हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।

DU B.A.(Hons.) Hindi Previous Year Paper Semester-II DSC PDF

0 1,153
Unique Paper Code2052101203
Name of th PaperHindi Nibandh Evam Anya Gady Vidhayein
Name of the CourseB.A.(Hons.) Hindi, DSC
SemesterII
Duration3 Hours
Maximum Marks90

छात्रों के लिए निर्देश :

  1. इस प्रश्न-पत्र के मिलते ही ऊपर दिए गए निर्धारित स्थान पर अपना अनुक्रमांक लिखिए।
  2. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।

प्रश्न-1. सप्रसंग व्याख्या कीजिए : (10×2=20)

(क) प्रेम की भाषा शब्द-रहित है। नेत्रों की, कपोलों की, मस्तक की भाषा भी शब्द – रहित है। जीवन का तत्व भी शब्द से परे है। सच्चा आचरण-प्रभाव, शील, अचल स्थित संयुक्त आचरण न – तो साहित्य के लंबे व्याख्यानों से गठा जा सकता है; न वेद की श्रुतियों के मीठे उपदेश से; न अजील से; न कुरान से न धर्मचर्चा से; न केवल सत्संग से; जीवन के अरण्य में धंसे हुए पुरुष के हृदय पर प्रकृति और मनुष्य के जीवन के मौन व्याख्यानों के यत्न से, सुनार के छोटे हथौड़े की मंद-मंद चोटों की तरह आचरण का रूप प्रत्यक्ष होता है।

अथवा

दूसरों के, विशेषतया अपने परिचितों के, थोड़े क्लेश या शोक पर जो वेगरहित दु:ख होता है, उसे सहानुभूति कहते हैं। शिष्टाचार में इस शब्द का प्रयोग इतना अधिक होने लगा है कि यह निकम्मा सा हो गया है। अब प्राय: इस शब्द से हृदय का कोई सच्चा भाव नहीं । सहानुभूति के तार, सहानुभूति की चिठ्ठियाँ लोग यों ही भेजा करते हैं। यह छद्म शिष्टता मनुष्य के व्यवहार क्षेत्र से सच्चाई के अंश को क्रमशः चरती जा रही है।

(ख) साधु ने समझाया, “महाराज, भ्रष्टाचार और सदाचार मनुष्य की आत्मा में होता है; बाहर से नहीं होता । विधाता जब मनुष्य की आत्मा में होता है; बाहर से नहीं होता। विधाता जब मनुष्य को बनाता है तब किसी की आत्मा में ईमान की अकल फिट कर देता है और किसी की आत्मा में बेईमानी की। इस कल में से ईमान या बेईमानी के स्वर निकलते हैं, इन्हें दबाकर ईमान के स्वर कैसे निकाले जाएं? मैं कई वर्षों से इसी के चिंतन में लगा हूं।”

अथवा

जैसे अपने जड़ तन से निकल कर तदात्म मन कहीं घोर भू में विभोर हो रहा हो, चेहरे पर तनाव नहीं, रम्य रेखाओं में सलवटें नहीं, असंभव की संभावनाओं से उदासीन, आत्मानुशासित दृष्टि का सृष्टि चेतन प्रसार। मैं छेड़ता न था कि उस एकात्म चौतन्य चंद्र पर बादल न रुके, कुमुद न कुम्हलाए, तनिक कंकड़ी के पड़े स्वस्थ जल घायल न हो।

प्रश्न-2. “जातियों का अनूठापन” निबंध की तात्विक समीक्षा कीजिए। (15)

अथवा

“आचरण की सभ्यता” निबंध का मूल सन्देश लिखिए।

प्रश्न-3. “करुणा” निबंध के आधार पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल की निबंध – शैली का विवेचन कीजिए। (15)

अथवा

हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने “भारतवर्ष की सांस्कृतिक समस्या” निबंध में किन-किन समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया है?

प्रश्न-4. “निराला की साहित्य साधना- नए संघर्ष ” के आधार पर निराला की साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। (15)

अथवा

“सदाचार का ताबीज” की भाषा-शैली पर चर्चा कीजिए।

प्रश्न-5. संस्मरण की विशेषताओं के आधार पर ” अज्ञेय के साथ” संस्मरण की समीक्षा कीजिए। (15)

अथवा

“अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा” यात्रा-वृतांत का सार लिखिए।

प्रश्न-6. किसी एक पर टिप्पणी लिखिए: (10)

(क) राहुल सांकृत्यायन का साहित्यिक परिचय दीजिए।
(ख) “करुणा” निबंध का प्रतिपाद्य।

Download PDF:

Leave A Reply

Your email address will not be published.