हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
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B.A. Prog. Hindi Syllabus, Semester-I/II, Delhi University

Discipline Specific Core-1 हिन्दी भाषा और साहित्य का इतिहास Course Objective (2-3) हिंदी भाषा और साहित्य के इतिहास का परिचय प्राप्त होगा। साहित्य इतिहास के विभिन्न कालों की प्रमुख प्रवृत्तियों की आलोचनात्मक समझ विकसित होगी।

हिन्दी भाषा का विकास: आदिकालीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक हिन्दी

प्रारंभिक हिन्दी परिचय: हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यत: प्राकृत की अन्तिम अवस्था अपभ्रंश से ही हिन्दी साहित्य का अविर्भाव स्वीकार किया जाता है। उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं

रीतिकाल: प्रमुख प्रवृत्तियाँ|| रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त, रीतिबद्ध काव्य।

रीतिबद्ध काव्य           रीतिबद्ध काव्य मुख्यतः शास्त्रीय स्वरूप के उद्घाटन में नियोजित था। जिसके परिणाम स्वरूप उसमें विभिन्न काव्यरीतियों का बंधन पाया जाता है। यह काव्यधारा उन कवियों की है जिन्होंने लक्षण ग्रंथों की परिपाटी पर

आदिकाल: काल विभाजन और नामकरण|| उद्भव और विकास

आदिकाल हिन्दी साहित्य के इतिहास के प्रथम चरण को जॉर्ज ग्रियर्सन अपनी पुस्तक "The Modern Vernacular Literature of Hindustan" में चारण काल कहकर संबोधित करते हैं, वे इस काल की आरंभिक सीमा को 643 ई. मानते हैं। लेकिन वे विभाजन और नामकरण के

बादल को घिरते देखा है : नागार्जुन (व्याख्या) badal ko ghirte dekha hai

कविता "बादल को घिरते देखा है" (badal ko ghirte dekha hai) नागार्जुन के कविता संग्रह "युगधारा" से ली गई है। इस कविता में नागार्जुन ने प्रकृति का अति मनमोहक वर्णन किया है जिसमें उन्होंने बादलों को केंद्र में रखा है। इसमें उन्होंने बादल के

B.A. (Prog.) Generic Hindi Language Syllabus 1st Year

हिन्दी-'क' 'हिंदी-क' (उन विद्यार्थियों के लिए जिन्होंने 12वीं कक्षा तक हिंदी पढ़ी है।) हिंदी : भाषा और साहित्य Course Objective (2-3): हिंदी भाषा और साहित्य की सामान्य जानकारी विकसित करना। राष्ट्रभाषा, राजभाषा और संपर्क

भाषा और संस्कृति

जब प्रकृत या कच्चा माल परिष्कृत किया जाता है तो यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो 'विकृत' हो जाता है अंग्रेजी में संस्कृति के लिए 'कल्चर' शब्द या प्रयोग किया जाता है। जो लैटिन भाषा को 'कल्ट या कल्टस' से लिया गया है,

भाषाई अस्मिता और जेंडर

भाषाई अस्मिता मनुष्य समाज में जन्म लेता है पलता है, बढ़ता है और धीरे-धीरे दूसरों से अलग अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाता है। इस पहचान में जब अहम् की भावना घर कर जाती है तो अस्मिता का प्रश्न उठता है। स्वयं को दूसरों से कमतर न मानना ही अस्मिता

भाषा और वर्ग

भाषा और वर्ग का pdf प्राप्त करने के सबसे नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। वर्ग से तात्पर्य है एक ही प्रकार अथवा बहुत कुछ मिलता-जुलता समूह । जब हम वर्ग को भाषा से जोड़ते है तो इसका तात्पर्य है एक समाज के भीतर जितने भी वर्ग पाए जाते हैं

हिन्दी आलोचना का उद्भव और विकास

सामान्य परिचय : हिन्दी की विभिन्न विधाओं की तरह आलोचना का विकास भी प्रमुख रूप से आधुनिक काल की देन है। किसी भी साहित्य के आलोचना के विकास की दो प्रमुख शर्तो हैं- पहली कि आलोचना रचनात्मक साहित्य से जुड़ी हो। हिन्दी आलोचना अपने प्रस्थान