हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।

B.A.(Hons) HINDI Syllabus (NEP-2020), Semester-IV, DSC, DSE

0 1,410

सेमेस्टर -IV
बी.ए. ऑनर्स (हिंदी)
भारतीय काव्यशास्त्र
Core Course – DSC10

Course Title & CodeCreditsLecture TutorialPracticalEligibility CriteriaPre-Requisite of the Course
भारतीय काव्यशास्त्र (DSC 10)4310हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण NIL

पाठ्यक्रम का उद्देश्य (Course Objective):

  1. विद्यार्थियोंकोभारतीय काव्य-चिंतन की परंपरा का बोध कराना।
  2. काव्य-चिंतन के विभिन्नसंप्रदायों से अवगत कराना।
  3. काव्य के विभिन्न रूपों एवंछंदों की संरचना से परिचित कराना।

पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):

  1. भारतीय काव्यशास्त्र की चिंतनपरंपरा से अवगत हो सकेंगे।
  2. काव्य समीक्षा की प्रद्धतियों का उपयोगकर सकेंगे।
  3. पारंपरिकऔर आधुनिककाव्य-विवेक केनैरंतर्य की समझ समृद्ध होगी।

इकाई-1 (12 घंटे):

  • भारतीय काव्यशास्त्र की परंपरा (आचार्यभरतमुनि से पंडितराज जगन्नाथ तक)
  • प्रमुख संप्रदायों का संक्षिप्त परिचय (रस, अलंकार, रीति, ध्वनि, वक्रोक्ति, औचित्य)

इकाई-2 (12 घंटे)

  • काव्य लक्षण
  • काव्य हेतु
  • काव्य प्रयोजन

इकाई-3 (12 घंटे)

  • रसः स्वरूप, अवयवऔरभेद
  • रसनिष्पत्ति
  • साधारणीकरण

इकाई-4 (9घंटे)

  • शब्द-शक्तिः अभिधा, लक्षणा, व्यंजना
  • अलंकारः शब्दालंकार-अनुप्रास, यमक, श्लेष, वक्रोक्ति अर्थालंकार-उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति
  • छंद: समवर्णिक-सवैया, घनाक्षरी सममात्रिक – चौपाई, हरिगीतिका अर्द्धसममात्रिक बरवै, सोरठा
  • विषमसममात्रिक -कुंडलिया, छप्पय

सहायक ग्रंथः

  1. रस-मीमांसा-आचार्य रामचंद्र शुक्ल, काशीनागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी।
  2. साहित्य-सहचर-आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, नैवेद्य निकेतन, वाराणसी।
  3. रस-सिद्धांत-डॉ. नगेंद्र, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली।
  4. भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका (भाग 2) -डॉ. नगेंद्र, ओरियंटल बुक डिपो।

सेमेस्टर-IV
आधुनिक हिंदी कविता (छायावाद तक)
Core Course-DSC11

Course Title & CodeCreditsLecture TutorialPracticalEligibility CriteriaPre-Requisite of the Course
आधुनिक हिंदी कविता (छायावाद तक) (DSC 11)4310हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण NIL

पाठ्यक्रम का उद्देश्य (Course Objective):

  1. आधुनिक हिंदी कविता के उद्भव और विकास का परिचय कराना।
  2. खड़ी बोली कविता के बनने और विकसित होने की रचना-प्रक्रिया से परिचित कराना।
  3. छायावादी कविता संबंधी आलोचनात्मक बहस और परिचर्चाओं का परिचय देना।

पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):

  1. तदयुगीन परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में आधुनिक हिंदी कविता की समझ विकसित हो सकेगी।
  2. स्वाधीनता संग्राम के परिप्रेक्ष्य में हिंदीभाषा के भाव-बोध की निर्मिति से परिचित होंगे।
  3. कविताओं के वाचन, लेखन, व्याख्या, विश्लेषण आदि की समझ विकसित हो सकेगी।

इकाई -1 (12 घंटे)

  • भारतेंदु हरिश्चंद्र -नए जमाने की मुकरी (संपादन 1941)
  • मैथिलीशरण गुप्त- ‘भारत-भारती’ के भविष्यत खंड (92-98) से कवि शिक्षा (106-111) (भारती-भारती, साहित्य सदन, चिरगाँव, झाँसी, संस्करण: 1984)

इकाई-2 (12 घंटे)

  • रामनरेश त्रिपाठी- पथिकः प्रथम सर्ग से प्रति क्षण नूतन वेष बनाकर… परम सुंदर, अतिषय सुंदर है’ तक (हिंदी मंदिर प्रकाशन प्रयाग)
  • जयशंकर प्रसाद – पेशोला की प्रतिध्वनि, अब जागो जीवन के प्रभात (प्रसाद ग्रंथावली, खंड 1, संपादक – रत्नशंकर प्रसाद, लोकभारती प्रकाशन)

