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सोशल मीडिया के प्रकार

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सोशल मीडिया इन दिनों लोकप्रियता के सोपान चढ़ रही है। पिछले एक दशक में कई बड़ी खबरें सोशल मीडिया के माध्यम से लाइमलाइट में आयी है। इस बात का लगातार आकलन किया जा रहा है कि आने वाले समय में प्रिंट, टेलीविजन जैसे परंपरागत माध्यमों को प्रासंगिक व्यवहार करना होगा। विश्वभर में लगभग 200 सोशल नेटवर्किंग साइट्स है जिनमें फेसबुक, ट्विटर, आर्कुट, माई स्पेस, लिंक्डइन, फ्लिकर, इंस्टाग्राम सबसे अधिक लोकप्रिय है।
विश्वभर में लगभग 200 सोशल नेटवर्किंग साइट्स है जिनमें फेसबुक, ट्विटर, आर्कुट, माई स्पेस, लिंक्डइन, फ्लिकर, इंस्टाग्राम सबसे अधिक लोकप्रिय है। सोशल मीडिया इन दिनों लोकप्रियता की सीढ़ियाँ चढ़ रहा है। पिछले एक दशक में कई बड़ी खबरें सोशल मीडिया के माध्यम से लाइमलाइट में आयी है। इस बात का लगातार आकलन किया जा रहा है कि आने वाले समय में प्रिंट, टेलीविजन जैसे परंपरागत माध्यमों को समय अनुसार अपने आप को बदलना होगा।

(1) विकिपीडिया

विकीपीडिया एक निशुल्क, वेब आधारित और सहयोगी बहुभाषी विश्वकोश है, जो गैर लाभ विकीमीडिया फाउंडेशन से सहयोग प्राप्त परियोजना में उत्पन्न हुआ इसका नाम दो शब्दों विकी (विकी यह सहयोगी वेबसाइटों के निर्माण की एक तकनीक है और एनसाइक्लोपीडिया का संयोजन है। यह एक हवाई शब्द विकी है जिसका अर्थ है ‘जल्दी’। दुनियाभर में स्वयं सेवकों के सहयोग से विकिपीडिया के ” 1.3 करोड़ लेख लिखे गए हैं और इसके लगभग सभी लेखों को वह कोई भी व्यक्ति संपादित कर सकता है, जो विकिपीडिया वेबसाइट का उपयोग कर सकता है। इसे जनवरी 2001 में जिम्मी वेल्स और लैरी सैंगर के द्वारा प्रारंभ किया गया। यह वर्तमान में इंटरनेट पर सबसे लोकप्रिय संदर्भित कार्य है। विकीपीडिया विश्व की कई प्रमुख भाषाओं में सेवा उपलब्ध करा रहा है।

(2) ब्लॉग

‘ब्लॉग’ शब्द ‘वेब’ और ‘लॉग’ द्वारा मिलकर बने शब्द ‘वेबलॉग’ का संक्षिप्त रूप है। इसकी शुरुआत 1994 में जस्टिन हॉल ने आनलाइन डायरी के रूप में की थी। जबकि पहली बार ‘वेबलॉग’ शब्द का प्रयोग 1997 में जॉन बर्जन ने किया था। ब्लॉग का अर्थ एक प्रकार की वेबसाइट से है जिसे लोग डिजिटल डायरी की तरह उपयोग करते हैं। इस पर वे अपना अनुभव, अपने विचार और जानकारियाँ, टेक्स्ट, इमेल, विडिओ आदि के माध्यम से लोगों के साथ साझा करते हैं। ब्लॉग के कंटेट को ब्लॉग पोस्ट कहा जाता है। ब्लॉग यूजर्स को अपनी ऑनलाइन पहचान बनाने और नियंत्रित करने की अनुमति देता है।

(3) प्रमुख सोशल नेटवर्किंग साइट्स

