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सम्प्रेषण के विविध आयाम।

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सम्प्रेषण के विविध आयाम से हमारा तात्पर्य सम्प्रेषण के उन माध्यमों से हैं जिनके द्वारा हम सम्प्रेषण करते हैं। प्रायः मौखिक और लिखित सम्प्रेषण की चर्चा सम्प्रेषण के प्रकारों में की जाती है, पर जब इनसे इत्तर सम्प्रेषण विभिन्न माध्यमों से होकर गुजरता है तो उसे हम विविध आयामों में जोड़ लेते हैं। मानव द्वारा मानव सम्प्रेषण एक सीधा संवाद की श्रेणी में आता है पर बदलते युग और तकनीकी विस्तार ने इस पूरे अवधारणा में नए अवधारणाओं को समावेशित कर दिया है।
दरअसल यांत्रिक सम्प्रेषण सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ( Information Communication and Technology) का एक हिस्सा है।
यांत्रिक सम्प्रेषण में किसी यंत्र के माध्यम से सम्प्रेषण किया जाता है। जैसे हम लोग टेलीफोन, मोबाइल, कम्प्यूटर आदि का प्रयोग करते हैं। तो इसके माध्यम से होने वाला सम्प्रेषण यांत्रिक सम्प्रेषण कहलाता है।
यांत्रिक सम्प्रेषण ने ही सम्प्रेषण के आयामों का विस्तार किया है। वैदिक काल में सम्प्रेषण शास्त्रार्थ के माध्यम से होता था। धीरे-धीरे युग बदला और और सम्प्रेषण का आधार कविता कहानियां किस्सा बनने लगी। मध्ययुग को देखें तो वहाँ सम्प्रेषण का आधार केवल और केवल मौखिक ज्यादा है। मध्यकाल के कवियों ने मौखिक सम्प्रेषण के बल पर ही मध्यकाल में आम जन तक अपनी पहुंच बनायी थी। प्राचीन काल से ही गीत, नृत्य, लोकगीत, मेला ठेला, कठपुतली, लोक नाट्य, आदि सम्प्रेषण का महत्त्वपूर्ण साधन रहे हैं। आज तकनीकी युग में इन साधनों का स्थानापन्न होता जा रहा है।
अब रेडियो, टेलीविजन, वॉइस, वीडियो कॉल, मैसेज, इंटरनेट, वाट्स एप्प, ब्लॉग, इंस्टाग्राम, फेसबुक, मेसेंजर, हाइक, लेकिंडन, अब ऐसे तमाम प्लेटफार्म उपलब्ध है जो सम्प्रेषण के प्रमुख प्लेटफॉर्म है और आज सम्प्रेषण के आयामों में विस्तार कर रहे हैं।
प्रौद्योगिकी कोई नई चीज नहीं है यह सदाबहार परिघटना है। प्रत्येक सभ्यता ने समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार किसी न किसी तकनीक का आविष्कार किया। शिक्षा में प्रौद्योगिकी की यात्रा मौखिक संचार से शुरू हुई, लिखित संचार में प्रवेश किया फिर प्रसारण और वीडियो युग से गुजरा और अब कंप्यूटर युग से गुजर रहा है।
वर्ष 1436 में जोहान्स गुटेनवर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस का एक आदिम संस्करण बनाया और वर्ष 1455 में पहली बाइबिल मुद्रित की और बाद में दो शताब्दियों के बाद स्टीफन डेने ने अमेरिका में पहला प्रिंटिंग प्रेस लाया और किताबें छापना शुरू किया। इस अवधि के दौरान अमेरिकी बसने वालों ने हॉर्नबुक का उन्नत संस्करण विकसित किया जो एक छोटा लकड़ी का चप्पू के आकार का उपकरण था। वर्ष 1690 में स्कूली शिक्षा में सबसे लोकप्रिय मुद्रित पुस्तक न्यू इंग्लैंड प्राइमर थी, बाद में अगली पीढ़ी के लिखित ग्रंथ वेबस्टर की स्पेलिंग बुक और मैकगफी रीडर्स थे। वर्ष 1870 में मैजिक लैंटर्न का आविष्कार किया गया था जो कांच पर छवियों को प्रोजेक्ट करता है। इन त्रि-आयामी उपकरणों का उपयोग स्कूलों और कॉलेजों द्वारा चित्र दिखाने के लिए किया जाता था। वर्ष 1889 में फिल्म स्ट्रिप प्रोजेक्टर, काइनेटोस्कोप का आविष्कार किया गया था और वर्ष 1902 में लंदन के चार्ल्स अर्बन ने अपनी पहली शैक्षिक फिल्मों का प्रदर्शन किया। सभी फिल्में सूक्ष्मदर्शी, धीमी गति और समुद्ध के नीचे के दृश्य वाली थीं। सन् 1920 में रेडियो ने शिक्षा व्यवस्था में प्रवेश कियाय 1930 के दशक में ओवरहेड प्रोजेक्टर सैन्य शिक्षण का हिस्सा बन गए।
व्यवहार मनोविज्ञान द्वारा वर्ष 1960 में शिक्षण मशीन की शुरुआत की गई। क्रमादेशित निर्देश पर 1950 और 1960 के दशक की अवधि के दौरान कंप्यूटर और शैक्षिक सॉफ्टवेयर में अनुसंधान ने उन्नत शिक्षण प्रणाली के विकास की नींव रखी। वर्ष 1960 में पहली बार शिक्षा में व्यक्तिगत निर्देश के रूप में कंप्यूटर का उपयोग किया गया था जिसे कंप्यूटर सहायक निर्देश (CAI) के रूप में जाना जाता है। वर्तमान युग में आधुनिक तकनीक का उपयोग शिक्षा सीएएल/सीबीटी / सीएआई के माध्यम से शुरू हुई फिर यह मल्टीमीडिया कोर्सवेयर में चली गई और वेब आधारित निर्देश और कंप्यूटर मध्यस्थता संचार (सीएमसी) प्रणाली को जाना। वर्तमान शैक्षिक प्रौद्योगिकी में से अधिकांश परसेप्चुअल लर्निंग मॉड्यूल्स (PLM), इमर्जिंग लर्निंग टेक्नोलॉजीज (ELT), लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (LMS) हैं, क्लाउड टेक्नोलॉजी व्यापक रूप से स्वीकृत हैं और शैक्षिक तकनीकों का उपयोग करती हैं।