इकाई -3 (12 घंटे)

  • सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ – स्नेह निर्झर, भिक्षुक (निराला रचनावली, खंड 1, संपादक – नंदकिशोर नवल, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली)
  • सुमित्रानंदन पंत – द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र, भारत माता ग्रामवासिनी (सुमित्रानंदन पंत रचना संचयन, संपादक – कुमार विमल, साहित्य अकादेमी, दिल्ली)

इकाई-4 (9घंटे)

  • महादेवी वर्मा – पूछता क्यों शेष कितनी रात, बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ (महादेवी रचना संचयन, संपादक-विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, साहित्य अकादेमी, दिल्ली)
  • सुभद्रा कुमारी चौहान – वीरों का कैसा हो वसंत, ठुकरा दो या प्यार करो (स्वतंत्रता पुकारती, संपादक- नंद किशोर नवल, साहित्य अकादेमी, दिल्ली)

सहायक ग्रंथः

  1. भारतेंदु रचना संचयन, संपादक- गिरीश रस्तोगी, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ।
  2. भारतेंदु हरिश्चंद्र और हिंदीनवजागरण की समस्याएँ – रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
  3. मैथिलीशरण गुप्तः पुनर्मूल्यांकन डॉ. नगेंद्र, प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली।
  4. जयशंकर प्रसाद – नंददुलारे वाजपेयी, लोकभारती प्रकाशन, नई दिल्ली।
  5. काव्य और कला तथा अन्य निबंध – जयशंकर प्रसाद, भारती भंडार, इलाहाबाद ।
  6. छायावादः पुनर्मूल्यांकन – सुमित्रानंदन पंत, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
  7. पल्लव – सुमित्रानंदन पंत, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
  8. छायावाद – नामवर सिंह, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
  9. छायावाद की प्रासंगिकता रमेशचंद्रशाह, वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर, राजस्थान ।
  10. प्रसाद का काव्य – प्रेमशंकर, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली ।
  11. निराला की साहित्य साधना – रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।

सेमेस्टर -IV
हिंदी उपन्यास
Core Course-DSC12

Course Title & CodeCreditsLecture TutorialPracticalEligibility CriteriaPre-Requisite of the Course
हिंदी उपन्यास (DSC 12)4310हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण NIL

पाठ्यक्रम का उद्देश्य (Course Objective):

  1. हिंदी उपन्यास के उद्भव और विकास की जानकारी देना।
  2. प्रमुख उपन्यासकारों और उनके उपन्यासों की चर्चा करना।
  3. कथा साहित्य के विश्लेषण के माध्यम से युगीन चेतना के विकास से परिचित कराना।

पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):

  1. उपन्यास के विश्लेषण की पद्धति से अवगत हो सकेंगे।
  2. हिंदी उपन्यास के उद्धव और विकास का ज्ञान प्राप्त होगा।
  3. प्रमुख उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं से अवगत हो सकेंगे।
  4. उपन्यास के वाचन, लेखन, व्याख्या, विश्लेषण आदि की समझ विकसित हो सकेगी।

इकाई-1 (12 घंटे)

  • उपन्यासः स्वरूप और संरचना
  • हिंदी उपन्यासः उद्भव और विकास

इकाई-2 (12 घंटे)

  • प्रमुख उपन्यासकारों का योगदान श्रीनिवासदास, प्रेमचंद, जैनेंद्र, अज्ञेय, फणीश्वरनाथ रेणु, श्रीलाल शुक्ल, धर्मवीर भारती, निर्मल वर्मा, मन्नू भण्डारी, मंजुल भगत, चित्रा मुद्गल ।

इकाई -3 (12 घंटे)

  • प्रेमचंद – कर्मभूमि

इकाई-4 (9घंटे)

  • श्रीलाल शुक्ल – रागदरबारी

सहायक ग्रंथः

  1. प्रेमचंद और उनका युग रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली ।
  2. आधुनिक हिंदी उपन्यास (संपादक) भीष्म साहनी, भगवती प्रसाद निदारिया, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
  3. प्रेमचंद: एक विवेचन – इंद्रनाथ मदान, राजकमल प्रकाषन, नई दिल्ली।
  4. कथा विवेचना और गद्य शिल्प – रामविलास शर्मा, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली।
  5. आस्था और सौंदर्य – रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
  6. हिंदी उपन्यास – (संपादक) नामवर सिंह, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।

सेमेस्टर -IV
हिंदी लोकनाट्य
Elective Course -DSE4

Course Title & CodeCreditsLecture TutorialPracticalEligibility CriteriaPre-Requisite of the Course
हिंदी लोकनाट्य (DSE 4)4310हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण NIL

