B.A.(Hons) HINDI Syllabus (NEP-2020), Semester-IV, DSC, DSE

सेमेस्टर -IV
बी.ए. ऑनर्स (हिंदी)
भारतीय काव्यशास्त्र
Core Course – DSC10
Course Title & Code | Credits | Lecture | Tutorial | Practical | Eligibility Criteria | Pre-Requisite of the Course |
भारतीय काव्यशास्त्र (DSC 10) | 4 | 3 | 1 | 0 | हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण | NIL |
पाठ्यक्रम का उद्देश्य (Course Objective):
- विद्यार्थियोंकोभारतीय काव्य-चिंतन की परंपरा का बोध कराना।
- काव्य-चिंतन के विभिन्नसंप्रदायों से अवगत कराना।
- काव्य के विभिन्न रूपों एवंछंदों की संरचना से परिचित कराना।
पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):
- भारतीय काव्यशास्त्र की चिंतनपरंपरा से अवगत हो सकेंगे।
- काव्य समीक्षा की प्रद्धतियों का उपयोगकर सकेंगे।
- पारंपरिकऔर आधुनिककाव्य-विवेक केनैरंतर्य की समझ समृद्ध होगी।
इकाई-1 (12 घंटे):
- भारतीय काव्यशास्त्र की परंपरा (आचार्यभरतमुनि से पंडितराज जगन्नाथ तक)
- प्रमुख संप्रदायों का संक्षिप्त परिचय (रस, अलंकार, रीति, ध्वनि, वक्रोक्ति, औचित्य)
इकाई-2 (12 घंटे)
- काव्य लक्षण
- काव्य हेतु
- काव्य प्रयोजन
इकाई-3 (12 घंटे)
- रसः स्वरूप, अवयवऔरभेद
- रसनिष्पत्ति
- साधारणीकरण
इकाई-4 (9घंटे)
- शब्द-शक्तिः अभिधा, लक्षणा, व्यंजना
- अलंकारः शब्दालंकार-अनुप्रास, यमक, श्लेष, वक्रोक्ति अर्थालंकार-उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति
- छंद: समवर्णिक-सवैया, घनाक्षरी सममात्रिक – चौपाई, हरिगीतिका अर्द्धसममात्रिक बरवै, सोरठा
- विषमसममात्रिक -कुंडलिया, छप्पय
सहायक ग्रंथः
- रस-मीमांसा-आचार्य रामचंद्र शुक्ल, काशीनागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी।
- साहित्य-सहचर-आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, नैवेद्य निकेतन, वाराणसी।
- रस-सिद्धांत-डॉ. नगेंद्र, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली।
- भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका (भाग 2) -डॉ. नगेंद्र, ओरियंटल बुक डिपो।
सेमेस्टर-IV
आधुनिक हिंदी कविता (छायावाद तक)
Core Course-DSC11
Course Title & Code | Credits | Lecture | Tutorial | Practical | Eligibility Criteria | Pre-Requisite of the Course |
आधुनिक हिंदी कविता (छायावाद तक) (DSC 11) | 4 | 3 | 1 | 0 | हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण | NIL |
पाठ्यक्रम का उद्देश्य (Course Objective):
- आधुनिक हिंदी कविता के उद्भव और विकास का परिचय कराना।
- खड़ी बोली कविता के बनने और विकसित होने की रचना-प्रक्रिया से परिचित कराना।
- छायावादी कविता संबंधी आलोचनात्मक बहस और परिचर्चाओं का परिचय देना।
पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):
- तदयुगीन परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में आधुनिक हिंदी कविता की समझ विकसित हो सकेगी।
- स्वाधीनता संग्राम के परिप्रेक्ष्य में हिंदीभाषा के भाव-बोध की निर्मिति से परिचित होंगे।
- कविताओं के वाचन, लेखन, व्याख्या, विश्लेषण आदि की समझ विकसित हो सकेगी।
इकाई -1 (12 घंटे)
- भारतेंदु हरिश्चंद्र -नए जमाने की मुकरी (संपादन 1941)
- मैथिलीशरण गुप्त- ‘भारत-भारती’ के भविष्यत खंड (92-98) से कवि शिक्षा (106-111) (भारती-भारती, साहित्य सदन, चिरगाँव, झाँसी, संस्करण: 1984)
इकाई-2 (12 घंटे)
- रामनरेश त्रिपाठी- पथिकः प्रथम सर्ग से प्रति क्षण नूतन वेष बनाकर… परम सुंदर, अतिषय सुंदर है’ तक (हिंदी मंदिर प्रकाशन प्रयाग)
- जयशंकर प्रसाद – पेशोला की प्रतिध्वनि, अब जागो जीवन के प्रभात (प्रसाद ग्रंथावली, खंड 1, संपादक – रत्नशंकर प्रसाद, लोकभारती प्रकाशन)
इकाई -3 (12 घंटे)