शिक्षा प्रणाली

यह प्रणाली ऑनलाइन सहयोग और संचार उपकरण है। यह भौगोलिक स्थिति के बावजूद एक ही समय में सभी शैक्षणिक प्रतिभागियों को ऑनलाइन सहयोग और संचार करने की सुविधा प्रदान करता है। वर्तमान में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले कुछ ओपन सोर्स एलएमएस ब्लैकबोर्ड लर्निंग सिस्टम, व्हाइटबोर्ड, शेयर पॉइंट एलएमएस, सकाई, मूडल और एंजेल लर्निंग मैनेजमेंट सूट हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली एलएमएस के साथ घनिष्ठ रूप से एकीकृत है जो ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रबंधन, संचार और सहयोग उपकरणों को जोड़ती है जिसमें सामान्य रूप से चर्चा मंच, फाइल एक्सचेंज, ईमेल, ऑनलाइन जर्नल / ब्लॉग, रीयल टाइम चौट, इंटरैक्टिव व्हाइटबोर्ड, बुकमार्क, कैलेंडर, खोज उपकरण, समूह शामिल हैं।
सभी आधुनिक तकनीकों में इटेलिजेंट ट्यूशन शिक्षा प्रणाली की नवीनतम तकनीक है और यह इंटर नेट पर काम करती है। इसने भौतिक प्रकृति की समस्त शिक्षा प्रणाली को आभासी में परिवर्तित कर दिया है। वर्चुअल टेक्स्ट बुक्स, वर्चुअल रेफरेंस लाइब्रेरी, वर्चुअल ट्यूटर, वर्चुअल स्टडी शॉर्टकट, वर्चुअल स्टडी ग्रुप, वर्चुअल गाइडेंस, वर्चुअल काउंसलर, वर्चुअल लॉकर, वर्चुअल बैकपैक, वर्चुअल नोटबुक। । अब शिक्षा में प्रौद्योगिकी का वर्तमान चलन क्लाउड प्रौद्योगिकी है । यह उच्च क्षमता वाले नेटवर्क, कम लागत वाले कंप्यूटर और स्टोरेज डिवाइस के साथ-साथ हार्डवेयर वर्चुअलाइजेशन, सर्विस-ओरिएंटेड आर्किटेक्चर और ऑटोनोमिक और यूटिलिटी कंप्यूटिंग के व्यापक प्रसार के साथ शिक्षा की सुविधा प्रदान कर रहा है, जिससे क्लाउड कंप्यूटिंग में वृद्धि हुई है।
प्रौद्योगिकी एक शक्तिशाली उपकरण है और यह जीवन के सभी पहलुओं को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। शिक्षा में यह जीवित रहने के अन्य तरीकों की तुलना में देर से प्रवेश किया है। यह शिक्षकों को सीखने में सहयोग करने और साझा करने में मदद कर रहा है। यह शिक्षकों को अपने छात्रों के साथ-साथ नए ज्ञान की तलाश करने और कौशल का उन्नयन करने में मदद कर रहा है। । शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी, आसान और प्रासंगिक बनाने के लिए और प्रामाणिक सीखने के अनुभव प्रदान करने के लिए, शिक्षक को प्रौद्योगिकी को प्रभावी ढंग से अपनाना और अभ्यास करना चाहिए । शिक्षा प्रणाली की बेहतरी के लिए सभी शिक्षा हितधारकों और प्रतिभागियों को प्रौद्योगिकी को अपनाना और उपयोग करना होगा।

इलेक्ट्रॉनिक लर्निंग (ई. लर्निंग)

जानकारी के सभी इलेक्ट्रॉनिक स्रोत जो सीखने, प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम में सुविधा प्रदान करते हैं, ई-लर्निंग का एक हिस्सा हैं। यह व्यापक शैक्षिक अवधारणा है जो मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक सूचना नेटवर्क, मीडिया, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अन्य प्रकार की संचार तकनीकों जैसे, इंटरनेट-आधारित शिक्षा, इंट्रानेट (LAN) एक्स्ट्रानेट (WAN), ऑनलाइन शिक्षा, कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण, DVD, का उपयोग करने की विशेषता है। यू-ट्यूब वीडियो-आधारित शिक्षा सीडी रोम आधारित शिक्षा, वेबिनार, आभासी कक्षा, मोबाइल शिक्षा, कस्टम ई-शिक्षण, शेल्फ से बाहर की शिक्षा आदि।