फेसबुक, ट्विटर, लिंक्ड इन, फ्लिकर, गूगल प्लस, टू, माईस्पेस, वे इन्स्टाग्राम, विण्डोज लाइव मैसेंजर, ऑर्कुट, गूगल, व्हाट्सएप्प व नेट लॉग के साथ ही यूट्यूब भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स में गिने जाते हैं। इनके अलावा वाडू, ग अड्डा, ब्लैक प्लेनेट, ब्लांक, बजनेट, क्लासमेट्स डॉट काम, कोजी कॉट, फोटो लॉग, फ्रैंडिका, हॉटलिस्ट, आईबीबो, इंडिया टाइम्स, निंग, फ्रांस के हाब्बो, स्काइप, बीबी, वीकोण्टैक्ट, सहित 100 से अधिक सोशल नेटवर्किंग साइट भी दुनिया में प्रचलित हैं। बहरहाल, अपने अच्छे-बुरे प्रभावों के बावजूद आज सोशल साइट्स आमतौर पर इंटरनेट व कंप्यूटर का प्रयोग करने वाले बड़ी संख्या में लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गये हैं। एक बार लोग इन्हें प्रयोग करने के बाद थोड़ी-थोड़ी देर में यहां अपनी पोस्ट पर आने वाली टिप्पणियों को देखने से स्वयं को रोक नहीं पाते। यह अलग बात है कि बहुत लोग इनका प्रयोग अपने अच्छे-बुरे विचारों के प्रसार के लिये कर रहे हैं तो अन्य इनके जरिये अपने समय और धन का दुरुपयोग भी कर रहे हैं।
कुछ लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट इस प्रकार है-

  1. फेसबुक फेसबुक एक सोशल नेटवर्किंग साइट है, जिसका आरंभ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक डोरमेट्री में 4 फरवरी 2004 को एक छात्र मार्क जुकेरबर्ग ने किया। तब इसका प्रारंभिक नाम ‘द फेसबुक’ था। कॉलेज नेटवर्किंग के रूप में आरंभ के बाद शीघ्र ही यह कॉलेज परिसर में लोकप्रिय हो गया। कुछ ही महीनों में यह नेटवर्क पूरे यूरोप में पहचाना जाने लगा । अगस्त 2005 में इसका नाम फेसबुक कर दिया गया। धीरे-धीरे उत्तर अमेरीका की सबसे नामचीन स्टेनफोर्ड तथा बोस्टन विश्व विद्यालयों के छात्रों के लिए भी इसकी सदस्यता को खोल दिया गया। बाद में 13 वर्ष की आयु से ऊपर के व्यक्ति के लिए फेसबुक की सदस्यता स्वीकृत हुई। सन 2009 तक आते-आते फेसबुक सर्वाधिक उपयोग में ली जानेवाली, व्यक्ति से व्यक्ति के सम्पर्क की वेब साईट बन चुकी थी । ट्विटर पर 140 कैरेक्टर के ‘स्टेट्स मैसेज अपडेट’ को अनगिनत सदस्यों के मोबाइल और कंप्यूटरों तक भेजने की सुविधा थी, जबकि फेसबुक पर सदस्य 5000 लोगों को ही अपने प्रोफाइल के साथ जोड़ सकते हैं या मित्र बना सकते हैं।
  2. ट्विटर – ट्विटर की शुरुआत इंटरनेट पर 21 मार्च 2006 में हुई। ट्विटर मूलतः एक मुफ्त लघु संदेश सेवा ( SMS ) व माइक्रो-ब्लॉगिंग तरह की सोशल मीडिया सेवा है जो अपने उपयोगकर्ताओं को अपनी अद्यतन जानकारियां, जिन्हें ट्वीट्स कहते हैं, एक दूसरे को भेजने और पढ़ने की सुविधा देता है। इस कारण यह टेक-सेवी यानी आधुनिक संचार माध्यमों का प्रयोग करने वाले उपभोक्ताओं, विशेषकर युवाओं में खासी लोकप्रिय हो चुकी है। प्रारंभ में ट्वीट्स अधिकतम 140 अक्षरों तक के होते थे, जो उपयोगकर्ता प्रेषक के द्वारा भेजे जाते हैं अब इसकी सीमा समाप्त कर दी गयी है । इन्हें उपयोगकर्ता के फॉलोअर देख और दुबारा प्रेषित (रीट्वीट) कर सकते हैं। चूंकि केवल फॉलोअर ही किसी के ट्वीट्स को देख सकते हैं, इसलिए ट्विटर पर उपयोगकर्ताओं को फॉलो करने की होड़ रहती है, और लोगों की प्रसिद्धि उनके फोलोवर्स की संख्या के रूप में दिखाई देती है। हालाँकि ट्विटर यह सुविधा भी देता है कि इसके उपयोगकर्ता अपने ट्वीट्स को अपने फोलोवर्स मित्रों तक सीमित कर सकते हैं, या डिफॉल्ट विकल्प में मुक्त उपयोग की अनुमति भी दे सकते हैं। उपयोगकर्ता ट्विटर वेबसाइट या, या बाह्य अनुप्रयोगों के माध्यम से भी ट्वीट्स भेज और प्राप्त कर सकते हैं। इंटरनेट पर यह सेवा निःशुल्क है, लेकिन एसएमएस के उपयोग के लिए फोन सेवा प्रदाता को शुल्क देना पड़ सकता है। ट्विटर कई सामाजिक नेटवर्क माध्यमों जैसे माइस्पेस और फेसबुक पर भी काफी प्रसिद्ध हो चुका है।