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ – स्नेह निर्झर, भिक्षुक (निराला रचनावली, खंड 1, संपादक – नंदकिशोर नवल, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली)
- सुमित्रानंदन पंत – द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र, भारत माता ग्रामवासिनी (सुमित्रानंदन पंत रचना संचयन, संपादक – कुमार विमल, साहित्य अकादेमी, दिल्ली)
इकाई-4 (9घंटे)
- महादेवी वर्मा – पूछता क्यों शेष कितनी रात, बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ (महादेवी रचना संचयन, संपादक-विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, साहित्य अकादेमी, दिल्ली)
- सुभद्रा कुमारी चौहान – वीरों का कैसा हो वसंत, ठुकरा दो या प्यार करो (स्वतंत्रता पुकारती, संपादक- नंद किशोर नवल, साहित्य अकादेमी, दिल्ली)
सहायक ग्रंथः
- भारतेंदु रचना संचयन, संपादक- गिरीश रस्तोगी, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ।
- भारतेंदु हरिश्चंद्र और हिंदीनवजागरण की समस्याएँ – रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
- मैथिलीशरण गुप्तः पुनर्मूल्यांकन डॉ. नगेंद्र, प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली।
- जयशंकर प्रसाद – नंददुलारे वाजपेयी, लोकभारती प्रकाशन, नई दिल्ली।
- काव्य और कला तथा अन्य निबंध – जयशंकर प्रसाद, भारती भंडार, इलाहाबाद ।
- छायावादः पुनर्मूल्यांकन – सुमित्रानंदन पंत, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
- पल्लव – सुमित्रानंदन पंत, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
- छायावाद – नामवर सिंह, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
- छायावाद की प्रासंगिकता रमेशचंद्रशाह, वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर, राजस्थान ।
- प्रसाद का काव्य – प्रेमशंकर, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली ।
- निराला की साहित्य साधना – रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
सेमेस्टर -IV
हिंदी उपन्यास
Core Course-DSC12
Course Title & Code | Credits | Lecture | Tutorial | Practical | Eligibility Criteria | Pre-Requisite of the Course |
हिंदी उपन्यास (DSC 12) | 4 | 3 | 1 | 0 | हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण | NIL |
पाठ्यक्रम का उद्देश्य (Course Objective):
- हिंदी उपन्यास के उद्भव और विकास की जानकारी देना।
- प्रमुख उपन्यासकारों और उनके उपन्यासों की चर्चा करना।
- कथा साहित्य के विश्लेषण के माध्यम से युगीन चेतना के विकास से परिचित कराना।
पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):
- उपन्यास के विश्लेषण की पद्धति से अवगत हो सकेंगे।
- हिंदी उपन्यास के उद्धव और विकास का ज्ञान प्राप्त होगा।
- प्रमुख उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं से अवगत हो सकेंगे।
- उपन्यास के वाचन, लेखन, व्याख्या, विश्लेषण आदि की समझ विकसित हो सकेगी।
इकाई-1 (12 घंटे)
- उपन्यासः स्वरूप और संरचना
- हिंदी उपन्यासः उद्भव और विकास
इकाई-2 (12 घंटे)
- प्रमुख उपन्यासकारों का योगदान श्रीनिवासदास, प्रेमचंद, जैनेंद्र, अज्ञेय, फणीश्वरनाथ रेणु, श्रीलाल शुक्ल, धर्मवीर भारती, निर्मल वर्मा, मन्नू भण्डारी, मंजुल भगत, चित्रा मुद्गल ।
इकाई -3 (12 घंटे)
- प्रेमचंद – कर्मभूमि
इकाई-4 (9घंटे)
- श्रीलाल शुक्ल – रागदरबारी
सहायक ग्रंथः
- प्रेमचंद और उनका युग रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली ।
- आधुनिक हिंदी उपन्यास (संपादक) भीष्म साहनी, भगवती प्रसाद निदारिया, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
- प्रेमचंद: एक विवेचन – इंद्रनाथ मदान, राजकमल प्रकाषन, नई दिल्ली।
