हिंदी साहित्य की ओर एक कदम।

भाषा नमूनों का सर्वेक्षण और विश्लेषण

0 835

भाषा-नमूनों का सर्वेक्षण

नमूने अर्थात् सेम्पल और सर्वेक्षण अर्थात् सर्वे करना इस प्रकार भाषा नमूनों के सर्वेक्षण से तात्पर्य है कि जिस भाषा का सर्वेक्षण करना है, उस सर्वेक्षण से सम्बन्धित जितनी भी जानकारी तथ्य, आदि प्राप्त है उसको एकत्र कर उनका सत्यापन करना और अंतिम निष्कर्ष तक पहुँचना ।

किसी भी भाषा अथवा बोली का सर्वेक्षण करने के पीछे एक लंबी प्रक्रिया कार्य करती है। यह सर्वेक्षण कई कड़ियों से होकर गुजरता है ये कड़ियाँ एक-दूसरे से जुड़ी रहती है। जब पर्याप्त मात्रा में तथ्य होते हैं तभी सर्वेक्षण पूरा हो पाता है। सर्वेक्षण की यह प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है ये चरण इस प्रकार है।

प्रारूप तैयार करना-

  • सबसे पहले जिस क्षेत्र भाषा का सर्वेक्षण करना है उसकी रूपरेखा अर्थात् ड्राफ्ट तैयार किया जाता है।
  • उसके पश्चात् सामग्री को एकत्र किया जाता है।
  • एकत्र सामग्री का विश्लेषण करना !
  • विश्लेषण करने के पश्चात् रिपोर्ट तैयार की जाती है।
  • अंत में निष्कर्ष दिया जाता है।

नमूनों के प्रकार

सर्वेक्षण का प्रारूप तैयार करने के पश्चात् ही नमूनों के चयन की समस्या सामने आती है भाषा का क्षेत्र कैसा है, नमूनों का चयन किस प्रकार किया जाए. किस क्षेत्र / भाषा के अंतर्गत किन-किन नमूनों का प्रयोग किया जा सकता है। किस मात्रा में नमूनों का प्रयोग किया जाए आदि सभी प्रश्न सर्वेक्षणकर्त्ता के सामने आते हैं। सर्वेक्षण कर्त्ता निम्नलिखित सामग्री में से नमूनों का चुनाव कर सकता है।

  • मौखिक सामग्री
  • लिखित सामग्री
  • प्रश्नावली तैयार करके
  • रिकोर्डर की सहायता से
  • मोबाइल फोन से भी कई सुविधाएँ ली जा सकती है।
  • रू-ब-रू साक्षात्कार द्वारा
  • नमूनों को एकत्र करना
  • कोड़ीकरण
  • कम्प्यूटर के द्वारा
  • टेलीफोन के माध्यम से
  • इंटरनेट सर्वेक्षण आदि।

उपरोक्त लिखित नमूनों के आधार पर किसी भी भाषा का सर्वेक्षण इस प्रकार किया जाता है।

