हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।

Rajbhasha Hindi/राजभाषा हिन्दी

भारत एक विशाल, बहुभाषी राष्ट्र है, जिसकी एकता और अखंडता को बनाए रखने में एक संपर्क भाषा की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, राष्ट्र निर्माताओं ने इस आवश्यकता को समझते हुए संविधान में एक ऐसी भाषा को स्थान दिया, जो

व्यावहारिक हिंदी के विविध स्वरूप (vyavharik hindi)

व्यावहारिक हिंदी के विविध स्वरूप (vyavharik hindi) व्यावहारिक हिंदी (vyavharik hindi), जिसे 'प्रयोजनमूलक हिंदी' भी कहा जाता है, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों और विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयोग की जाने वाली हिंदी है। यह सामान्य

रीतिकाल की प्रवृत्तियाँ (Ritikal ki pravrittiyan)

रीतिकाल हिंदी साहित्य ((Ritikal ki pravrittiyan)) में सन् 1643 ईस्वी से 1843 ईस्वी तक का वह कालखंड है, जो मुख्य रूप से दरबारी संस्कृति और श्रृंगारिक चेतना से प्रभावित रहा। इस काल की कविता की प्रवृत्तियाँ तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और

रीतिकालीन काव्य की पृष्ठभूमि, परिवेश और परिस्थितियाँ (ritikal ki paristhitiyan)

रीतिकाल हिंदी साहित्य (ritikal ki paristhitiyan) के इतिहास में सन् 1643 ईस्वी से 1843 ईस्वी तक का कालखंड है। इस काल की कविता संवेदना और स्वरूप दोनों दृष्टियों से पूर्ववर्ती भक्ति काल से पूर्णतः भिन्न है। रीतिकाल की कविता, जिसे मुख्य रूप से

मीरा के काव्य में स्त्री चेतना (mira ke kavya mein stri chetna)

मीरा भक्ति साहित्य की प्रमुख कवयित्री होने के साथ-साथ भारतीय स्त्री-चेतना की अग्रिम आवाज़ भी हैं। उनके काव्य में स्त्री-अनुभूति, स्वाभिमान, स्वतंत्रता और आत्मसत्ता का प्रखर स्वर दिखाई देता है। मीरा का जीवन और काव्य—दोनों—स्त्री के स्वतंत्र

मीरा की प्रेम भावना (mira ki prem bhavna)

मीरा के काव्य का मूल तत्व प्रेम है—ऐसा प्रेम जो सांसारिक नहीं, बल्कि पूर्णत: आध्यात्मिक और आत्मिक है। मीरा का प्रेम ईश्वर-कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति, समर्पण और माधुर्य-भाव से पूर्ण है। उनका काव्य इसी निष्काम, निरावरण और गहन प्रेम की

मीरा की भाषा शैली (mira ki bhasha shaili)

मीरा बाई की भाषा-शैली (mira ki bhasha shaili) उनके काव्य की आत्मा है। उनकी भाषा सरल, सहज, संगीतमय और भावनाओं से ओतप्रोत है। मीरा ने किसी दुरूह या काव्य-प्रबंधित भाषा का प्रयोग नहीं किया, बल्कि ऐसी बोली चुनी जो सीधे हृदय को स्पर्श करे। उनके

भारत की आधुनिक भाषाएं (Bharat ki adhunik bhasha)

भारत विश्‍व के उन विरल देशों में शामिल है जहाँ भाषिक विविधता अत्यंत व्यापक, जटिल और ऐतिहासिक रूप से विकसित रूप में विद्यमान है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ इस विविधता का समकालीन स्वरूप हैं, जो न केवल भिन्न भाषिक परिवारों की प्रतिनिधि हैं, बल्कि

मीरा का समय (सामाजिक, राजनीतिक एवं अन्य परिस्थितियाँ) mirabai ka samay kal

मीरा बाई, भक्ति युग की प्रमुख संत-कवयित्री, का जीवन पंद्रहवीं–सोलहवीं शताब्दी के उस संक्रमणकाल में बीता जब भारत का राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य तीव्र परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था। यह वह समय था जब मध्यकालीन भारतीय

भारत की शास्त्रीय भाषाएं (Bharat ki shastriya bhashayen)

भारत भाषिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं का अद्वितीय केंद्र रहा है। यहाँ अनेक भाषाएँ अत्यंत प्राचीन, समृद्ध और दीर्घकालिक साहित्यिक परंपरा वाली रही हैं। (Bharat ki shastriya bhashayen) भारतीय सरकार ने ऐसी भाषाओं को “शास्त्रीय भाषाएँ”