- कथा विवेचना और गद्य शिल्प – रामविलास शर्मा, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली।
- आस्था और सौंदर्य – रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
- हिंदी उपन्यास – (संपादक) नामवर सिंह, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
सेमेस्टर -IV
हिंदी लोकनाट्य
Elective Course -DSE4
Course Title & Code | Credits | Lecture | Tutorial | Practical | Eligibility Criteria | Pre-Requisite of the Course |
हिंदी लोकनाट्य (DSE 4) | 4 | 3 | 1 | 0 | हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण | NIL |
पाठ्यक्रम के उद्देश्य (Course Objective):
- विद्यार्थियोंकोभारतीय लोकनाट्य साहित्य और लोक-परंपरा का अवलोकन कराना।
- लोक-जीवन और लोक-संस्कृति की जानकारी देना।
- हिंदी लोकनाट्य शैलियों के प्रति रुचि विकसित करना।
पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):
- लोकनाट्य की समग्र भारतीय परंपरा का परिचय प्राप्त होगा।
- विविध प्रादेशिक लोक-नाट्य रूपों के स्वरूप की जानकारी प्राप्त होगी।
- आधुनिक हिंदी रंगमंच के संदर्भ में विविध लोकनाट्य रूपों के प्रयोगधर्मी स्वरूप की समझ विकसित होगी।
इकाई-1 (12 घंटे)
- लोकनाट्य : अवधारणा, स्वरूप और विकास
- परंपरागत एवं आधुनिक लोकनाट्य का इतिहास (भरतमुनि प्रणीत नाट्यशास्त्र के पूर्व से लेकर मध्यकालीन तथा आधुनिक मिश्रित प्रयोगधर्मी स्वरूप तक)
इकाई-2 (12 घंटे)
- प्रमुख लोकनाट्य रूपों का संक्षिप्त परिचयः रासलीला, रामलीला, सांग, नौटंकी, ख्याल, माच, पंडवानी, बिदेसिया ।
इकाई- 3: पाठपरक अध्ययन (12 घंटे)
- नलदमयंती – सांग (लखमीचंद)
इकाई- 4 : पाठपरक अध्ययन (9 घंटे)
- राजयोगी भरथरी – सिद्धेश्वर सेन
सहायक ग्रंथः
- हिंदी साहित्य का वृहत इतिहास सोलहवां भाग, राहुल सांकृत्यायन, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी।
- भारतीय लोकनाट्य- वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी, वाणी प्रकाशन, दिल्ली।
- भारतीय लोक साहित्य: परंपरा और परिदृश्य-विद्या सिन्हा, प्रकाशन विभाग, नई दिल्ली।
- लखमीचंद ग्रंथावली, हरियाणा साहित्य अकादमी।
- लोक साहित्य : पाठ और परख विद्या सिन्हा, आरुषि प्रकाशन, नोएडा।
- भिखारी ठाकुर रचनावली- (संपादक) प्रो. वीरेंद्र नारायण यादव, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना।
- परंपराशीलनाट्य-जगदीशचंद्रमाथुर, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना।
- हमारे लोकधर्मीनाट्य-श्याम परमार, लोकरंग, उयदयपुर, राजस्थान।
- पारंपरिक भारतीय रंगमंच: अनंत धाराएँ-कपिला वात्स्यायन।
समस्टर -IV
पर्यावरण और हिंदी साहित्य
Elective Course – DSE5
Course Title & Code | Credits | Lecture | Tutorial | Practical | Eligibility Criteria | Pre-Requisite of the Course |
पर्यावरण और हिंदी साहित्य (DSE 5) | 4 | 3 | 1 | 0 | हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण | NIL |
पाठ्यक्रम के उद्देश्य (Course Objectives):
- विद्यार्थियों में पर्यावरण बोध का प्रसार करना।
- हिंदी साहित्य में पर्यावरण चेतना को बताना।
- पर्यावरण और जीवन के अन्योन्याश्रय संबंधों को समझाना।
पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):
- विद्यार्थी पर्यावरण के विभिन्न आयामों से परिचित होंगे।
- हिंदी साहित्य में अभिव्यक्त पर्यावरण चेतना को जानेंगे।
- पर्यावरण और जीव जगत के अंतर्संबंधों को समझेंगे।
इकाई 1 : पर्यावरण-चिंतन : अवधारणा का विकास (12 घंटे)
- प्रकृति, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी अवधारणा और महत्त्व
- विकास की अवधारणा
- विकास की गांधी-दृष्टि
- धारणीय (Sustainable) विकास की अवधारणा
इकाई 2 : हिंदी कविता में प्रकृति (12 घंटे)
