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सोशल मीडिया का प्रभाव और महत्त्व

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भूमिका

सूचना तकनीक के तीव्र विकास ने सूचना क्रांति को जन्म दिया है। इस सूचना क्रांति के महत्त्वपूर्ण अंग इंटरनेट और इंटरनेट आधारित सूचना उपकरणों ने मनुष्य जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। पिछले दो दशकों से इंटरनेट ने हमारी जीवनशैली को बदल कर रख दिया है और हमारी जरूरतें, कार्यप्रणाली, अभिरुचि और यहां तक कि हमारे मेल-मिलाप और संबंधों के ताने-बाने को रचने में कंप्यूटर और इंटरनेट ही बहुत हद तक जिम्मेदार है। मानव व्यवहार मीडिया पर निर्भर हो रहा है। वर्तमान मीडिया मानव स्वभाव, दृष्टि, विवेक, ज्ञान, संवेदना, स्मरण, सहनशीलता और व्यवहार आदि पर गहरा प्रभाव उत्पन्न कर रहा है।
जिस प्रकार हर सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक उसी प्रकार सोशल मीडिया के भी सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव हैं।

सकारात्मक प्रभाव

  1. संपर्कों का दायरा बढ़ाते हुए अधिकाधिक लोगों तक अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं ।
  2. अपने विचार, फोटो और वीडियो चाहे तो पूरी दुनिया या अपने दोस्तों के बीच साझा कर सकते हैं।
  3. सोशल मीडिया पर त्वरित प्रतिक्रिया – टू-वे कम्युनिकेशन भी प्राप्त कर पाते हैं।
  4. अपने विचारों का ब्लॉग लिखकर पूरी दुनिया के सामने अपनी बात रख सकते हैं।
  5. वीडियो कॉल के माध्यम से आमने-सामने बैठे जैसे बातें भी कर सकते हैं।
  6. अपनी लिखी सामग्री को ‘लाइब्रेरी’ के रूप में हमेशा के लिए सहेज कर भी रख सकते हैं।
  7. इसे जब चाहे तब स्वयं भी और चाहे तो पूरी दुनिया के लोग भी उपयोगी होने पर सर्च कर प्राप्त कर सकते हैं।
  8. सोशल साइट पूर्व में छूटे दोस्तों को मिलाने और नए वर्चुअल दोस्त बनाने और दुनिया को विश्व ग्राम यानी ‘ग्लोबल विलेज’ बनाने का माध्यम भी बना है।
  9. अपनी बात, विचार बिना किसी रोक-टोक के रख सकते हैं ।
  10. यदि सदुपयोग करें तो सोशल मीडिया ज्ञान प्राप्ति का उत्कृष्ट माध्यम बन सकता है।
  11. इसके माध्यम से मित्रों से उपयोगी सामग्री आसानी से प्राप्त की जा सकती है और सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है।

नकारात्मक प्रभाव

  1. सोशल मीडिया की वजह से आज हमारे जीवन में सूचनाओं की भरमार हो गई है। इसलिए इस दौर में सूचना विस्फोट होने की बात कही जाती है। अधिकांश सूचनाएं अवांछित होती हैं। यहां तक कहा जाने लगा है कि आज का युग सूचनाओं का युग जरूर है पर ज्ञान का नहीं।
  2. विश्वसनीयता का अभाव सोशल मीडिया की सबसे बड़ी कमजोरी है संबंधों एवं दोस्ती में धोखाधड़ी बढ़ रही है।
  3. यदि अधिकांश सूचनाएं अवांछित या अनचाही हो तो निश्चित ही नया मीडिया धन और समय की बर्बादी ही है। इसका उपभोग करने के लिए ‘स्मार्टफोन’ खरीदने से लेकर ‘नेट पैक’ भरवाने में धन तो खर्च होता है साथ ही पल-पल संदेशों के आने पर मूल कार्यों को छोड़कर उनकी ओर ध्यान देना पड़ता है।
  4. शहरी युवाओं को इंटरनेट व सोशल मीडिया की लत सी लग गई है। इंटरनेट की आदत के कारण लोग मोबाइल को आराम देने के लिए ही सो पा रहे हैं । इस तरह यह अपने प्रयोगकर्ताओं को मानसिक रूप से बीमार भी कर रहा है।
  5. सोशल नेटवर्किंग साइट्स अक्सर उपयोगकर्ता की निजी जिंदगी का आईना होती हैं। यही वजह है कि कंपनियां भी आजकल अपने कर्मचारियों की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में जानने के लिए ऐसी सोशल साइट्स में घुसपैठ कर रही है। इस तरह कर्मचारियों की प्राइवेसी खतरे में है।
  6. हिंसा, घृणा, उत्तेजना, उग्रता, अनैतिकता आदि की वृद्धि में जन माध्यमों विशेषकर सोशल मीडिया का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है।
  7. यह माध्यम बड़े पैमाने पर अश्लीलता को बढ़ावा दे रहा है। सोशल मीडिया के कारण व्यक्ति की निजता (प्राइवेसी) भी खतरे में है।
  8. उपयोगकर्ता हैकिंग, आईडेंटिटी की चोरी, फिशिंग अपराध इत्यादि जैसे ‘साइबर अपराधों का शिकार हो सकता है।
  9. यह बच्चों में खराब मानसिक विकास का कारण भी बनता जा रहा है।
  10. कई चिकित्सकों का मानना है कि सोशल मीडिया लोगों में निराशा और चिंता पैदा करने वाला एक कारक है।

