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मॉडल प्रश्न उत्तर, हिन्दी कविता सेमेस्टर-2, इकाई-3 केशवदास-2

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निम्नलिखित मॉडल प्रश्नोत्तर बी.ए.(ऑनर्स) हिन्दी के सेमेस्टर-2 के पेपर हिन्दी कविता: सगुण भक्तिकाव्य एवं रीतिकालीन काव्य के हैं।

यूनिट-3: केशवदास- रामचंदिका (वन-गमन

प्रश्न-2. केशवदास द्वारा रचित ‘रामचंद्रिका’ के आधार पर वन गमन का वर्णन कीजिए।

उत्तर- ‘रामचंद्रिका’ कवि केशव दास द्वारा रचित हिंदी काव्य कृति है जो महाकाव्य के रूप में प्रस्तुत की गई है। यह काव्य केशवदास के प्रमुख काव्यसंग्रह ‘रसिकप्रिया’ का एक अंश है और इसमें प्रेम विचार आध्यात्मिकता भक्ति और नायिका की वीरानगना के रूप में स्त्रीशक्ति की महिमा को व्यक्त किया गया है।         

‘रामचंद्रिका’ मे वन गमन का वर्णन रामायण की कथा पर आधारित है। इस काव्य में भगवान राम और माता सीता का वनवास, वन में उनकी जीवनयात्रा और उनके साथी हनुमान की भूमिका का चित्रण किया गया है। यह काव्य रामायण की अत्यंत प्रसिद्ध कथा को सुन्दरता से व्यक्त करता है। और भगवान राम की महानता सामरिक योग्यता और भक्ति का अद्वितीय प्रतिबिम्ब प्रस्तुत करता है। वन-गमन का वर्णन काव्य में प्राकृतिक सुंदरता, वन्य-जीवों की विविधता, वन की आवासीय जनता के जीवन वनवासी संताप और उनकी यात्रा के बीच मनोहारी प्राकृतिक वर्णनों के माध्यम से किया गया है। यह काव्य रामायण की अत्यंत प्रसिद्ध कथा की सुन्दरता से व्यक्त करता है। और भगवान राम की महानता, सामरिक योग्यता और भक्ति का अद्वितीय प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है।          

वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और उनके साथी हनुमान भगवान राम के साथी बनकर जंगल के कई भागों का प्रावास कराते हैं। उनका वनवास, आपत्तियों, विपत्तियों और बाधाओं से भरा होता है। जिसे वे अपनी तपस्या, संघर्ष और भक्ति के माध्यम से पार करते हैं। इसमें उनके साथी हनुमान की नेकी वीरता और उनके भक्ति भाव का अद्वितीय वर्णन है।

‘रामचंद्रिका’ एक गंधर्व काव्य है जिसमें केशवदास ने शब्दों की सुंदरता छंद और भावना को जीवंत किया है। इसमें वन-गमन का वर्णन पूरी काव्य सृष्टि में महत्त्वपूर्ण है और यह पाठकों को रामायण की कथा का एक रोमांचक और मनोहरी संग्रह प्रदान करता है।         

वन गमन के समय भगवान राम सीता और लक्ष्मण अयोध्या के निकट के वन में आश्रम में निवास करते हैं। यहाँ उन्हें आदिवासी जनजातियों के साथ जीना पड़ता है और वन के कठिन आवागमन के कारण उन्हें अनेक परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। रामचंद्रिका में वन-गमन का वर्णन बहुत विस्तृत और रंगीन है। केशवदास द्वारा उपयोग किए गए शब्द चित्रण और भावपूर्ण वाक्य इसे अद्वितीय बनाते हैं। उन्होंने वन के वातावरण की सुंदरता तथा भगवान राम के संघर्ष का वर्णन किया है।  

वन गमन के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण भक्त हनुमान के साथ उनके द्वारा चुने गये पंचवटी वन पहुँचे। पंचवटी वन, पंचवटी नदी के किनारे स्थित था और यहाँ की सुन्दरता और शांति अतुलनीय थी तथा वन में आश्रमों, तपोवनों और ऋषियों के साथ रहते थे। वे ऋषियों के संग सत्य और धर्म का पालप करते थे और अपने आस्थान के राज्य की सेवा में लगे रहते थे। इस अवधि में रामायण में कई अनेक घटनाएँ चरित्र और विचारों का वर्णन है। वन गमन के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ कई प्रमुख कथाएँ  जुड़ी है जैसे कि शूपर्णखा का प्रसंग, सुग्रीव व वानर सेना से मिलना, ताडका मारीच और सुबाहू के वध का वर्णन, हनुमान जी की मदद से लंका जाने का निर्णय जटायु की लड़ाई और उसकी मृत्यु, सीता माता का अपहरण आदि बहुत सी कथाएँ जुड़ी हुई है।         

वन गमन काल में राम सीता और लक्ष्मण ने अपार त्याग संयम और परिश्रम का परिचय दिया। यह उनके चरित्र गुणों की महत्त्वपूर्ण उदाहरणों की एक अद्वितीय संग्रह है। उन्होंने अपनी पत्नी सीता के प्रति आदर्श पतिव्रता का प्रदर्शन किया और भगवान विष्णु के अवतार के रूप में अपने भक्तों की सेवा में व्यस्त रहें। राम सीता और लक्ष्मण का वन गमन काल अपार परिश्रम, धैर्य, त्याग और संयम का प्रतीक है। इस अवधि में वे अपने अस्तित्व की गहरी परीक्षा से गुजरे।       

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