मिश्रित अध्ययन

ब्लेंडेड लर्निंग मॉडल टीचर, पेडागॉजी, ई टेक्नोलॉजी और लर्नर्स का संयोजन है। इसमें शिक्षण का प्रयोग कक्षा में आमने-सामने करके किया जाता है ।
ई टेक्नोलॉजीज सॉल्यूशंस। यह मॉडल शैक्षिक प्रौद्योगिकी के साथ शिक्षण प्रक्रिया और शिक्षाशास्त्र के बीच तालमेल प्रदान करता है। इसमें शिक्षक समय का निवेश करते हैं और शिक्षार्थियों को प्रबंधित करने और सभी चतुर्थांशों के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए शिक्षण सामग्री बनाते हैं। शिक्षक ई अध्ययन सामग्री के साथ शिक्षार्थियों को सुविधा प्रदान करके गतिशील सीखने के माहौल का विकास करते हैं जो शिक्षार्थियों में सीखने के लिए जिज्ञासा पैदा करता है। यह मॉडल छात्रों को समय, स्थान, पथ या सीखने की शांति पर कुछ नियंत्रण रखने की अनुमति देता है। छात्र निर्णय लेते हैं कि उन्हें किस समय की आवश्यकता है, किस स्थान पर उन्हें आवश्यकता है और सीखने में उन्हें क्या चाहिए। कभी-कभी शिक्षार्थी और शिक्षक बड़े समूह में आमने-सामने होते हैं, कभी-कभी वे छोटे समूहों में आमने-सामने होते हैं और कभी-कभी अपने साथियों, निकट और प्रियजनों से सीखते हैं।

सक्रिय अध्ययन

शिक्षा में आईसीटी के बढ़ते उपयोग ने शिक्षार्थियों को कई तरह से सक्षम बनाया है। ये शिक्षार्थी अपनी इच्छाओं, आवश्यकता के अनुसार सीख रहे हैं। यह शिक्षार्थियों को एक उपयुक्त विश्लेषण करने की सुविधा प्रदान कर रहा है और यह छात्रों के लिए एक सक्रिय शिक्षण मंच के रूप में कार्य कर रहा है जहाँ छात्र पूछताछ कर सकते हैं और अपने उपयोग की नई जानकारी का निर्माण कर सकते हैं। आईसीटी ने सीखने की व्यस्तता में वृद्धि के माध्यम से याद रखने की पारंपरिक शिक्षा को उन्नत शिक्षा में बदल दिया। यह ठीक समय पर सीखने की प्रणाली में विकसित हुआ जिसमें सक्रिय शिक्षार्थी यह चुनते हैं कि वे क्या सीखना चाहते हैं और क्या और कब सीखना चाहते हैं।
ब्लॉगिंग एक सक्रिय और व्यापक रूप से स्वीकृत और मानकीकृत प्रकार की सूचनात्मक वेबसाइट है। यह ज्यादातर एक व्यक्ति द्वारा उपयोग और रखरखाव किया जाता है। इसमें व्यक्तिगत खाता धारक व्यक्तिगत घटनाओं, घटनाओं के विवरण, टिप्पणी, राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक विचारों को अपलोड करते हैं और मुफ्त उपलब्ध ग्राफिक्स और वीडियो साझा करते हैं। सभी ब्लॉग बातचीत करने के लिए स्वतंत्र हैं और घटनाओं पर टिप्पणियां अत्यधिक वांछित और स्वीकार्य हैं। शिक्षाप्रद ब्लॉग के माध्यम से शिक्षार्थी और विशेषज्ञ अक्सर बातचीत करते हैं और अनुभव साझा करते हैं और चर्चा और बहस के माध्यम से शंकाओं को स्पष्ट करते हैं। शिक्षार्थी अपने प्रश्न पोस्ट करते हैं और वैश्विक विशेषज्ञों और उपयोगकर्ताओं से उत्तर और जानकारी मांगते हैं।
पॉडकास्ट नॉन-स्ट्रीमेड वेब कास्ट है। यह दृष्टिकोण शिक्षकों और शिक्षार्थियों को ऑडियो या वीडियो फाइलों की श्रृंखला के माध्यम से सुविधा प्रदान करता है जो एपिसोड के रूप में जारी किए जाते हैं और प्रतिभागी इन अपलोड की गई सामग्रियों को वेब सिंडिकेशन के माध्यम से डाउनलोड करते हैं। नेट पर मीडिया तक पहुँचने वाली फाइलों के अन्य स्रोतों की तुलना में अपलोड की गई ऑडियो या वीडियो फाइलों को पॉडकास्ट में अलग तरीके से डिलीवर किया जाता है। सभी संबंधित फाइलों को वितरक वेब फीड पर केंद्रीय रूप से बनाए रखा जाता है और नियंत्रित किया जाता है। पॉडकास्ट दृष्टिकोण में शिक्षार्थी और अन्य प्रतिभागी इस वेब फीड तक पहुँचने और फाइलों को डाउनलोड करने के लिए पॉड कैचर का उपयोग करते हैं।

