सप्रसंग व्याख्या, भूषण

संकेत- इंद्र जिम जम पर …….. सेर सिवराज है।
संदर्भ- प्रस्तुत पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के वीरकाव्य परम्परा के श्रेष्ठ कवि भूषण द्वारा रचित शिवभूषण से संकलित किया गया है।
प्रसंग- इस पद में भूषण ने शिवाजी महाराज की वीरता का वर्णन करते हुए बताते हैं कि किस प्रकार महाराज शिवाजी अपने शत्रुओं से युद्ध करते है, शत्रु उनकी विशाल सेना को देखकर कांपने लगती है।
व्याख्या- महाकवि भूषण कहते हैं कि जैसे इन्द्र ने जंभासुर नामक राक्षस का वध किया और जल की अग्नि (समुद्र में लगने वाली बाडवाग्नि) जल को नष्ट कर देती है और घमण्डी रावण पर रघुकुल के राजा ने राज्य किया और जिस प्रकार पवन जल युक्त बादलों को उड़ा ले जाती है और जिस प्रकार शिव शंभू ने रती के पति कामदेव को भस्म किया था तथा सहस्रबाहु अर्जुन को मारकर परशुराम ने विजय प्राप्त की तथा जिस प्रकार जंगल की अग्नि जंगल को जला देती है और चीता, हिरणों के समूह पर और जंगल का राजा शेर हाथियों पर अपना अधिकार कायम रखता है और रोशनी अधंकार को समाप्त करती है जिस प्रकार कृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध किया ठीक उसी प्रकार वीर शिवाजी महाराज शेर के समान है। अर्थात् जिस प्रकार जंभासुर पर इंद्र, समुद्र पर बड़वानल, रावण के दंभ पर रघुकुल राज, बादलों पर पवन, रति के पति अर्थात् कामदेव पर भगवान शिव, सहस्रबाहु पर ब्राह्मण परशुराम, पेड़ों के तनों पर दावानल, हिरणों के झुण्ड पर चीता, हाथी पर शेर, अंधेरे पर प्रकाश की एक किरण, कंस पर कृष्ण भारी हैं, उसी प्रकार म्लेच्छ वंश पर शिवाजी शेर के समान है। वे बहुत महान योद्धा है, वह अपने शत्रुओं पर सिंह के समान टूट पड़ते हैं।
विशेष-
- वीरता का वर्णन।
- वीर रस की प्रधानता