    ट्विटर उपयोगकर्ता वेब ब्राउजर के साथ ही ईमेल और फेसबुक जैसे वेब एप्लीकेशन्स से भी अपने ट्विटर खाते को अपडेट कर सकते हैं। हाल के दौर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर शशि थरूर, ऋतिक रोशन, सचिन तेंदुलकर, अभिषेक बच्चन, शाहरुख खान, आदि भी ट्विटर पर दिखाई दिये हैं। अभी तक यह सेवा अंग्रेजी में ही उपलब्ध थी, किन्तु अब इसमें हिन्दी, स्पेनिश, जापानी, जर्मन, फ्रेंच और इतालवी सहित अन्य भाषाएं भी उपलब्ध होने लगी हैं।
  3. यू-ट्यूब – यू-ट्यूब अमेरिका का, एक वीडियो देखने वाला प्लेटफॉर्म है, जिसमें पंजीकृत सदस्य वीडियो क्लिप देखने के साथ ही अपना वीडियो – अपलोड भी कर सकते हैं। इसे पेपैल के तीन पूर्व कर्मचारियों – चाड हर्ले, स्टीव चौन और जावेद करीम ने मिलकर फरवरी 2005 में बनाया या, जिसे नवम्बर 2006 में गूगल ने 1.65 अमेरिकी डॉलर में खरीद लिया।
    यूट्यूब, अपने पंजीकृत सदस्यों को वीडियो अपलोड करने, देखने, शेयर करने, पसंदीदा वीडियो के रूप में जोड़ने, रिपोर्ट करने, टिप्पणी करने और दूसरे सदस्यों के चैनल की सदस्यता लेने की सुविधा देता है । लेकिन लोग सबसे ज्यादा इसका इस्तेमाल विडियो देखने के लिए करते हैं। यूट्यूब ऑनलाइन विडियो अपलोड करने और लगभग हर प्रकार की सामग्री वाले विडियो देखने का सबसे आसान तरीका है। हम तथ्यों, खाना पकाने, दैनिक ब्लॉगिंग या पूरी तरह से अध्ययन सामग्री जैसी किसी भी सामग्री के विडियो साझा (शेयर) कर सकते हैं । विडियो के आकार या सामग्री की कोई सीमा नहीं है और साथ ही हम किसी भी प्रकार के वीडियो खोज सकते हैं।
  4. इन्स्टाग्राम – इसे बनाने वाले हैं केविन सिस्ट्रोम और माइक क्रीगर । जिन्होंने इसे लोगों के इस्तेमाल के लिए डिजाइन और प्रस्तुत किया। बाद में इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखकर फेसबुक ने इसे सन 2012 में पूरी तरह से खरीद लिया।
    इस ऐप का मुख्य उद्देश्य था यूजर्स को फोटो लेने के लिए प्रेरित करना । उसमें फिल्टर ऐड कर, एक अच्छा सा कैप्शन लिख, उसे अपने एकाउंट में पोस्ट कर सकें।
    ऐसा करने से जितने भी फ्रेन्डस या फोलोअर इन्स्टाग्राम प्रोफाइल में होते हैं, उन्हें उनके इसके विषय में नोटिफिकेशन चला जाता है। जिसे वे चाहें तो लाइक कर सकते हैं। ज्यादा लाइक होने पर इन्स्टाग्राम वो पोस्ट ज्यादा समय तक ऊपर ही रहता है। यदि हम पहले के इन्स्टाग्राम को अभी के से तुलना करें तब हम पाएंगे कि पहले का इन्स्टाग्राम बहुत ही सिंपल होता था, ज्यादा फीचर्स नहीं होते थे। वहीं अभी के इन्स्टाग्राम में ऐसे बहुत से फीचर्स मिलेंगे जो पहले नहीं हुआ करते थे, साथ में ज्यादा फिल्टर्स इत्यादि भी देखने को मिलेंगे। इसके अलावा अब विडियो भी आप पोस्ट कर सकते हैं लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है।