उपलब्ध श्रृंखला

इस आईसीटी दृष्टिकोण के माध्यम से शिक्षार्थी अपनी आवश्यकता के अनुसार विशिष्ट सूचनाओं को अद्यतन, मांग और डाउनलोड करते हैं।

सर्वव्यापी सीख

सर्वव्यापी लर्निंग या यू-लर्निंग फ्लेक्सी मोड लर्निंग अप्रोच है और सर्वव्या इस दृष्टिकोण में सर्वव्यापक सीखने के माहौल का निर्माण किया जाता है जो प्रतिभागियों को किसी भी समय और किसी भी समय लचीली मोड में भाग लेने, सीखने और सूचना और ज्ञान प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है। सीखने का यह दृष्टिकोण लगातार बढ़ते और नवीन कंप्यूटर और इसकी सहायक तकनीकों मुफ्त और फ्लेक्सी सॉफ्टवेयर तकनीकों, वायरलेस तकनीक के उन्नयन और मुक्त और खुले नेटवर्क के कारण विकसित हुआ है। इन आकर्षक विशेषताओं के कारण इसने शिक्षकों और शिक्षार्थियों को अपनी सुविधा के अनुसार यू लर्निंग पर सीखने की गतिविधियों में भाग लेने के लिए आकर्षित किया।
वर्तमान दुनिया प्रौद्योगिकी पर चल रही है और अपेक्षित भविष्य वही है। तकनीक के बिना चीजों की उम्मीद करना असंभव है । सभ्यता के वर्तमान युग में आईसीटी के बिना सीखने के माहौल की कल्पना करना कठिन है। आधुनिक समाज में आईसीटी का उपयोग काफी बढ़ गया है और यह एक महत्त्वपूर्ण वाहन बन गया है।

इंटरनेट

इंटरनेट सम्प्रेषण का बड़ा माध्यम है। सम्प्रेषण के माध्यमों में इंटरनेट का जाल बहुत बड़ा है। इसका सबसे बड़ा लाभ है कि यह बिना तार का ऐसा संचार है जिसको किसी भौगोलिक सीमा में बाँधा नही जा सकता है। इंटरनेट के जरिये व्यापार संचार में बहुत सहायता मिलती है। । टीवी पर प्रसारित होने वाले विज्ञापनों के मुकाबले इंटरनेट के माध्यम से विज्ञापन एक आसान और कम लागत वाला माध्यम है। इंटरनेट में विज्ञापन देने के कई ढंग है एक तो वेबसाइट बना कर नेट पर डाली जा सकती है। आज व्यवसायी और उपभोक्ता दोनों अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सबसे पहले इंटरनेट पर जाता है। उपभोक्ता जहां विभिन्न विकल्पों के लिए इंटरनेट पर व्यवसायी द्वारा अपने उत्पाद संबंधी दी गई जानकारी के लिए इंटरनेट पर जाता है तो व्यवसायी अपने उत्पाद को उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए इंटरनेट को सम्प्रेषण के रूप में चुनता है।
आज इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के द्वारा व्यवसायी अपने प्रोडक्ट की तुलना दूसरे प्रोडक्ट से करके अपने उत्पाद में सुधार कर सकता है और उपभोक्ता के लिए बेहतर विकल्प बन सकता है। इंटरनेट पर उपलब्ध इन जानकारियों के माध्यम से जहां व्यवसायी उपभोक्ता द्वारा दी गयी प्रतिक्रियाओं से परिचित हो पाता है वहीं उनकी प्रतिक्रियाओं के अनुकूल अपनी व्यवसाय और उत्पाद को सुधार की रणनीति में बदलाव करता है ।
आज ऐमजॉन, फ्लिपकार्ट और तमाम तरह के ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर ने व्यापार संचार की दुनिया में एक नयी तरह की क्रान्ति की है जिससे की जिससे उपभोक्ता और व्यवसायी दोनों के लिए बिना किसी कागजी फॉर्मेलिटी के एक संचार और सम्प्रेषण कायम हो जाता है और यह एक तरह से 24 घंटे उपलब्ध रहने वाला बाजार है जो व्यापार को गतिशीलता प्रदान करता है। आज सुई से जहाज़ तक की जानकारी इंटरनेट पर उपभोक्ता के लिए उपलब्ध है। आज कोई भी व्यक्ति दुनिया के किसी भी कोने में बैठ कर दुनिया के दूसरे कोने से सामान मँगवा सकता है वो भी बिना बाज़ार जाए। आज आपको चलते फिरते उंगलियों पर सारा बाज़ार उपलब्ध है। यह सब केवल इंटरनेट के फैले जाल के कारण ही संभव हो पाया है।
इंटरनेट की दुनिया के जरिये ही आज वर्ल्ड ग्लोबल मार्किट में तब्दील है और अमेरिका का व्यापारी भी भारत के गाँव और शहरो के उपभोक्ता के लिए उतना ही उपलब्ध है जितना अमेरिका के ग्राहक के लिए भारतीय व्यापारी। आज अन्य देशो के उत्पाद की जानकारी के लिए या फलां फलां उत्पाद के लिए वहाँ जाने की जरुरत नही है। सारी जानकारी इस प्रेषणीय माध्यम से संभव है।

