हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
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घुसपैठिए (कहानी) : ओमप्रकाश बाल्मिकी PDF

लेखक : ओमप्रकाश वाल्मीकि मेडिकल कॉलेज के छात्र सुभाष सोनकर की खबर से शहर की दिनचर्या पर कोई फर्क नहीं पड़ा था। अखबारों ने इसे आत्महत्या का मामला बताया था। एक ही साल में यह दूसरी मौत थी मेडिकल कॉलेज में। फाइनल वर्ष की सुजाता की मौत को

दोपहर का भोजन (कहानी) : अमरकांत PDF

लेखक : अमरकांत सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रखकर शायद पैर की उँगलियाँ या ज़मीन पर चलते चींटे - चींटियों को देखने लगी। अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास लगी है। वह मतवाले की

वापसी (कहानी) : उषा प्रियंवदा PDF

लेखिका : उषा प्रियंवदा गजाधर बाबू ने कमरे में जमा सामान पर एक नज़र दौड़ाई-दो बक्स, डोलची, बालटी–“यह डिब्बा कैसा है, गनेशी?” उन्होंने पूछा। गनेशी बिस्तर बाँधता हुआ, कुछ गर्व, कुछ दुःख, कुछ लज्जा से बोला-“घरवाली ने साथ को कुछ बेसन के

वारिस(कहानी) : मोहन राकेश PDF

लेखक: मोहन राकेश घड़ी में तीन बजते ही सीढ़ियों पर लाठी की खट्‌-खट्‌ होने लगती और मास्टरजी अपने गेरुआ बाने में ऊपर आते दिखायी देते. खट्‌-खट्‌ आवाज़ सुनते ही हम भागकर बैठक में पहुंच जाते और अपनी कापियां और किताबें ठीक करते हुए ड्योढ़ी की

चीफ़ की दावत (कहानी) : भीष्म साहनी PDF

लेखक : भीष्म साहनी शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फुर्सत न थी। पत्नी ड्रेसिंग गाउन पहने, उलझे हुए बालों का जूड़ा बनाए मुँह पर फैली हुई सुर्खी और पाउडर को मले और मिस्टर शामनाथ सिगरेट पर सिगरेट फूँकते हुए चीज़ों की फ़ेहरिस्त

तीसरी कसम (कहानी): फणीश्वरनाथ रेणु PDF

लेखक: फणीश्वरनाथ रेणु हिरामन गाड़ीवान की पीठ में गुदगुदी लगती है…. पिछले बीस साल से गाड़ी हाँकता है हिरामन । बैलगाड़ी। सीमा के उस पार मोरंग राज नेपाल से धान और लकड़ी ढो चुका है। कंट्रोल के जमाने में चोरबाजारी का माल इस पार से उस पार

पंच परमेश्वर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद PDF

लेखक: मुंशी प्रेमचंद 1 जुम्मन शेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गये थे, और अलगू जब कभी बाहर

कविता: बादल को घिरते देखा है|| नागार्जुन|| सप्रसंग व्याख्या प्रश्नोत्तर सहित

नागार्जुन का जन्म बिहार के, दरभंगा ज़िला के, सतलखा गाँव में हुआ, परंतु वह मधुबनी ज़िला के तैरानी गाँव के निवासी थे। उनका मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा स्थानीय संस्कृत पाठशाला में हुई। बाद में वह वाराणसी और कोलकाता भी