्य जैसे श्ब्द प्रचलित थे।

भाषा की संरचना एवं विशेषताएं

प्र. भाषा की संरचना को बताते हुए उसकी विशेषताओं को उद्घाटित कीजिए। उ. एक व्यक्ति से लेकर विश्व मानव की समष्टि को स्वयं में समाहित करने वाली भाषा एक इकाई के रूप में

भाषा की परिभाषा एवं स्वरूप

प्र. भाषा की परिभाषा बताते हुए उसके स्वरूप को स्पष्ट करें। उ. मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में भाषा को भी शामिल किया जाता रहा है। भावों की अभिव्यक्ति के लिए भाषा की

भाषा-विज्ञान की उपयोगिता

प्र. भाषा-विज्ञान की उपयोगिता। उ. सामान्य और बेहद आम प्रचलित भाषा में करें तो भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन जिस शास्त्र के अंतर्गत किया जाता है, उसे ही भाषा-विज्ञान कहा

वाक्य रचना के आधार और भेद

प्र. वाक्य रचना के आधार और भेद। उ.       भाषा की महत्तम व अर्थवान इकाई के साथ-साथ भावों एवं विचारों को अभिव्यक्ति प्रदान करने का कार्य वाक्य करता है। भाषा में महत्त्वपूर्ण स्थान रखने वाला वाक्य दरअसल

घनानन्द के पद, हिन्दी-‘ग’

पद अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं। तहाँ साँचे चलें तजि आपनपी झिझकैं कपटी जे निसाँक नहीं॥ घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक ते दूसरो आँक नहीं। तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ लला, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं।। रावरे रूप की

बिहारी के दोहे, हिन्दी-‘ग’

दोहे मेरी भववाधा हरौ, राधा नागरि सोय। जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।। कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। वा खाये बौराये नर, वा पाए बौराये।। कहत नटत रीझत खिझत मिलत खिलत लजियात। भरे भौन मैं करत हैं नैननु ही सब बात।।

सूरदास के पद हिन्दी-‘ग’

पद मैया! मैं नहिं माखन खायौ। ख्याल परै ये सखा सबै मिलि मेरे मुख लपटायी॥ देखि तुही सींके पर भाजन, ऊँच धरि लटकायी। हौं जु कहत नान्हे कर अपने मैं कैसें करि पायौ॥ मुख दधि पछि, बुद्धि इक कीन्ही, दोना पीठि दुरायौ। डारि साँटि, मुसुकाइ जसोदा,

कबीर के दोहे- बी.ए. प्रोग्राम हिन्दी-‘ग’

दोहे भली भई जु गुर मिल्या, नहीं तर होती हाणि। दीपक दिष्टि पतंग ज़्यूं, पड़ता पूरी जाणि।।19।। माया दीपक नर पतंग, भ्रमि भ्रमि इवैं पंडत। कहै कबीर गुर ग्यान थैं, एक आध उबरंत।।20।। सतगुर बपुरा क्या करै, जे सिपाही माहै चूक। भावै त्यूं

AEC Hindi Syllabus Semester-III/IV DU PDF

दिल्ली विश्वविद्यालय में Ability Enhancement Course (AEC) हिन्दी में सेमेस्टर-III/IV के अंतर्गत निम्नलिखित तीन पेपर पढ़ाए जाएंगे: व्यावहारिक हिन्दी (हिन्दी-क) जनसंचार और रचनात्मक लेखन (हिन्दी-ख) हिन्दी भाषा और तकनीक (हिन्दी-ग)