फेसबुक

फेसबुक मौजूदा दौर की सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट है। इसकी स्थापना हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक डोरमेट्री में 4 फरवरी 2004 को एक छात्र मार्क जुकेरबर्ग ने किया था। जिसका आरंभ तब इसका प्रारंभिक नाम ‘द फेसबुक’ था। अगस्त 2005 में इसका नाम फेसबुक कर दिया गया। । फेसबुक एक बहुभाषी सोशल नेटवर्किंग साईट है जिसमें अन्य भाषाओं के साथ हिंदी में भी काम करने की सुविधा है। इसका सेवा क्षेत्र विश्वव्यापी है। इसका अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय यूरोप, अफ्रीका और मध्यपूर्व लिए पालो आल्टो, कैलीफोर्निया तथा डबलिन, आयरलैंड में है। एशिया के लिए इसका अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय दक्षिण कोरिया के सिओल में है।
आज फेसबुक लोगों की (ज्यादातर भारतीयों की) पहली पसंद है। यह निःशुल्क साइट है। जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने मित्रों, परिवार और परिचितों के साथ संपर्क रख सकते हैं। इंटरनेट से जुड़ा कोई भी प्रयोक्ता अपना अकाउंट बनाकर इसका उपयोग कर सकता है। फेसबुक का उपयोग करने वाले अपना एक प्रोफाइल पृष्ठ तैयार कर उस पर अपने बारे में जानकारी देते हैं। इसमें उनका नाम, फोटो, जन्मतिथि और कार्यस्थल, विद्यालय और कॉलेज आदि का ब्यौरा दिया जा सकता है। इस साइट के माध्यम से लोग अपने मित्रों और परिचितों का नाम, ईमेल आदि डालकर उन्हें ढूंढ़ सकते हैं। इसके साथ ही वे अपने मित्रों और परिचितों की एक अंतहीन श्रृंखला से भी जुड़ सकते हैं। फेसबुक के प्रयोक्ता सदस्य वहां पर अपना समूह भी बना सकते हैं। यह समूह उनके विद्यालय, कॉलेज या उनकी रुचि, शहर, किसी आदत और जाति का भी हो सकता है।
लोग इस जालस्थल पर अपनी रुचि, राजनीतिक और धार्मिक अभिरुचि व्यक्त कर समान विचारों वाले सदस्यों को मित्र भी बना सकते हैं। इसके अलावा भी कई तरह के संपर्क आदि जोड़ सकते हैं। फेसबुक के संचालक प्रायः कई कार्यक्रम तैयार करते रहते हैं, जिनके माध्यम से प्रयोक्ता अपनी रूचि के अनुरूप इसका प्रयोग कर सकें, जैसे जन्मदिन को सेलीब्रेट करना, आपके या आपके दोस्तों के फोटोज की श्रृंखला बनाकर उसका कोलाज या वीडियो फार्मेट में प्रस्तुति इत्यादि। ये चित्र मात्र उन्हीं लोगों तक सीमित किए जा सकते हैं, जिन्हें प्रयोक्ता दिखाना चाहते हैं। इसके लिये चित्रों को देखने का अनुमति स्तर निश्चित किया जा सकता है। चित्रों का संग्रह सुरक्षित रखने के लिए इसमें पर्याप्त जगह होती है। फेसबुक पर प्रयोक्ताओं को अपने मित्रों को यह बताने की सुविधा है कि किसी विशेष समय वे क्या कर रहे हैं या क्या सोच रहे हैं और इसे ‘स्टेट्स अपडेट’ करना कहा जाता है।
फेसबुक के सार्वजनिक खाते (पब्लिक पेज) यानी ऐसे पेज जिन्हें हर कोई देख सकता है और लोग जान सकते हैं कि उनके आदर्श नेता, प्यारे पॉप स्टार या सामाजिक संगठन की क्या गतिविधियाँ हैं । फेसबुक के सार्वजनिक पृष्ठ (पब्लिक पेज) बनाना हाल के दिनों में काफी लोकप्रिय होता जा रहा है । पब्लिक पेज बनाने वालों में कई बड़ी हस्तियों, संगीतकारों, सामाजिक संगठनों, कंपनियों ने अपने खाते फेसबुक पर खोले हैं । मई 2016 के आंकड़ों के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा फेसबुक यूजर्स हैं, दूसरे नम्बर पर अमरीका, उसके बाद ब्राजील, इंडोनेशिया और चीन का नम्बर आता है।
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक इंटरनेट के माध्यम से जुड़े लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बनती जा रही है। परंतु कुछ साइबर विशेषज्ञ फेसबुक से उत्पन्न खतरों के बारे में समय समय पर आगाह करते रहते हैं। चीफ सैक्यूरिटी ऑफिसर ऑनलाइन नामक सामयिक के वरिष्ठ सम्पादक जॉन गूडचाइल्ड के अनुसार कई कम्पनियाँ अपने प्रचार के लिए फेसबुक जैसे नेटवर्किंग माध्यम का उपयोग करना चाहती है परंतु ये कम्पनियाँ ध्यान नहीं देती कि उनकी गोपनीयता अनिश्चित है। सीबीसी न्यूज के ‘द अर्ली शॉ ऑन सैटर्डे मॉर्निंग’ कार्यक्रम में गूडचाइल्ड ने फेसबुक से उत्पन्न पाँच ऐसे खतरों के बारे में बताया जिससे निजी और गोपनीय जानकारियों की गोपनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। ये इस प्रकार से हैं:
डाटा बांटना : यहां दी गई जानकारी केवल घोषित मित्रों तक ही सीमित नहीं रहती है, बल्कि वह तृतीय पार्टी अनुप्रयोग विकासकर्त्ताओं (थर्ड पार्टी अप्लिकेशन डेवलपर ) तक भी पहुँच रही हैं।
बदलती नीतियां : फेसबुक के हर नये संस्करण रिलीज होने के बाद उसकी प्राइवेसी सेटिंग बदल जाती है और वह स्वतः डिफाल्ट पर आ जाती है । प्रयोक्ता उसमें बदलाव कर सकते हैं परंतु काफी कम प्रयोक्ता इस ओर ध्यान दे पाते हैं।
मालवेयर : फेसबुक पर प्रदर्शित विज्ञापनों की प्रामाणिकता का कोई वादा नहीं है। ये मालवेयर हो सकते हैं और उनपर क्लिक करने से पहले उपयोक्ताओं को विवेक से काम लेना चाहिये।
पहचान उजागर : उपयोक्ताओं के मित्र जाने अनजाने उनकी पहचान और उनकी कोई गोपनीय जानकारी दूसरों से साझा कर सकते हैं।
जाली प्रोफाइल : फेसबुक पर सेलिब्रिटियों को मित्र बनाने से पूर्व उपयोक्ताओं को ये चाहिये कि पहले उनकी प्रोफाइल की अच्छी तरह से जाँच अवश्य कर लें । हैकरों और स्कैमरों के द्वारा जाली प्रोफाइल बनाकर लोगों तक पहुँच बनाना काफी सरल है।

