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रीतिकाल: प्रमुख प्रवृत्तियाँ|| रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त, रीतिबद्ध काव्य।
रीतिबद्ध काव्य
रीतिबद्ध काव्य मुख्यतः शास्त्रीय स्वरूप के उद्घाटन में नियोजित था। जिसके परिणाम स्वरूप उसमें विभिन्न काव्यरीतियों का बंधन पाया जाता है। यह काव्यधारा उन कवियों की है जिन्होंने लक्षण ग्रंथों की परिपाटी पर!-->!-->!-->…
आदिकाल: काल विभाजन और नामकरण|| उद्भव और विकास
आदिकाल
हिन्दी साहित्य के इतिहास के प्रथम चरण को जॉर्ज ग्रियर्सन अपनी पुस्तक "The Modern Vernacular Literature of Hindustan" में चारण काल कहकर संबोधित करते हैं, वे इस काल की आरंभिक सीमा को 643 ई. मानते हैं। लेकिन वे विभाजन और नामकरण के!-->!-->!-->!-->…
बादल को घिरते देखा है : नागार्जुन (व्याख्या) badal ko ghirte dekha hai
कविता "बादल को घिरते देखा है" (badal ko ghirte dekha hai) नागार्जुन के कविता संग्रह "युगधारा" से ली गई है। इस कविता में नागार्जुन ने प्रकृति का अति मनमोहक वर्णन किया है जिसमें उन्होंने बादलों को केंद्र में रखा है। इसमें उन्होंने बादल के!-->…
B.A. (Prog.) Generic Hindi Language Syllabus 1st Year
हिन्दी-'क'
'हिंदी-क' (उन विद्यार्थियों के लिए जिन्होंने 12वीं कक्षा तक हिंदी पढ़ी है।)
हिंदी : भाषा और साहित्य
Course Objective (2-3):
हिंदी भाषा और साहित्य की सामान्य जानकारी विकसित करना।
राष्ट्रभाषा, राजभाषा और संपर्क!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
भाषा और संस्कृति
जब प्रकृत या कच्चा माल परिष्कृत किया जाता है तो यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो 'विकृत' हो जाता है अंग्रेजी में संस्कृति के लिए 'कल्चर' शब्द या प्रयोग किया जाता है। जो लैटिन भाषा को 'कल्ट या कल्टस' से लिया गया है,!-->!-->!-->…
भाषाई अस्मिता और जेंडर
भाषाई अस्मिता
मनुष्य समाज में जन्म लेता है पलता है, बढ़ता है और धीरे-धीरे दूसरों से अलग अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाता है। इस पहचान में जब अहम् की भावना घर कर जाती है तो अस्मिता का प्रश्न उठता है। स्वयं को दूसरों से कमतर न मानना ही अस्मिता!-->!-->!-->…
भाषा और वर्ग
भाषा और वर्ग का pdf प्राप्त करने के सबसे नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
वर्ग से तात्पर्य है एक ही प्रकार अथवा बहुत कुछ मिलता-जुलता समूह । जब हम वर्ग को भाषा से जोड़ते है तो इसका तात्पर्य है एक समाज के भीतर जितने भी वर्ग पाए जाते हैं!-->!-->!-->…
हिन्दी आलोचना का उद्भव और विकास
सामान्य परिचय :
हिन्दी की विभिन्न विधाओं की तरह आलोचना का विकास भी प्रमुख रूप से आधुनिक काल की देन है। किसी भी साहित्य के आलोचना के विकास की दो प्रमुख शर्तो हैं- पहली कि आलोचना रचनात्मक साहित्य से जुड़ी हो। हिन्दी आलोचना अपने प्रस्थान!-->!-->!-->…
प्रगतिवाद: परिवेश और प्रवृत्तियाँ
प्रगतिवाद : सामान्य परिचय
जिस प्रकार द्विवेदी युग की इतिवृत्तात्मकता, उपदेशात्मकता और स्थूलता के प्रति विद्रोह में छायावाद का जन्म हुआ उसी प्रकार छायावाद की सूक्ष्मता, कल्पनात्मकता, व्यक्तिवादिता और समाज-विमुखता की!-->!-->!-->…
छायावाद क्या है: अर्थ, परिवेश एवं प्रवृत्तियाँ
छायावाद : सामान्य परिचय
द्विवेदी युग के पश्चात हिन्दी साहित्य में जो कविता धारा प्रवाहित हुई, वह छायावादी कविता के नाम से प्रसिद्ध हुई। छायावाद की कालावधि सन् 1918 से 1936 तक!-->!-->!-->…