  5. इंटरनेट- यह आधुनिक और उच्च तकनीकी विज्ञान का आविष्कार है। यह एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटरों का एक ऐसा विश्वव्यापी नेटवर्क या जाल है, जो अति विशाल सूचना संग्राहक और वितरक है। यह जानकारियों का बड़ा संग्रह है जिसमें घरेलू, व्यापारिक, शैक्षिक और सरकारी आदि लाखों वेबसाइट्स हैं। इंटरनेट की खोज के पीछे कई लोगों का हाथ है। सबसे पहले लियोनार्ड क्लेरॉक (leonard kleinrock) ने इंटरनेट बनाने की योजना बनायी। बाद में 1962 में जे. सी. आर. लिकलिडर (J.C.R. licklider) ने उस योजना के साथ रॉबर्ट टेलर (Robert ) की मदद से एक नेटवर्क बनाया जिसका नाम आरपैनेट ( ARPANET) था। यह इंटरनेट का प्रारंभिक रूप था। इसे तैयार करने के पीछे उनका उद्देश्य था कि कंप्यूटर का एक ऐसा जाल हो जिसमें आँकड़े, आदेश और सूचनाएँ भेजी जा सकें। 1969 में अमेरिकी रक्षा विभाग के द्वारा स्टेनफोर्ड अनुसंधान संस्थान के कंप्यूटरों की नेटवर्किंग करके इंटरनेट की संरचना की गयी। 1972 में बॉब कॉहन ने अंतर्राष्ट्रीय कंप्यूटर संचार सम्मेलन में इसका पहला सजीव प्रदर्शन किया और 1979 में ब्रिटिश डाकघरों का पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बना कर इस नयी प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना आरंभ किया गया। अमेरिकी सेना की सूचना और अनुसंधान संबंधी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए 1973 में ‘यू एस एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी’ ने कंप्यूटरों के द्वारा विभिन्न प्रकार की तकनीकी और प्रौद्योगिकी को एक दूसरे से जोड़कर एक नेटवर्क बनाने तथा संचार संबंधी मूल बातों (कम्यूनिकेशन प्रोटोकॉल) को एकसाथ एक ही समय में अनेक कंप्यूटरों पर नेटवर्क के माध्यम से देखे और पढ़े जाने के उद्देश्य से एक कार्यक्रम की शुरुआत की। इसे ‘इंटरनेटिंग प्रोजेक्ट’ नाम दिया गया जो आगे चलकर ‘इंटरनेट’ नाम से जाना जाने लगा। 1980 के दशक के अंत तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्क सेवाओं एवं इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई और इसका इस्तेमाल व्यापारिक गतिविधियों के लिए भी किया जाने लगा। 1989-90 में टिम बेर्नर ली ने इंटरनेट पर संचार को सरल बनाने के लिए ब्राउजरों, पन्नों और लिंक का उपयोग करके विश्वयापी वेब Www से परिचित कराया। 1991 के अंत तक इंटरनेट इतना विकसित हो गया कि इसमें तीन दर्जन देशों के पाँच हजार नेटवर्क शामिल हो गये और इंटरनेट की पहुँच सात लाख कंप्यूटरों तक हो गयी तथा चार करोड़ उपभोक्ताओं ने इससे लाभ उठाना शुरू कर दिया।