ट्विटर

लोगों की पसंद के हिसाब से सोशल नेटवर्किंग साइट्स में दूसरा नंबर आता है ट्वीटर का, जिसे ‘सेलेब्रिटीयों का अड्डा’ भी कहा जाता है। नेता से लेकर अभिनेता एवं जानी-मानी हस्तियाँ सब आपको ‘ट्वीटर’ पर मिलेंगे वो भी ‘ओरिजिनल’! ट्विटर की शुरुआत इंटरनेट पर 21 मार्च 2006 में जैक डोर्सी, इवान विलियम्स, बिज स्टोन और नो ग्लास द्वारा हुई। ट्विटर एक बहुभाषी सोशल नेटवर्किंग साईट है जिसमें अन्य भाषाओं के साथ हिंदी में भी काम करने की सुविधा है। इसका सेवा क्षेत्र विश्वव्यापी है। । इसका अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय सेन फ्रांसिस्कों में है।
ट्विटर मूलतः एक मुफ्त लघु सन्देश सेवा (SMS) व माइक्रो-ब्लॉगिंग की तरह सोशल नेटवर्किंग साइट है जो अपने उपयोगकर्ताओं को अपनी अद्यतन जानकारियां उपलब्ध कराता है, एक दूसरे को ट्वीट्स भेजने और पढ़ने की सुविधा देता है। ट्वीट्स अधिकतम 140 अक्षरों तक के पाठ्य आधारित पोस्ट हो सकते हैं, जो उपयोगकर्ता के द्वारा दूसरे उपयोगकर्ता या फौलोवर्स को भेजे जाते हैं। इन्हें उपयोगकर्ता के फॉलोअर देख और पढ़ सकते हैं और दोबारा प्रेषित (Retweet) भी कर सकते हैं। चूंकि केवल फॉलोअर ही किसी के ट्वीट्स को देख सकते हैं, इसलिए ट्विटर पर उपयोगकर्ताओं को फॉलो करने की होड़ रहती है, और लोगों की प्रसिद्धि उनके फोलोवर्स की संख्या के रूप में दिखाई देती है। हालाँकि ट्विटर यह सुविधा भी देता है कि इसके उपयोगकर्ता अपने ट्वीट्स को अपने फोलोवर्स मित्रों तक सीमित कर सकते हैं, या डिफॉल्ट विकल्प में मुक्त उपयोग की अनुमति भी दे सकते हैं । उपयोगकर्ता ट्विटर वेबसाइट या बाह्य अनुप्रयोगों के माध्यम से भी ट्वीट्स भेज और प्राप्त कर सकते हैं। इंटरनेट पर यह सेवा निःशुल्क है। ट्विटर कई सोशल नेटवर्किंग साइट्स जैसे माइस्पेस और फेसबुक पर भी काफी प्रसिद्ध हो चुका है।

