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पंच परमेश्वर (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद PDF
लेखक: मुंशी प्रेमचंद
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जुम्मन शेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गये थे, और अलगू जब कभी बाहर!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
उसने कहा था: चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी
लेखक: चंद्रधर शर्मा गुलेरी
बड़े-बडे़ शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की जबान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बम्बू कार्ट वालों की बोली का मरहम लगाएं। जबकि बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर!-->!-->!-->…
निर्गुण भक्ति धारा: संत, सूफी काव्य।
निर्गुण : ज्ञानाश्रयी संत काव्यधारा
14वीं सदी के मध्य से 17वीं सदी के मध्य तक भक्ति का अनवरत प्रवाह भारत की कोटि-कोटि दलित शोषित जनता के लिए शक्ति और स्फूर्ति का पर्याय रहा, इसलिए ग्रियर्सन से लेकर रामविलास शर्मा तक!-->!-->!-->…
निबंध का उद्भव और विकास
हिन्दी साहित्य की अनेक विधाएँ जिनमें नाटक, उपन्यास, कहानी, कविता, निबंध, लघुकथा, रेखाचित्र, संस्मरण आदि सम्मिलित है। प्रत्येक विधा अपने आप में महत्त्वपूर्ण है। साहित्य में उसका स्थापना अपना अलग वजूद रखता है। कोई भी विधा किसी से कम नहीं!-->…
हिन्दी आलोचना का उद्भव और विकास
सामान्य परिचय :
हिन्दी की विभिन्न विधाओं की तरह आलोचना का विकास भी प्रमुख रूप से आधुनिक काल की देन है। किसी भी साहित्य के आलोचना के विकास की दो प्रमुख शर्तो हैं- पहली कि आलोचना रचनात्मक साहित्य से जुड़ी हो। हिन्दी आलोचना अपने प्रस्थान!-->!-->!-->…
हिन्दी नाटक का उद्भव और विकास
नाट्य-लेखन एवं प्रयोग-विज्ञान (अभिनय) की भारतीय परंपरा बहुत पुरानी है। संस्कृत साहित्य में नाट्य-रचना और रंगमंचीय प्रदर्शनों का एक लम्बा इतिहास रहा है। किंतु मध्य-युग में आकर प्रेक्षागृहों और नाट्य-प्रदर्शनों का क्रमशः हरास होता गया। मनु!-->…
हिन्दी कहानी का उद्भव और विकास
'कहानी' का प्राचीन नाम संस्कृत में 'गल्प' या 'आख्यायिका' मिलता है। आधुनिक हिन्दी कविता का जन्म वर्तमान युग की आवश्यकताओं के कारण हुआ। कहानी को पश्चिम में 'शार्ट स्टोरी' कहा जाता है। पाश्चात्य साहित्य में कहानी-कला का उद्भव सर्वप्रथम!-->…
हिन्दी उपन्यास का उद्भव और विकास
भारतेन्दु युग में ही हिंदी उपन्यास-लेखन की परम्परा का श्रीगणेश हुआ। तब से बराबर उन्नति करती हुई उप्नयास विधा समकालीन हिन्दी साहित्य की महत्वपूर्ण गद्य–विद्या के रूप में प्रतिष्ठित है। भारतेन्दु से लेकर आज तक के हिन्दी उपन्यास के समूचे!-->…
नयी कविता: परिवेश एवं प्रवृत्तियाँ
नयी कविता : सामान्य परिचय
आधुनिक हिन्दी साहित्य के अन्तर्गत जब दूसरा सप्तक (1951) में प्रकाशित हुआ लगभग उसी समय में नयी कविता जैसे प्रयोग होने लगा था। बाद में 1954 में डॉ. रामविलास शर्मा ने इसी नाम को स्वीकृति प्रदान की जो वास्तव में!-->!-->!-->…
प्रयोगवाद: परिवेश और प्रवृतियाँ
सामान्य परिचय:
सन् 1943 में अज्ञेय द्वारा प्रकाशित 'तारसप्तक' के साथ ही प्रयोगवाद का आरम्भ माना जाता है। वास्तव में प्रगतिवाद विचारधारा अपने विकसित होने की अवस्था में क्रमशः एकांगी होती गयी जिससे एक प्रकार की दर्शनात्मकता का प्रभाव उस!-->!-->!-->…