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आषाढ़ का एक दिन : मोहन राकेश (ashadh ka ek din)

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प्रश्न : रंगमंचीय संभावनाओं की दृष्टि से किए गए एक प्रयोग के रूप में ‘आषाढ का एक दिन’ नाटक पर विचार कीजिए।

उत्तर : नाटक की भूमिका में मोहन राकेश लिखते हैं कि ‘हिन्दी रंगमन्च को हिन्दी भाषी प्रदेश की सांस्कृतिक पूर्तियों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करना होगा, रंगो, राशियों के हमारे विवेक को व्यक्त करना होगा…। इस रंगमंच का रूपविधान नाटकीय प्रयोगों के अभ्यन्तर से जन्म लेगा और समर्थ अभिनेतायो तथा दिग्दर्शकों के हाथों उसका विकास होगा।’ (ashadh ka ek din)

रंगमंचीय प्रयोग :

  • तीनों अंकों में एक ही दृश्य का प्रयोग किया ताकि दर्शकों की एकात्मीयता बनी रहे। (मल्लिका के घर का दृश्य)
  • मोहन राकेश ने अवांतर कथाओं के प्रयोग की लीक से हट कर प्रधान कथा पर ध्यान केन्द्रित किया।
  • रंगमंचीय निर्देशन का उत्कृष्ट रूप ‘आषाढ का एक दिन’ में मिलता है जो कि भारतेन्दु, द्विवेदी और छायावाद युग के संदर्भ में नवीन बात है।
  • संवाद योजना में स्वगत और एकालाप को शामिल किया गया (नाटक के तीसरे अंक मल्लिका का स्वागत कथन व कालिदास एकालाप)
  • पूर्व में गीतों के अनावश्यक अवधान को समाप्त कर नाटक को गति प्रदान की।
  • आकस्मिकता का प्रभावशाली प्रयोग। (कालिदास के आगमन पर विलोम का उपस्थित होना)

आषाढ़ का एक दिन नाटक अपने समय में लिखे गए सभी नाटकों से भिन्न एक ऐसा प्रयोग था जो पाश्चात्य रंगमंच से प्रभावित नहीं था। बरिक भारतीय रंगमंच के मृत्यों में समाहित नवीनत्रम प्रयोग था।

(ashadh ka ek din)

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