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Study Material For UG
मीरा की प्रेम भावना (mira ki prem bhavna)
मीरा के काव्य का मूल तत्व प्रेम है—ऐसा प्रेम जो सांसारिक नहीं, बल्कि पूर्णत: आध्यात्मिक और आत्मिक है। मीरा का प्रेम ईश्वर-कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति, समर्पण और माधुर्य-भाव से पूर्ण है। उनका काव्य इसी निष्काम, निरावरण और गहन प्रेम की!-->…
मीरा की भाषा शैली (mira ki bhasha shaili)
मीरा बाई की भाषा-शैली (mira ki bhasha shaili) उनके काव्य की आत्मा है। उनकी भाषा सरल, सहज, संगीतमय और भावनाओं से ओतप्रोत है। मीरा ने किसी दुरूह या काव्य-प्रबंधित भाषा का प्रयोग नहीं किया, बल्कि ऐसी बोली चुनी जो सीधे हृदय को स्पर्श करे। उनके!-->…
भारत की आधुनिक भाषाएं (Bharat ki adhunik bhasha)
भारत विश्व के उन विरल देशों में शामिल है जहाँ भाषिक विविधता अत्यंत व्यापक, जटिल और ऐतिहासिक रूप से विकसित रूप में विद्यमान है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ इस विविधता का समकालीन स्वरूप हैं, जो न केवल भिन्न भाषिक परिवारों की प्रतिनिधि हैं, बल्कि!-->…
मीरा का समय (सामाजिक, राजनीतिक एवं अन्य परिस्थितियाँ) mirabai ka samay kal
मीरा बाई, भक्ति युग की प्रमुख संत-कवयित्री, का जीवन पंद्रहवीं–सोलहवीं शताब्दी के उस संक्रमणकाल में बीता जब भारत का राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य तीव्र परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था। यह वह समय था जब मध्यकालीन भारतीय!-->…
भारत की शास्त्रीय भाषाएं (Bharat ki shastriya bhashayen)
भारत भाषिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं का अद्वितीय केंद्र रहा है। यहाँ अनेक भाषाएँ अत्यंत प्राचीन, समृद्ध और दीर्घकालिक साहित्यिक परंपरा वाली रही हैं। (Bharat ki shastriya bhashayen) भारतीय सरकार ने ऐसी भाषाओं को “शास्त्रीय भाषाएँ”!-->…
भारत की भाषिक विविधता (bharat ki bhashik vividhta)
भारत की भाषिक विविधता (bharat ki bhashik vividhta) विश्व में अद्वितीय मानी जाती है और इसकी जड़ें विभिन्न भाषीय परिवारों की बहुलता में निहित हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में भाषाओं का विकास विविध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक परिस्थितियों के!-->…
भाषा और लिपि का अंतर्संबंध (Bhasha aur Lipi ka antarsambandh)
भाषा और लिपि मानव संप्रेषण की दो आधारभूत संरचनाएँ हैं, जो यद्यपि स्वभावतः भिन्न हैं, किन्तु परस्पर गहरे रूप में संबद्ध हैं। भाषा एक ध्वन्यात्मक प्रणाली है जिसके माध्यम से विचार, भावनाएँ और जानकारी मौखिक रूप से व्यक्त की जाती है। इसके!-->…
प्रियप्रवास (priyapravas) : अयोध्या सिंह उपाध्याय “हरिऔध”
‘प्रियप्रवास’ (priyapravas) 1909-1913 के बीच रचित एक सशक्त विप्रलम्भ काव्य है जिसकी रचना प्रेम और शृंगार के विभिन्न पक्षों को लेकर की गई है। इस ग्रन्थ का विषय श्रीकृष्ण की मथुरा-यात्रा है, इसी कारण इसका नाम ‘प्रियप्रवास’ है। कथा-सूत्र से!-->…
साकेत (Saket Kavita) : मैथिलीशरण गुप्त
महाकवि 'मैथिलीशरण गुप्त' द्वारा रचित महाकाव्य 'साकेत' (Saket Kavita) कुल बारह सर्गों में विभाजित है। यह कविता सन् 1931 ईस्वी में प्रकाशित हुई थी। शुरुआती सर्गों में राम के वन गमन का उल्लेख है वहीं अंतिम के सर्गों में लक्ष्मण वधू उर्मिला का!-->…
Ram Avtar Guru Gobind Singh (राम अवतार)
प्रस्तुत पद सिक्खों के दसवें व अंतिम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह द्वारा रचित राम काव्य शीर्षकतः राम अवतार (Ram Avtar Guru Gobind Singh) से लिए गए हैं। पद संख्या 616-622 नीचे दिए गये हैं :-
स्त्री रघुनदन की भुज ते जब छोर सरासन वान उडाने ।!-->!-->!-->…