सोशल मीडिया का महत्त्व

आज निजी से लेकर सामाजिक जीवन में सोशल मीडिया की बढ़ती भूमिका और प्रभाव को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इन माध्यमों की तात्कालिकता, खुलापन, स्वतंत्र अभिव्यक्ति और बहुपक्षीय संवाद- चर्चा उसकी सबसे बड़ी ताकत है-और यही ताकत इसके आकर्षण का केंद्र है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार भारत के शहरी इलाकों में प्रत्येक चार में से तीर व्यक्ति सोशल मीडिया का किसी न किसी रूप में प्रयोग करते हैं । सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में इंटरनेट सेवाओं का तेजी से विस्तार हो रहा है। विशेषकर स्मार्ट मोबाइल फोन के चलन के कारण इंटरनेट कनेक्शन लेने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ताजा आँकड़ों के अनुसार इस समय देश में 23.1 करोड़ इंटरनेट कनेक्शनधारी शहरी तथा 11.2 करोड़ कनेक्शनधारी ग्रामीण इलाकों में हैं। यही नहीं, सरकार ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट पहुँच बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयासरत है।
सोशल मीडिया लोगों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ उनकी रोजमर्रा की जरूरतों में भी शुमार हो चुका है। आज स्कूल-कॉलेजों में दाखिले की बात हो या विभिन्न संस्थाओं, दफ्तरों में रिक्तियों की सूचना, घर बैठे शॉपिंग करनी हो अथवा मनपसंद खाना मंगवाना हो, रेल या हवाई यात्रा का टिकट बुक कराना हो या देश-प्रदेश, विश्व के किसी कोने में छुट्टियाँ बिताने के लिए होटल की बुकिंग – यह सब कुछ हमारे स्मार्टफोन के क्लिक पर उपस्थित है। खेल-कूद, साहित्य, विज्ञान राजनीति, इतिहास, किसी भी विषय पर जानकारी चाहिए तो गूगल बाबा हाजिर है। आज स्कूल-कॉलेजों के विद्यार्थी अपने गृह कार्य निबटाने अथवा विभिन्न प्रोजेक्ट बनाने के लिए भी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स का इस्तेमाल करते हैं। युवाओं में तो सोशल नेटवर्किंग साइट्स का क्रेज दिनोदिन बढ़ता जा रहा है। भारत में इस समय आबादी के 65 प्रतिशत लोग युवा हैं, जो इतनी बड़ी संख्या में किसी अन्य देश में नहीं हैं। व्हाट्सऐप, ट्विटर, ब्लॉग, यू-ट्यूब और स्नैपचैट जैसे ऐप आज युवाओं के सपनों को नये पंख दे रहे हैं। इनके जरिये वे अपनी समझ, विचारों और चिंतन को सामने ला दुनियाभर में अपनी समान मानसिकता वाले व्यक्तियों के साथ साझेदारी कर रहे हैं। युवाओं में जागरूकता और विचाराभिव्यक्ति को नया आयाम देने का पूरा श्रेय इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स को जाता है।
कविता, कहानी से लेकर चिकित्सा, विज्ञान तक की जानकारी यहाँ उपलब्ध है। राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के लिए यह अपनी बात लोगों के सामने लाने का एक सशक्त औजार है जिस पर सिर्फ अपनी बात रखी ही नहीं जा सकती बल्कि उस पर फीडबैक भी हासिल किया जा सकता है। विभिन्न राजनैतिक दल सोशल मीडिया पर अपनी नीतियों, उपलब्धियों, अपने द्वारा किये गये विकास कार्यक्रमों और भविष्य की योजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुँचा कर जनादेश हासिल करते हैं। जो काम पहले विशाल जनसभाओं द्वारा किया जाता था, अब फेसबुक, ट्विटर जैसे माध्यमों द्वारा सरलता से किया जा रहा है। आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स और इंटरनेट तकनीक ने भारतीय लोकतंत्र की चुनावी संस्कृति को बदल डाला है। राजनैतिक दलों, उनके नेताओं और उनके विचारों के प्रति नजरिया बनाने में ऑनलाइन मीडिया का बड़ी चतुराई से इस्तेमाल किया जा रहा है। नेताओं की लोकप्रियता तथा देश और समाज से जुड़े समसामयिक मुद्दों को लेकर ऑनलाइन सर्वे किये जाते हैं और जनता से सीधे संपर्क साधा जाता है।