पाठ्यक्रम के उद्देश्य (Course Objective):

  1. विद्यार्थियोंकोभारतीय लोकनाट्य साहित्य और लोक-परंपरा का अवलोकन कराना।
  2. लोक-जीवन और लोक-संस्कृति की जानकारी देना।
  3. हिंदी लोकनाट्य शैलियों के प्रति रुचि विकसित करना।

पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):

  1. लोकनाट्य की समग्र भारतीय परंपरा का परिचय प्राप्त होगा।
  2. विविध प्रादेशिक लोक-नाट्य रूपों के स्वरूप की जानकारी प्राप्त होगी।
  3. आधुनिक हिंदी रंगमंच के संदर्भ में विविध लोकनाट्य रूपों के प्रयोगधर्मी स्वरूप की समझ विकसित होगी।

इकाई-1 (12 घंटे)

  • लोकनाट्य : अवधारणा, स्वरूप और विकास
  • परंपरागत एवं आधुनिक लोकनाट्य का इतिहास (भरतमुनि प्रणीत नाट्यशास्त्र के पूर्व से लेकर मध्यकालीन तथा आधुनिक मिश्रित प्रयोगधर्मी स्वरूप तक)

इकाई-2 (12 घंटे)

  • प्रमुख लोकनाट्य रूपों का संक्षिप्त परिचयः रासलीला, रामलीला, सांग, नौटंकी, ख्याल, माच, पंडवानी, बिदेसिया ।

इकाई- 3: पाठपरक अध्ययन (12 घंटे)

  • नलदमयंती – सांग (लखमीचंद)

इकाई- 4 : पाठपरक अध्ययन (9 घंटे)

  • राजयोगी भरथरी – सिद्धेश्वर सेन

सहायक ग्रंथः

  1. हिंदी साहित्य का वृहत इतिहास सोलहवां भाग, राहुल सांकृत्यायन, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी।
  2. भारतीय लोकनाट्य- वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी, वाणी प्रकाशन, दिल्ली।
  3. भारतीय लोक साहित्य: परंपरा और परिदृश्य-विद्या सिन्हा, प्रकाशन विभाग, नई दिल्ली।
  4. लखमीचंद ग्रंथावली, हरियाणा साहित्य अकादमी।
  5. लोक साहित्य : पाठ और परख विद्या सिन्हा, आरुषि प्रकाशन, नोएडा।
  6. भिखारी ठाकुर रचनावली- (संपादक) प्रो. वीरेंद्र नारायण यादव, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना।
  7. परंपराशीलनाट्य-जगदीशचंद्रमाथुर, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना।
  8. हमारे लोकधर्मीनाट्य-श्याम परमार, लोकरंग, उयदयपुर, राजस्थान।
  9. पारंपरिक भारतीय रंगमंच: अनंत धाराएँ-कपिला वात्स्यायन।

समस्टर -IV
पर्यावरण और हिंदी साहित्य
Elective Course – DSE5

Course Title & CodeCreditsLecture TutorialPracticalEligibility CriteriaPre-Requisite of the Course
पर्यावरण और हिंदी साहित्य (DSE 5)4310हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण NIL

पाठ्यक्रम के उद्देश्य (Course Objectives):

  1. विद्यार्थियों में पर्यावरण बोध का प्रसार करना।
  2. हिंदी साहित्य में पर्यावरण चेतना को बताना।
  3. पर्यावरण और जीवन के अन्योन्याश्रय संबंधों को समझाना।

पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):

  1. विद्यार्थी पर्यावरण के विभिन्न आयामों से परिचित होंगे।
  2. हिंदी साहित्य में अभिव्यक्त पर्यावरण चेतना को जानेंगे।
  3. पर्यावरण और जीव जगत के अंतर्संबंधों को समझेंगे।

इकाई 1 : पर्यावरण-चिंतन : अवधारणा का विकास (12 घंटे)

  • प्रकृति, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी अवधारणा और महत्त्व
  • विकास की अवधारणा
  • विकास की गांधी-दृष्टि
  • धारणीय (Sustainable) विकास की अवधारणा

इकाई 2 : हिंदी कविता में प्रकृति (12 घंटे)

  • पृथ्वी-रोदन : हरिवंशराय बच्चन
  • सतपुड़ा के घने जंगल : भवानी प्रसाद मिश्र

इकाई 3 : कथा साहित्य में प्रकृति और पर्यावरण (12 घंटे)

  • परती परिकथा (निर्धारित अंश) : फणीश्वर नाथ रेणु
  • बाबा बटेसर नाथ (निर्धारित अंश) : नागार्जुन
  • कुइयाँ जान (अंश): नासिरा शर्मा
  • नया मन्वंतर (नाटक) – चिरंजीत