    भारत में इंटरनेट पहली बार 15 अगस्त 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) द्वारा आरंभ किया गया था। वैसे यह भारत में 1980 में ही चुका था जब एजुकेशनल रिसर्च नेटवर्क ने इंटरनेट की उपलब्धियाँ भारत सरकार के सामने रखीं जिसे सरकार, इलेक्ट्रॉनिक विभाग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की ओर से प्रोत्साहन मिला। इंटरनेट पर सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए जिस नियम का उपयोग होता है उसे TCP (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल) अथवा IP (इंटरनेट प्रोटोकॉल) कहते हैं। वर्ल्ड वाइड वेब को इंटरनेट का सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। मौजूदा समय में इंटरनेट का प्रयोग जीवन के सभी क्षेत्रों जैसे सोशल मीडिया, ई-मेल, बैकिंग, शिक्षा, ट्रेन, इंफार्मेशन, रिजर्वेशन, ऑनलाइन शॉपिंग, बीमा, घर बैठे विभिन्न बिल जमा करना, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा अन्य सेवाओं के लिए किया जा रहा है।
  6. लिंक्ड-इन – यह एक व्यापारिक सामाजिक नेटवर्क है जिसकी स्थापना 28 दिसंबर 2002 को हुई तथा इसे मई 2003 में लॉन्च किया गया। यह नेटवर्क पेशेवर व्यक्तियों और कंपनियों को एक दूसरे से जोड़ता है। इसके सदस्यों द्वारा इसका उपयोग नौकरी खोजने तथा विभिन्न कंपनियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस तरह यह नेटवर्क प्रोफेशनल लोगों की मदद करता है ताकि वे अपना काम और बेहतर ढंग से कर सकें । यहाँ प्रोफेशनल लोग अपने कार्यानुभव, अपनी शैक्षिक व अन्य योग्यताएँ जो उनके करियर से संबंधित हों – उन्हें यहाँ साझा करते हैं। इस तरह व्यवसायी और कर्मचारी एक-दूसरे के साथ जुड़ पाते हैं। इस प्लेटफॉर्म से कोई व्यक्ति अपनी रुचि और योग्यतानुसार नौकरी ढूँढ़ सकता है और सीधे कंपनी से संपर्क भी कर सकता है तो कोई व्यवसायी भी अपने व्यवसाय की वृद्धि हेतु और अपनी कंपनी के लिए उपयुक्त कर्मचारी की नियुक्ति की खातिर इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकता है।
  7. ) स्नैपचैट – यह भी फेसबुक, व्हाट्सऐप तथा ट्विटर की तरह एक सोशल नेटवर्क प्लेटफॉर्म है। इस ऐप पर भी फोटो और वीडियो शेयर किये जा सकते हैं। परंतु यह बाकी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से इस अर्थ में भिन्न है, क्योंकि इसमें जो फोटो और वीडियो साझा किये जाते हैं, उनकी एक निश्चित कालावधि होती है और उस नियत समय सीमा के बाद वे फोटो और वीडियो अपने आप डिलीट हो जाते हैं। इस सोशल नेटवर्किंग ऐप को वर्ष 2011 में पेश किया गया था जिसमें फोटो और वीडियो शेयर करने के साथ-साथ फोटो क्लिक करने के बाद उसे एडिट (Edit) और फिल्टर (Filter) करने के लिए विकल्प भी दिया जाता है। स्नैपचैट में वीडियो चैट की सुविधा भी है। इस ऐप्लीकेशन में मौजूद ‘हियर’ विकल्प पर क्लिक करने पर यदि चुने गये उपयोगकर्ता का चैट विंडो खुला होगा, तो उसे इसकी सूचना मिल जाती है। सूचना पाने वाला यूजर भी यदि इस विकल्प को चुन लेता है तो दोनों उपयोगकर्ताओं के बीच वीडियो चैटिंग हो सकती है। चैट खत्म होने के बाद यह पूरी तरह से ऐप्लीकेशन से हट जाता है। यहाँ उपयोगकर्ता द्वारा चुने गये लोग ही उसे संदेश भेज सकते हैं, साथ ही वह अपनी स्नैपचैट स्टोरी को भी केवल उन्हीं से साझा कर सकता है, जिनसे वह करना चाहता है। स्नैपचैट स्टोरी 24 घंटे के लिए अपडेट रहती है, और इस अंतराल में उसे कई बार देखा जा सकता है। 