ब्लॉगिंग

‘ब्लॉग’ शब्द ‘वेब’ और ‘लॉग’ द्वारा मिलकर बने शब्द ‘वेबलॉग’ का संक्षिप्त रूप है, जिसकी शुरूआत 1994 में जस्टिन हॉल ने ऑनलाइन डायरी के रूप में की थी। जबकि पहली बार ‘वेबलॉग’ शब्द का प्रयोग 17 दिसंबर 1997 को जॉन बर्जर ने किया था। औपचारिक रूप से देखें तो सर्वप्रथम वेबलॉग को दो अलग-अलग we और blog के रूप में पहली बार प्रयोग करने वाले व्यक्ति हैं पीटर महारेल्ज, जिन्होंने सन 1999 में इस पहली बार ब्लॉग शब्द का प्रयोग किया। ब्लॉगिंग कि शुरुआत पियारा लैब्स के इवान विलियम्स और मैग होरिहान ने अगस्त 1999 में ‘ब्लॉगर’ नाम कि ब्लॉग साइट बना कर की, जिसे 2003 में गूगल ने खरीद लिया। ब्लॉगर एक बहुभाषी सोशल नेटवर्किंग साईट है जिसमें विश्व की प्रमुख भाषाओं के साथ हिंदी में भी काम करने की सुविधा है।
वर्ष 1999 में अंग्रेजी ब्लॉगिंग की शुरूआत होने के बावजूद हिंदी फॉन्ट की समस्या की वजह से हिंदी में ब्लॉगिंग को प्रारम्भ होने में पूरे चार साल लगे। साथ ही लोगों के बीच तकनीकी जानकारी का अभाव भी इसके प्रसार में बाधक रहा। पहला हिन्दी ब्लॉग ‘नौ दो ग्यारह’ 21 अप्रैल 2003 में आलोक कुमार ने लिखा। इसके बाद रवि रतलामी ने वर्ष 2004 में ऑनलाइन पत्रिका ‘अभिव्यक्ति’ में ‘अभिव्यक्ति का नया माध्यम- ब्लॉग’ शीर्षक से लेख लिखकर किया, जिसे आगे बढ़ाया बालेंदु दाधीच ने अक्टूबर 2007 में ‘कादम्बिनी’ में प्रकाशित लेख ‘ब्लॉग बने तो बात बने’ के द्वारा। वर्तमान में हिन्दी ब्लॉगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है।
आज ब्लाग लेखन से कोई भी विषय अछूता नहीं है। राजनीति, साहित्य, कला, संगीत, खेल, फिल्म, सामाजिक मुद्दों पर ही नहीं विज्ञान और मनोविज्ञान जैसे गूढ़ विषयों पर भी न सिर्फ ब्लॉग लिखे जा रहे हैं, वरन सराहे भी जा रहे हैं। चूंकि ब्लॉग एक अलग तरह का माध्यम है, इसलिए इसके अपने कुछ पारिभाषिक शब्द भी हैं, जो ब्लॉग की दुनिया में खूब प्रचलित हैं। ब्लॉग लेखन के अभ्यस्त लोग ब्लॉगर के नाम से जाने जाते हैं और ब्लॉग लिखने की प्रक्रिया ‘ब्लॉगिंग’ कहलाती है । इसी प्रकार ब्लॉग में लिखे जाने वाले सभी लेख ‘पोस्ट’ के नाम से जाने जाते हैं। अपने पसंदीदा ब्लॉगों में प्रकाशित होने वाली अद्यतन सूचनाओं की जानकारी के लिए जिस तकनीक का सहारा लिया जाता है, वह आरएसएस फीड के नाम से जानी जाती है, जबकि जो वेबसाइटें अपने यहां पंजीकृत समस्त ब्लॉगों की ताजी पोस्टों की सूचना देने का कार्य करती हैं, वे ‘एग्रीगेटर’ के नाम से जानी जाती हैं। आमतौर से हिन्दी में भी ये शब्द इसी रूप में प्रचलित हैं, पर कुछ अनुवाद प्रेमियों ने ब्लॉग के लिए ‘चिट्ठा’, ब्लॉगर के लिए ‘चिट्ठाकार’ और ब्लॉगिंग के लिए ‘चिट्ठाकारिता’ जैसे शब्द भी गढ़े हैं, जो यदा-कदा ही उपयोग में लाए जाते हैं।

