हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।

व्यावहारिक हिंदी के विविध स्वरूप (vyavharik hindi)

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व्यावहारिक हिंदी के विविध स्वरूप (vyavharik hindi)

व्यावहारिक हिंदी (vyavharik hindi), जिसे ‘प्रयोजनमूलक हिंदी’ भी कहा जाता है, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों और विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयोग की जाने वाली हिंदी है। यह सामान्य बोलचाल या साहित्यिक हिंदी से अलग होती है क्योंकि इसकी भाषा, शब्दावली और संरचना उस विशिष्ट क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप ढल जाती है। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं – सटीकता, स्पष्टता, गंभीरता, वाच्यार्थ प्रधानता और अलंकारिकता का अभाव

व्यावहारिक हिंदी के प्रमुख स्वरूप या रूप निम्नलिखित हैं, जिन्हें उनके प्रयोग के क्षेत्र के आधार पर विभाजित किया गया है:

1. कार्यालयी हिंदी

यह हिंदी का वह स्वरूप है जो सरकारी, अर्ध-सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों के दैनिक कार्यों में प्रयुक्त होता है। इसे ‘राजभाषा हिंदी’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह भारत संघ के राजकाज की भाषा है। (vyavharik hindi)

  • प्रयोग: इसका प्रयोग पत्राचार (पत्र, ज्ञापन, कार्यालय आदेश, अधिसूचना, संकल्प), टिप्पण, प्रारूपण, प्रतिवेदन (रिपोर्ट) लेखन और प्रशासनिक शब्दावली में होता है।
  • विशेषता: इसकी भाषा अत्यंत औपचारिक, मानक, स्पष्ट और पारिभाषिक शब्दावली (जैसे- अनुभाग, बजट, अनुमोदन, सचिव) से युक्त होती है। वाक्य संरचना निश्चित और सीधी होती है।

2. वाणिज्य और व्यापारिक हिंदी (vyavharik hindi)

व्यापार, वाणिज्य, उद्योग, बैंकिंग, बीमा और आयात-निर्यात जैसे आर्थिक गतिविधियों के क्षेत्र में उपयोग होने वाली हिंदी।

  • प्रयोग: व्यापारिक पत्र-व्यवहार, विज्ञापन, बैंकिंग प्रपत्र (फॉर्म), लेखा-जोखा (अकाउंटिंग), बाज़ार विश्लेषण और बिक्री संबंधी सामग्री में।
  • विशेषता: इसमें आर्थिक और व्यावसायिक शब्दावली (जैसे- ऋण, जमा, निकासी, लाभ-हानि, शेयर, बिल, कमीशन) का प्रभुत्व होता है। यह स्पष्ट, संक्षिप्त और उद्देश्यपरक होती है। (vyavharik hindi)

3. वैज्ञानिक एवं तकनीकी हिंदी

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, इंजीनियरिंग और अन्य तकनीकी विषयों के अध्ययन, अनुसंधान और संप्रेषण में प्रयुक्त होने वाली हिंदी। (vyavharik hindi)

  • प्रयोग: वैज्ञानिक लेख, शोध पत्र, तकनीकी नियमावली (मैनुअल), पाठ्यपुस्तकें और प्रौद्योगिकी संबंधी व्याख्यानों में।
  • विशेषता: यह हिंदी का सर्वाधिक पारिभाषिक शब्दावली से भरा स्वरूप है। इसमें संस्कृतनिष्ठ शब्दावली और अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी शब्दों के हिंदी रूपांतरण (जैसे- ऑक्सीजन-ऑक्सीजन, कंप्यूटर-संगणक, अणु-मॉलिक्यूल) का प्रयोग होता है। भाषा तथ्यात्मक और अकाल्पनिक होती है।

4. विधिक हिंदी (vyavharik hindi)

कानून, न्यायपालिका और विधि-निर्माण के क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाली हिंदी। (vyavharik hindi)

  • प्रयोग: न्यायालयों में प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेज, अधिनियम, नियम, उपनियम, संविधान के अनुच्छेद, याचिकाएँ और कानूनी मसौदे।
  • विशेषता: इसकी शब्दावली बहुत विशिष्ट, दुरुह और पारंपरिक कानूनी शब्दों (जैसे- धारा, वाद, प्रतिवादी, न्यायधीश, शपथ पत्र, अधिदेश) से युक्त होती है। वाक्य रचना जटिल, लंबी और सटीक अर्थ वाली होती है।

5. जनसंचार माध्यमों में हिंदी

समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो, टेलीविजन, फिल्में, और इंटरनेट (सोशल मीडिया, ब्लॉगिंग) जैसे जनसंचार के साधनों में प्रयुक्त होने वाली हिंदी।

  • प्रयोग: समाचार लेखन, फीचर लेखन, संपादकीय, साक्षात्कार, रेडियो जॉकी स्क्रिप्ट और सोशल मीडिया पोस्ट्स में।
  • विशेषता: यह स्वरूप सरल, सुबोध, आकर्षक और तात्कालिक होता है ताकि यह अधिकतम लोगों तक पहुँच सके। इसमें बोलचाल के शब्दों, उर्दू, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दों का मिश्रण देखने को मिलता है। इसका लक्ष्य सूचना देना, मनोरंजन करना और जनमत को प्रभावित करना होता है। (vyavharik hindi)

6. शिक्षण-प्रशिक्षण की हिंदी

विद्यालयों, महाविद्यालयों और प्रशिक्षण संस्थानों में शिक्षा और अध्यापन के उद्देश्य से प्रयुक्त हिंदी।

  • प्रयोग: पाठ्यपुस्तकों, शिक्षण सामग्री, व्याख्यानों, प्रश्न पत्रों, उत्तर पुस्तिकाओं और शैक्षणिक दस्तावेजों में।
  • विशेषता: यह मानक हिंदी के निकट होती है और विषय की प्रकृति के अनुसार शब्दावली का प्रयोग होता है। इसका उद्देश्य ज्ञान का संप्रेषण और बोधगम्यता सुनिश्चित करना है। (vyavharik hindi)

व्यावहारिक हिंदी का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत और गतिशील है। जैसे-जैसे जीवन और समाज के कार्य-व्यापार का दायरा बढ़ता जा रहा है, हिंदी का स्वरूप भी उन नए प्रयोजनों के अनुरूप ढलकर नए-नए रूपों में विकसित होता जा रहा है। यह बहुमुखी विकास ही हिंदी को आधुनिक युग की सशक्त और जीवंत भाषा बनाता है।

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