हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।
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Akal Utsav अकाल-उत्सव : हरिशंकर…

हरिशंकर परसाई का "अकाल उत्सव" (Akal Utsav) एक शक्तिशाली और विचारोत्तेजक व्यंग्यात्मक निबंध है। यह निबंध अकाल की कठोर वास्तविकता और उसके चारों ओर के विकृत उत्सव को दर्शाता है। यह निबंध बहुत ही स्पष्टता से बताता है कि समाज में, जहाँ एक ओर

Viklang Shraddha Ka Daur विकलांग श्रद्धा का दौर : हरिशंकर…

"विकलांग श्रद्धा का दौर" (Viklang Shraddha Ka Daur) हिंदी के विख्यात साहित्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित एक प्रसिद्ध व्यंग्य है। यह व्यंग्य राजनीतिक और सामाजिक भ्रष्टाचार पर तीखा प्रहार करता है और इसमें हरिशंकर परसाई ने अपनी रचनात्मक

Thithurta Hua Gantantra ठिठुरता हुआ गणतंत्र : हरिशंकर परसाई

'ठिठुरता हुआ गणतंत्र' (thithurta hua gantantra) हरिशंकर परसाई के महत्वपूर्ण व्यंग्यों में से एक है। इसके ज़रिए परसाई ने भारत के गणतंत्र और रोब-दाब तथा ठाट-बाट वाली राज व्यवस्था पर गहरी चोट की है। गणतंत्र दिवस पर दिखाई जाने वाली झांकियों और

Sudama Ke Chawal सुदामा के चावल (व्यंग्य) : हरिशंकर…

"सुदामा के चावल" (Sudama Ke Chawal) हरिशंकर परसाई द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध व्यंग्य है। यह कहानी सुदामा और कृष्ण के बीच की मित्रता पर आधारित है, लेकिन इसे वर्तमान समय के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है, जहाँ भ्रष्टाचार और स्वार्थ की

Kar Kamal Ho Gaye कर कमल हो गए : हरिशंकर परसाई

'कर कमल हो गए' (kar kamal ho gaye by harishankar parsai) हिन्दी साहित्य के मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित एक व्यंग्यात्मक निबंध है जिसका पाठ नीचे दिया गया है। पिछले महीने से अपने हाथ भी कमल हो गये हैं। मेरे पास तीन कॉलिजों

Dadi Amma Kahani दादी-अम्मा: कृष्णा सोबती

कृष्णा सोबती की कहानी "दादी अम्मा" (Dadi Amma Kahani) में, लेखिका ने एक वृद्ध महिला (दादी अम्मा) के उपेक्षित जीवन और उनकी व्यथा का वर्णन किया है। कहानी में, दादी अम्मा एक भरे-पूरे परिवार (पति, बेटे-बहू, पोते-पोतियां, आदि) के साथ होते हुए

Sikka badal gaya सिक्का बदल गया : कृष्णा सोबती

"सिक्का बदल गया" (Sikka badal gaya Kahani) कृष्णा सोबती द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध कहानी है, जो भारत के विभाजन के समय की पृष्ठभूमि पर आधारित है। यह कहानी एक विधवा महिला शाहनी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने गाँव और जमीन-जायदाद को

Rasta idhar se hai (रास्ता इधर से है) : रघुवीर सहाय-कहानी

'रास्ता इधर से है' (Rasta idhar se hai) रघुवीर सहाय द्वारा लिखी गई है। यह कहानी उनके कहानी संग्रह 'रास्ता इधर से है' का हिस्सा है जो सन् 1972 में प्रकाशित हुआ था। वह एक वाहियात दिन था। सब कुछ शांत था सुनाई पड़ सकती थी इतने मोटे गलीचे

हिंदी : रघुवीर सहाय Hindi Kavita : Raghuvir…

रघुवीर सहाय 'हिन्दी भाषा' के एक बहुत बड़े पैरोकार के रूप में हमें दिखाए देते हैं, जो अपनी कविताओं के माध्यम से निरंतर इस मुद्दे को समाज में उठाते रहे हैं। अंग्रेज़ी की महत्ता और हिन्दी को मिलने वाले सम्मान में कमी उन्हें तकलीफ देती थी, जिसका

अधिनायक : रघुवीर सहाय (व्याख्या सहित) Adhinayak Kavita

रघुवीर सहाय द्वारा रचित अधिनायक कविता (Adhinayak Kavita) भारतीय लोकतंत्र व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है। यह कविता ऐसी व्यवस्था पर व्यंग्य करती है जो सत्ता के रोब-दाब और ठाट-बाट से लोगों पर शासन करने की मंशा रखती है। कविता का पाठ नीचे