अमेरिका, भारत, मिस्र, ईरान समेत दुनिया के कई आम चुनावों में सोशल मीडिया ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। धर्म, राजनीति, बाजार, संस्कृति, कला, साहित्य और क्रांति, कोई भी क्षेत्र आज के नये मीडिया से अछूता नहीं है । विभिन्न समूहों और वर्गों द्वारा अपने-अपने फेसबुक पेज बना कर संस्था की गतिविधियों और कार्यों का प्रचार-प्रसार किया जाता है और समान विचारधारा वाले लोगों को जोड़कर एक मंच पर लाने की चेष्टा की जाती है। विभिन्न सरकारी एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सामाजिक जागरूकता फैलाने में भी नये मीडिया की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। ग्लोबल वार्मिंग, बिजली-पानी संरक्षण, प्रदूषण हो या पेड़ों को बचाने के लिए ‘डिजिटल जंग’ । ऐसे जागरूकता अभियानों द्वारा अधिकाधिक लोगों को जोड़ा जाता है। सरकार द्वारा भी यातायात नियमों, महिला सुरक्षा, बाल और यौन अपराध आदि को लेकर सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान चलाये जाते हैं। । भूकम्प, बाढ़ और सुनामी जैसी संकटकालीन स्थितियों में जनसामान्य है बीच सूचना और जानकारी साझा करने, जनसेवी संस्थाओं द्वारा किये जा रहे राहत कार्यों की जानकारी देने, आपदा में लापता हुए लोगों की छानबीन में सहायता तथा संकट में कैसे लोगों के सहायतार्थ चंदे आदि की अपील भी फेसबुक, व्हाट्सऐप ग्रुप और ट्विटर आदि माध्यम से की जाती है। आपदा के समय आपदा प्रबंधन और स्वयंसेवी संगठनों से जुड़े लोग सोशल मीडिया का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर स्वयंसेवकों को राहत अभियानों से जोड़ते हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य जरूरतमंदों तक आसानी से उपलब्ध कराया जा सके।
ज्ञान-विज्ञान के साथ मनोरंजन के क्षेत्र में भी इसका महत्त्व दिनोंदिन बढ़ रहा है। यू-ट्यूब पर विभिन्न सामाजिक और राजनैतिक विषयों के अतिरिक्त फैशन, सौंदर्य, साहित्य, रसोई आदि से जुड़े वीडियो देखे जा सकते हैं। अब तो अपने-अपने यू-ट्यूब चौनल के जरिये लोग अपना हुनर दिखा कर शोहरत और पैसा दोनों कमा रहे हैं। आज लिंक्डइन जैसी साइटें रोजगार के मुख्य स्रोत के रूप में उभर रही हैं। एक सर्वेक्षण के मुताबिक अब 89 प्रतिशत नियुक्तियाँ लिंक्डइन या कंपनी की वेबसाइट के जरिये ही हो रही हैं। 140 कैरेक्टर्स का ट्वीट देश – विदेश की सूचनाओं के तेजी से प्रसार का अहम हिस्सा है। ट्विटर और ब्लॉग माध्यमों से आम आदमी भी प्रतिष्ठित और प्रभावशाली व्यक्तियों से जुड़ जाता है। इसके जरिये वह उनके विचारों को जान पाता है और उसे नयी जानकारियाँ भी मिलती हैं।
आज निजी से लेकर सार्वजनिक तक, समाज से लेकर राजनीति तक में इसकी बढ़ती भूमिका और प्रभाव को अनदेखा नहीं किया जा सकता और यह भी निश्चित है कि समय के साथ-साथ इसमें अनेक संभावनाएँ विकसित होंगी।

