हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
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B.A. (Hons.) Hindi

नवजागरण की परिस्थितियाँ और भारतेन्दु युग

नवजागरण :  हिन्दी साहित्य में आधुनिकता की शुरुआत का सम्बन्ध 'भारतीय नवजागरण' से है। भारतीय नवजागरण से मौलिक स्थापनाओं का जितना महत्त्व साहित्य के लिए है, उससे कहीं अधिक भारतीय इतिहास और विशेष रूप से हमारे राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन के

सप्रसंग व्याख्या, रामचन्द्रिका: केशवदास

किछौं यह राजपुत्री वरही बरी है, ........ हर हरि श्री हौ सिवा ........ चाहत फिरत हौ। संदर्भ- प्रस्तुत पद भक्तिकाल के कवि केशवदास द्वारा रचित एक प्रसिद्ध महाकाव्य ‘रामचंद्रिका’ से लिया गया है। यह पद ‘रामचंद्रिका’ के एक भाग वनगमन भाग का

Solved Question Answers, रामचंद्रिका: केशवदास

प्रश्न-2: केशवदास द्वारा रचित ‘रामचंद्रिका’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। उत्तर- ‘रामचंद्रिका’ केशवदास द्वारा लिखित परंपरा का महाकाव्य है। जिसका रचनाकाल 1601 ई. है। इसमें रामकथा का वर्णन किया गया है एवं रामकथा के प्रमुख प्रसंगों को चुनकर

Solved Question Answers, केशवदास: रामचंद्रिका

प्रश्न-1: ‘केशव कठिन काव्य के प्रीत है’- टिप्पणी कीजिए। उत्तर- केशवदास जी को हिन्दी साहित्य का प्रमुख आचार्य और रसिक कवि माना जाता है। ये एक निर्भीक एवं स्पष्टवादी कवि थे। और यह इनकी सबसे बड़ी विशेषता थी। ये एक रीतिकाल के प्रवर्तक कवि

सप्रसंग व्याख्या, भूषण

संकेत- इंद्र जिम जम पर ........ सेर सिवराज है। संदर्भ- प्रस्तुत पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के वीरकाव्य परम्परा के श्रेष्ठ कवि भूषण द्वारा रचित शिवभूषण से संकलित किया गया है। प्रसंग- इस पद में भूषण ने शिवाजी महाराज की वीरता का वर्णन

Solved Question Answers, भूषण

प्रश्न-2: भूषण ‘वीर रस’ के कवि है, टिप्पणी लिखिए। उत्तर- भूषण का हिंदी साहित्य में एक विशिष्ट स्थान है। वे वीर रस के अद्वितीय कवि है। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना ‘शिवराज भूषण’ है भूषण की रचनाओं में राष्ट्रीयता की भावना वीरता के उदगार व

Solved Question Answers, भूषण

प्रश्न-1: महाकवि भूषण की काव्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। उत्तर- रीतिकालीन कवियों में कवि भूषण लोकप्रिय है इन्होंने राष्ट्रीयता देश अनुसार हिन्दू धर्म, जाति रक्षा आदि भावों को अपनाकर इन भावों की रक्षा करने वाले राजा, महाराजाओं का यशोगान

सप्रसंग व्याख्या, घनानन्द

संकेत- रावरे रूप की रीति अनूप .......................... बावरी रीझ की हाथनि हारियौ। संदर्भ- प्रस्तुत पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिमुक्त कवि घनानंद द्वारा रचित सुजानहित से संकलित किया गया है। प्रसंग- इस पद में कवि घनानंद ने

Solved Question Answers, घनानन्द

प्रश्न-2 घनानंद के काव्य सौंदर्य की समीक्षा कीजिए। या घनानंद के काव्य कला पर विचार कीजिए। उत्तर- रीतिमुक्त कवि, ब्रजभाषा, प्रवीण, विरह विदग्ध वियोगी कवि घनानंद का नाम रीतिकाल में ही नहीं, बल्कि समूचे हिन्दी साहित्य में अप्रेमय है।

Solved Question Answers, घनानन्द

प्रश्न-1: घनानंद प्रेम की पीर के कवि है, इस कथन के आधार पर घनानन्द का काव्य सौंदर्य स्थापित कीजिए। उत्तर- घनानंद रीतिकाल के सर्वाधिक मार्मिक कवियों में से है। वे प्रेमानिरूपण के ही केवल कवि नहीं है। वरन् वे स्वयं नेही महा है। प्रेम ही