- पृथ्वी-रोदन : हरिवंशराय बच्चन
- सतपुड़ा के घने जंगल : भवानी प्रसाद मिश्र
इकाई 3 : कथा साहित्य में प्रकृति और पर्यावरण (12 घंटे)
- परती परिकथा (निर्धारित अंश) : फणीश्वर नाथ रेणु
- बाबा बटेसर नाथ (निर्धारित अंश) : नागार्जुन
- कुइयाँ जान (अंश): नासिरा शर्मा
- नया मन्वंतर (नाटक) – चिरंजीत
इकाई 4 : कथेतर में प्रकृति-चेतना (9घंटे)
- सुलगती टहनी : निर्मल वर्मा
- हल्दी – दूब और दधि – अक्षत : विद्यानिवास मिश्र
- आज भी खरे है तालाब (अंश) : अनुपम मिश्र
सहायक ग्रंथः
- राजस्थान की रजत बूँदें- अनुपम मिश्र, गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली।
- विकास और पर्यावरण- सुभाष शर्मा, प्रकाशन विभाग, सूचना प्रसारण मंत्रालय, नई दिल्ली।
- जल, थल, मल – सोपान जोशी, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
- लोग क्यों करते हैं प्रतिरोध – सुभाष शर्मा, प्रकाशन विभाग, नई दिल्ली।
- साफ माथे का समाज – अनुपम मिश्र, पेंग्विन इंडिया, नई दिल्ली।
- विचार का कपड़ा – अनुपम मिश्र, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली।
- तालाब झारखंड – हेमंत, नई किताब प्रकाशन, नई दिल्ली।
- अहिंसक अर्थव्यवस्था नंदकिशोर आचार्य, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ।
- गांधी हैं विकल्प – नंदकिशोर आचार्य, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर।
समस्टर -IV
जनसंचार माध्यमऔर तकनीक
Elective Course – DSE6
Course Title & Code | Credits | Lecture | Tutorial | Practical | Eligibility Criteria | Pre-Requisite of the Course |
जनसंचार माध्यमऔर तकनीक (DSE 6) | 4 | 3 | 1 | 0 | हिन्दी के साथ 12वीं में उत्तीर्ण | NIL |
पाठ्यक्रम के उद्देश्य (Course Objectives):
- विद्यार्थियों को जनसंचार माध्यमों के विस्तृत क्षेत्र से परिचित कराना।
- जनसंचार माध्यमों में प्रयुक्त तकनीक का ज्ञान देना।
- जनसंचार माध्यम और तकनीक से जुड़ी आचार संहिताओं का बोध कराना।
पाठ्यक्रम अध्ययन के परिणाम (Course Learning Outcomes):
- विद्यार्थी जनसंचार के विभिन्न माध्यमों की पहुँच और प्रसार क्षमता से परिचित होंगे।
- जनसंचार माध्यमों में प्रयुक्त तकनीकी पक्ष को जान पायेंगे।
- फेक न्यूज आदि से बचने के लिए इंटरनेट से जुड़ी आचार संहिताओं का सही ज्ञान होगा।
इकाई-1: जनसंचार : स्वरूपएवं अवधारणा (12 घंटे)
- जनसंचार: अर्थ, परिभाषाव स्वरूप
- जनसंचारकेउद्देश्य
- जनसंचारका प्रसार एवं महत्त्व
- जनसंचार के प्रकार
इकाई-2 : जनसंचार केमाध्यम (12 घंटे)
- प्रिंट, रेडियोऔरटेलीविज़न
- डिजिटल माध्यम
- सोशलमीडिया-फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम
- सोशलनेटवर्किंगसाइट्सतथा अन्यमाध्यम
इकाई-3 : जनसंचार : तकनीकी पक्ष (12घंटे)
- जनसंचार तथा सूचना तकनीक
- इंटरनेट पत्रकारिता
- ब्लॉग
- न्यू मीडिया
इकाई 4 : जनसंचार और लोकतंत्र (9 घंटे)
- जनसंचार माध्यमों का प्रयोग और नागरिक की ज़िम्मेदारी
- आपात स्थितियों में जनसंचार की भूमिका
- प्रेस कानून : सामान्य परिचय
- साइबर कानून : सामान्य परिचय
सहायक ग्रंथः
- भूमंडलीकरण और मीडिया – कुमुद शर्मा।
- जनसंचार माध्यम : भाषा और साहित्य-सुधीश पचौरी।
- जनसंचार – हरीश अरोड़ा, युवा साहित्य चेतना मंडल, नई दिल्ली।
- जनसंचार माध्यमों का राजनीतिक चरित्र जवरीमल्ल पारख।
- इंटरनेट पत्रकारिता – सुरेश कुमार।
- सोशल नेटवर्किंग : नए समय का संवाद (संपादक) संजय द्विवेदी।
- वर्चुअल रिएलिटि और इंटरनेट- जगदीश्वर चतुर्वेदी।
- सोशल मीडिया और ब्लॉग लेखन-स्नेहलता।
- नए माध्यम, नई हिंदी-प्रो. हरिमोहन।
- सोशल मीडिया-स्वर्ण सुमन।
- मीडिया और बाज़ार – वर्तिकानंदा।
- संचारक्रांति और बदलता सामाजिक सौंदर्य बोध-कृष्णकुमाररत्तू।