  1. सोशल मीडिया माध्यमों ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विचारों को प्रभावित किया। भारत में पिछले कुछ वर्षों में फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप पर समाज जागरण व आंदोलनों को सफलता मिली। योग, भ्रष्टाचार समाप्त करने, काला धन वापस लाने जैसे मुद्दों को सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिला।
  2. सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक अपने फीचर्स को हर दिन बेहतर बना रही है। बैंकिंग सेवाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए शॉर्ट कोड मैसेज उपलब्ध है। जिसके माध्यम से उपभोक्ता अपने बैंक बैलेंस चेक करने, निकासी, जमा और आपस में फंड ट्रांसफर कर सकते हैं ।
  3. भारत के विभिन्न राज्यों में जनता ने स्मार्टफोन पर घूसखोरों, दलालों, आतंकवादियों, अधिकारियों, कर्मचारियों के गलत कामों का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया जिससे ऐसे गैरकानूनी काम करने वाले पकड़े गए ।
  4. एक ब्रांड बनाना – आज गुणवत्तापूर्ण सामग्री, उत्पाद और सेवाएं आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध हैं। आप अपने उत्पाद की ऑनलाइन मार्केटिंग कर सकते हैं और एक ब्रांड बना सकते हैं।
  5. सोशल मीडिया एक बेहतरीन शैक्षिक उपकरण है ।
  6. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से आप अपने टारगेट ऑडियंस से जुड़ सकते हैं।
  7. यह गुणवत्तापूर्ण जानकारी तक पहुंचाने का एक शानदार तरीका भी है।
  8. सोशल मीडिया आपको समाचार और घटनाओं को केवल एक क्लिक में प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
  9. प्राध्यापक अपने व्याख्यान के लिए स्काइप, ट्विटर और अन्य स्थानों पर लाइव वीडियो चैट कर रहे हैं। इससे छात्रों व शिक्षकों के लिए अपने घरों में बैठकर सीखना और साझा करना आसान हो जाता है। सोशल मीडिया की मदद से शिक्षा कितनी आसान और सुविधाजनक हो सकती है।
  10. छात्र प्रसिद्ध शिक्षकों, प्रोफेसरों और विचारकों द्वारा लिखे ब्लॉक लेख पढ़कर अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं इस तरह अच्छी सामग्री व्यापक दर्शकों तक पहुंच जाती है।
  11. मनोरंजन के तमाम साधनों को पीछे छोड़ते हुए स्मार्टफोन पर ही आपके मन उंगलियों के संयोग से फिल्म, गाने, नाटक, डिस्कवरी चैनल, समाचार, भोजन बनाने की विधि, ऑनलाइन शॉपिंग, गेम्स, कहानियां, कविताएं, खेल और लाफ्टर शो आदि देख सुन सकते हैं।

निष्कर्ष

इस इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सोशल मीडिया के उपकरणों ने मानव जीवन को बहुत प्रभावित किया है। इसके सकारात्मक प्रभाव भी हैं और नकारात्मक प्रभाव भी। ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में इसका प्रयोग बहुत लाभकारी है । लत के रूप में यह सामाजिक जीवन को बहुत गहराई से प्रभावित कर रहा है। आवश्यकता है कि सोशल मीडिया का सही रूप में उपयोग किया जाए।

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