गूगल

गूगल एक बहुराष्ट्रीय अमरीकी सार्वजनिक कम्पनी है, जिसका मुख्य कार्य इंटरनेट सर्च इंजन, क्लाउड कम्प्यूटिंग तथा विज्ञापन का है । यह इंटरनेट आधारित कई सेवाएँ बनाती और बेचती है। इसकी स्थापना 1996 में एक रिसर्च परियोजना के दौरान लैरी पेज तथा सर्गी ब्रिन ने की। उस वक्त लैरी और सर्गी स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया में पीएचडी के छात्र थे। उस समय, पारंपरिक सर्च इंजन सुझाव (रिजल्ट) की वरीयता (Preference) वेब पेज पर सर्च – टर्म की गणना से तय करते थे, जब कि लैरी और सर्गी के अनुसार एक अच्छा सर्च सिस्टम वह होगा जो वेबपेजों के ताल्लुक का विश्लेषण करे। इस नए तकनीक को उन्होनें पेज रैंक (Page Rank) का नाम दिया। इस तकनीक में किसी वेबसाइट की प्रासंगिकता / योग्यता का अनुमान, वेबपेजों की गिनती, तथा उन पेजों की प्रतिष्ठा, जो आरम्भिक वेबसाइट को लिंक करते हैं के आधार पर लगाया जाता है। । पेज और ब्रिन ने शुरुआत में अपने सर्च इंजन का नाम “बैकरब” रखा था, क्योंकि यह सर्च इंजन पिछले लिंक्स (back links) के आधार पर किसी साइट की वरीयता तय करता था । अंततः पेज और ब्रिन ने अपने सर्च इंजन का नाम गूगल (Google) रखा। गूगल अंग्रेजी के शब्द ‘googol’ की गलत वर्तनी है, जिसका मतलब है । वह नंबर जिसमें एक के बाद सौ शून्य हों। । नाम ‘गूगल’ इस बात को दर्शाता है कि कम्पनी का सर्च इंजन लोगों के लिए जानकारी बड़ी मात्रा में उपलब्ध करने के लिए कार्यरत है। अपने शुरुआती दिनों में गूगल स्टैनफौर्ड विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अधीन चला। गूगल के लिए उसका डोमेन नाम 15 सितंबर 1997 को रजिस्टर हुआ । सितम्बर 4, 1998 को इसे एक निजी-आयोजित कम्पनी में निगमित किया गया। कम्पनी का पहला ऑफिस सुसान वोज्सिकि (उनकी दोस्त) के गराज मेलनो पार्क, कैलिफोर्निया में स्थापित हुआ। क्रेग सिल्वरस्टीन, एक साथी पीएचडी छात्र, कम्पनी के पहले कर्मचारी बने । गूगल विश्व भर में फैले अपने डाटा केंद्रों से दस लाख से ज्यादा सर्वर चलाता है और दस अरब से ज्यादा खोज – अनुरोध तथा चौबीस पेटाबाईट उपभोक्ता-संबंधी डाटा संसाधित करता है। गूगल की आरंभिक सार्वजानिक सेवाएँ 19 अगस्त 2004 से शुरू हुईं।
कम्पनी ऑनलाइन सर्च इंजन के अतिरिक्त उत्पादक साफ्टवेयर, जैसे कि जीमेल ईमेल सेवा और सोशल नेटवर्किंग साईट ब्लागर के अतिरिक्त गूगल न्यूज, गूगल प्लस, यू ट्यूब इत्यादि भी प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त आपरेटिंग सिस्टम, एंटीवायरस, फोटो व्यवस्थापन और संपादन इत्यादि अनेक सेवाएँ उपलब्ध कराती है जिसमें कुछ निःशुल्क और कुछ पेड भी हैं। गूगल विश्व का सबसे ताकतवर (नामी) ब्राण्ड है। बाजार में गूगल की सेवाओं का प्रमुख होने के बावजूद इसकी आलोचना भी होती रही है, जिनमें व्यक्तिगत अधिकारों का हनन, कापीराइट का प्रश्न और सेंसरशिप शामिल हैं। इसके मौजूदा सी.इ.ओ. भारतीय मूल के सुंदर पिचाई है।

वाट्सऐप मैसेंजर

यह स्मार्टफोन पर चलने वाली एक त्वरित सन्देश वाहक सेवा है। इसकी सहायता से इन्टरनेट के द्वारा दूसरे वाट्सऐप उपयोगकर्ता के स्मार्टफोन पर लिखित संदेश के अलावा ऑडियो, फोटो, वीडियो तथा अपनी स्थिति (लोकेशन) भी भेजा जा सकता है। आज वाट्सऐप तेजी से लोगो की पहली पसंद बनता जा रहा है। यह निःशुल्क सेवा है। जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने मित्रों, परिवार और परिचितों के साथ संपर्क रख सकते हैं । इंटरनेट से जुड़ा कोई भी प्रयोक्ता अपना इसका उपयोग कर सकता है। वाट्सऐप का उपयोग करने वाले अपना एक प्रोफाइल पृष्ठ तैयार कर उस पर अपने बारे में जानकारी देते हैं। इसमें उनका नाम, फोटो, स्टेटस आदि दिया जा सकता है। वाट्सऐप के उपयोक्ता सदस्य यहां पर अपना समूह भी बना सकते हैं। यह समूह उनके विद्यालय, कॉलेज या उनकी रुचि, शहर, किसी आदत और जाति का भी हो सकता है। समूह कुछ लोगों का भी हो सकता है और इसमें और लोगों को शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया जा सकता है।

स्काइप

स्काइप एक साफ्टवेयर एप्लीकेशन है जो इसके प्रयोक्ताओं को इंटरनेट द्वारा वायस काल करने की सुविधा प्रदान करता है। इस सेवा के अंतर्गत अन्य प्रयोक्ताओं को किए गए कॉल और कुछ-कुछ देशों में निःशुल्क नंबरों पर किए गए कॉल, निःशुल्क होते हैं जबकि अन्य लैन्डलाईनों और मोबाईल पर कुछ शुल्क के बदले में कॉल किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इसकी अन्य सुविधाओं में वीडियो काल भी शामिल हैं।

पेजर

भारत मे पेजर यन्त्र का प्रयोग पहली बार 1982 में एशियन गेम्स मे किया गया था। यह आयताकार 3.5 इंज लम्बा तथा 2.2 इंच चौड़ा छोटा-सा यंत्र होता है जो आने वाले संदेशों को लिखित रूप में यंत्र को स्क्रीन पर दिखाता है। इसका बेतार कनेक्शन पेपर बॉक्स से जुड़ा होता है। संदेश पर यह यंत्र पीप- पीप की ध्वनि करता है और यंत्र धारक बटन दबाकर संदेश प्राप्त कर लेता है।



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  1. […] सम्प्रेषण के विविध आयाम। […]

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