24 घंटे के बाद कोई भी स्टोरी स्वयं डिलीट हो जाती है। इसके सभी उपयोगकर्ता प्राइवेट सेटिंग में जाकर यह तय कर सकते हैं कि उनकी स्टोरी को कौन देख सकता है और कौन नहीं। इसकी सहायता से एक स्नैपचैट यूजर अपने दिनभर की कहानी को एक बार में कह सकता है। इससे अपने मित्रों को यह बताने में आसानी रहती है कि पिछले 24 घंटों में यूजर ने कौन-कौन से दिलचस्प काम किये हैं। वर्तमान में किशोरों और युवाओं में यह ऐप बेहद लोकप्रिय है।
  8. हैशटैग – तकनीक शब्दों, संकेतों और प्रतीकों के अर्थ बदल देती है। ऐसा ही एक सांकेतिक अक्षर अथवा चिह्न है हैशटैग यह सोशल मीडिया पर समान वाक्य, विषय अथवा संदेश को वर्गीकृत करने वाला एक तकनीकी रूप है। इसका उपयोग सोशल मीडिया पर संबंधित सूचनाओं को # चिह्न की सहायता से एकीकृत करने के लिए होता है। सोशल मीडिया की किसी पोस्ट पर किसी शब्द के आगे # लगा दिया जाए तो वह उस शब्द को पुनः निर्दिष्ट करता है। यानी वह शब्द जिसके आगे # का चिह्न लगाया गया है, वह एक लिंक में बदल जाता है। जब भी कोई व्यक्ति उस हैशटैग # पर क्लिक करेगा तो उस शब्द से संबंधित सारी पोस्ट उसे दिख जाएँगी। जैसे-‘काँग्रेस ने भारत पर बहुत राज कर लिया अब # भाजपा सत्ता में आ रही है तो अब # भाजपा की ही सरकार चलेगी।’ यहाँ भाजपा शब्द के आगे # हैशटैग लगाया गया है। जब कोई भी इस शब्द पर क्लिक करेगा तो फेसबुक अथवा ट्विटर पर की गयी उस पोस्ट पर भाजपा से संबंधित सारी पोस्ट उसे दिख जाएँगी। ट्विटर पहली ऐसी वेबसाइट है जिसने अपने प्लेटफॉर्म पर हैशटैग की शुरुआत की थी । ट्विटर प्रयोक्ता क्रिस मैसिना ने 23 अगस्त 2007 को अपने एक ट्वीट में सर्वप्रथम हैशटैग का इस्तेमाल किया था और तब से यह / की ही तरह डिजिटल सिंबल बन गया है । हैशटैग के जरिये समान विषय में इच्छुक लोगों से संपर्क किया जा सकता है। इसके जरिये संदेश को फॉलोअर्स से आगे ले जाया जा सकता है। माना जाता है कि जिन ट्वीट्स में हैशटैग का इस्तेमाल होता है, उन्हें सामान्य ट्वीट संदेशों से अधिक तवज्जो दी जाती है।
    वर्तमान में हैशटैग दबाव समूह की भूमिका अदा कर रहा है। मीडिया एक्सपर्ट पीयूष पांडे का कहना है कि ‘हैशटैग क्रांति ने आम आदमी को बड़ी बहस का हिस्सा बनने का मौका दिया है और यही सोशल मीडिया की ताकत है।’ हैशटैग हर एक को किसी भी विमर्श की मुख्यधारा से जुड़ने का मौका देता है। हैशटैग ने कई मुद्दों और आंदोलनों को न केवल मजबूत किया है बल्कि एक नया विस्तार भी दिया है। भाषा की दृष्टि से बाध्यता यहाँ अब नहीं रही। ट्विटर ने वर्ष 2014 में देवनागरी में भी हैशटैग की सुविधा दे दी। वर्तमान में हिन्दी के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी हैशटैग किये जा रहे हैं। नकारात्मक रूप में माना जाता है कि हैशटैग सोशल मीडिया पर एक भेड़चाल प्रवृत्ति को भी बढ़ावा देता है। अतः जरूरत इस बात की है कि हैशटैग की गंभीरता को समझ कर उसका प्रयोग किया जाए।
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  1. […] सोशल मीडिया के प्रकार […]

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