इकाई 4 : कथेतर में प्रकृति-चेतना (9घंटे)

  • सुलगती टहनी : निर्मल वर्मा
  • हल्दी – दूब और दधि – अक्षत : विद्यानिवास मिश्र
  • आज भी खरे है तालाब (अंश) : अनुपम मिश्र

सहायक ग्रंथः

  1. राजस्थान की रजत बूँदें- अनुपम मिश्र, गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली।
  2. विकास और पर्यावरण- सुभाष शर्मा, प्रकाशन विभाग, सूचना प्रसारण मंत्रालय, नई दिल्ली।
  3. जल, थल, मल – सोपान जोशी, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
  4. लोग क्यों करते हैं प्रतिरोध – सुभाष शर्मा, प्रकाशन विभाग, नई दिल्ली।
  5. साफ माथे का समाज – अनुपम मिश्र, पेंग्विन इंडिया, नई दिल्ली।
  6. विचार का कपड़ा – अनुपम मिश्र, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
  7. तालाब झारखंड – हेमंत, नई किताब प्रकाशन, नई दिल्ली।
  8. अहिंसक अर्थव्यवस्था नंदकिशोर आचार्य, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ।
  9. गांधी हैं विकल्प – नंदकिशोर आचार्य, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर।

समस्टर -IV
जनसंचार माध्यमऔर तकनीक
Elective Course – DSE6

Course Title & CodeCreditsLecture TutorialPracticalEligibility CriteriaPre-Requisite of the Course
जनसंचार माध्यमऔर तकनीक (DSE 6)4310हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण NIL

पाठ्यक्रम के उद्देश्य (Course Objectives):

  1. विद्यार्थियों को जनसंचार माध्यमों के विस्तृत क्षेत्र से परिचित कराना।
  2. जनसंचार माध्यमों में प्रयुक्त तकनीक का ज्ञान देना।
  3. जनसंचार माध्यम और तकनीक से जुड़ी आचार संहिताओं का बोध कराना।

पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):

  1. विद्यार्थी जनसंचार के विभिन्न माध्यमों की पहुँच और प्रसार क्षमता से परिचित होंगे।
  2. जनसंचार माध्यमों में प्रयुक्त तकनीकी पक्ष को जान पायेंगे।
  3. फेक न्यूज आदि से बचने के लिए इंटरनेट से जुड़ी आचार संहिताओं का सही ज्ञान होगा।

इकाई-1: जनसंचार : स्वरूपएवं अवधारणा (12 घंटे)

  • जनसंचार: अर्थ, परिभाषाव स्वरूप
  • जनसंचारकेउद्देश्य
  • जनसंचारका प्रसार एवं महत्त्व
  • जनसंचार के प्रकार

इकाई-2 : जनसंचार केमाध्यम (12 घंटे)

  • प्रिंट, रेडियोऔरटेलीविज़न
  • डिजिटल माध्यम
  • सोशलमीडिया-फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम
  • सोशलनेटवर्किंगसाइट्सतथा अन्यमाध्यम

इकाई-3 : जनसंचार : तकनीकी पक्ष (12घंटे)

  • जनसंचार तथा सूचना तकनीक
  • इंटरनेट पत्रकारिता
  • ब्लॉग
  • न्यू मीडिया

इकाई 4 : जनसंचार और लोकतंत्र (9 घंटे)

  • जनसंचार माध्यमों का प्रयोग और नागरिक की ज़िम्मेदारी
  • आपात स्थितियों में जनसंचार की भूमिका
  • प्रेस कानून : सामान्य परिचय
  • साइबर कानून : सामान्य परिचय

सहायक ग्रंथः

  1. भूमंडलीकरण और मीडिया – कुमुद शर्मा।
  2. जनसंचार माध्यम : भाषा और साहित्य-सुधीश पचौरी।
  3. जनसंचार – हरीश अरोड़ा, युवा साहित्य चेतना मंडल, नई दिल्ली।
  4. जनसंचार माध्यमों का राजनीतिक चरित्र जवरीमल्ल पारख।
  5. इंटरनेट पत्रकारिता – सुरेश कुमार।
  6. सोशल नेटवर्किंग : नए समय का संवाद (संपादक) संजय द्विवेदी।
  7. वर्चुअल रिएलिटि और इंटरनेट- जगदीश्वर चतुर्वेदी।
  8. सोशल मीडिया और ब्लॉग लेखन-स्नेहलता।
  9. नए माध्यम, नई हिंदी-प्रो. हरिमोहन।
  10. सोशल मीडिया-स्वर्ण सुमन।
  11. मीडिया और बाज़ार – वर्तिकानंदा।
  12. संचारक्रांति और बदलता सामाजिक सौंदर्य बोध-कृष्णकुमाररत्तू।

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