  • मौखिक सामग्री – इसमें वक्ता द्वारा उच्चरित वागेन्द्रियों द्वारा भाषा का सर्वेक्षण किया जाता है। वक्ताओं/वक्ता द्वारा उच्चरित शब्दों, उनके द्वारा प्रयोग किए गए शब्दों और वाक्यों, उपवाक्यों, क्षेत्रीय बोली या भाषा आदि का सर्वेक्षण किया जाता है।
  • लिखित सामग्री – लिखित सामग्री के सर्वेक्षण में सर्वेक्षणकर्त्ता को भाषा के नमूने का सर्वेक्षण करना सरल हो जाता है क्योंकि यह माध्यम आसानी से सर्वेक्षण कर्त्ता को प्राप्त हो जाता है।
  • प्रश्नावली तैयार करना – इसमें सर्वेक्षणकर्त्ता विभिन्न प्रश्नों के माध्यम से सर्वेक्षण करता है। इसके लिए कुछ प्रश्नों को लिखा जाता है या कोई तालिका तैयार की जाती है और फिर साक्षात्कार देनेवाले व्यक्ति की आयु. शिक्षा आदि को ध्यान में रखते हुए उसे प्रश्नावली या तालिका दी जाती है।
  • रिकोर्डर – रिकोर्डर के माध्यम से साक्षात्कार लिया जाता है। फिर साक्षात्कार को सुनकर साक्षात्कार देनेवाले व्यक्ति की भाषा का निरीक्षण किया जाता है। उसकी ध्वनि शब्द, वाक्य आदि को सुनकर उसकी भाषा पर शोध किया जाता है या किसी अन्य व्यक्ति के साक्षात्कार से उसकी तुलना की जाती है।
  • मोबाइल फोन – आजकल एनड्रायड फोन में भी कई प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध है जो सर्वेक्षण में बहुत सहायता करता है।
  • रू-ब-रू साक्षात्कार – इसमें साक्षात्कार के लिए वक्ता अर्थात् जो प्रश्न पूछता है और दूसरा श्रोता अर्थात् जो उत्तर देता है दोनों को ही एक ही समय पर होना आवश्यक है साथ ही श्रोता और वक्ता की स्थिति भी बदलती रहती है।
  • कोडीकरण – यदि वक्ता को श्रोता और श्रोता को वक्ता की भाषा सीधे-सीधे समझ न आए तो इसके लिए उनकी भाषा का कोडीकरण किया जाता है या किसी ऐसे अन्य व्यक्ति की सहायता ली जाती है जो दोनों की भाषा को जानता है।
  • कम्प्यूटर के द्वारा – कम्प्यूटर के माध्यम से सर्वेक्षण कार्य में कई प्रकार से मदद ली जा सकती है। जैसे कम्प्यूटर के द्वारा चलने वाले इंटरनेट से हम विभिन्न प्रकार की जानकारी को एकत्र कर कम्प्यूटर में सेव कर सकते हैं। इसके अलावा टाइपिंग, प्रिंटिंग आदि।
  • टेलीफोन – टेलीफोन के माध्यम से भी किसी भाषा-भाषी से साक्षात्कार लिया जा सकता है तथा भाषा संबंधी सर्वेक्षण किया जा सकता है।
  • इंटरनेट – आज का युग सूचना का युग है। घर बैठे ही हमें कई जानकारियाँ आसानी से मिल जाती है। जो सर्वेक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकती है। ई-मेल के द्वारा आसानी से सूचना को सभी सदस्यों द्वारा पहुँचाया जा सकता है। कई साइटों को देखा जा सकता है। तालिका तैयार की जा सकती है, पहले किए गए शोध की जानकारी ली जा सकती है आदि।

भाषा नमूनों का विश्लेषण

विश्लेषण को अंग्रेजी में Analysis कहते हैं। किसी विषय के सब अ की इस दृष्टि से छानबीन करना कि उनका तथ्य या वास्तविक स्वरूप सा आ जाए। सर्वेक्षण के लिए सभी तथ्यों को एकत्र करने के पश्चात् उनका विश्ले करने के लिए सामग्री को अलग-अलग कर उनकी रूपरेखा के अनुसार व जाता है।

सामग्री की पूर्णता – सामग्री को अलग-अलग बांटने के पश्चात् यह व जाता है कि जो सामग्री सर्वेक्षणकर्ता के पास है वह पूर्ण है या अपूर्ण ।

संपादन – इसके अंतर्गत यह देखा जाता है कि क्या साक्षात्कार के द्वारा लिए गए सभी प्रश्नों का उत्तर सही दिया गया है यदि नहीं तो यह संपादक काम है कि वह साक्षात्कार की सभी छोटी-मोटी गलतियों को दूर कर स कोडीकरण-संपादन के दौरान दूर की गई सभी त्रुटियों के पश्चात सर्वेक्षण के लिए ली गई भाषा का कोडीकरण किया जाता है। कोडीक सामग्री को वर्गीकृत कर कोड आबंटित किया जाता है।

विश्लेषण – कोड आबंटित करने के पश्चात् विभिन्न विधियों द्वारा का विश्लेषण किया जाता है।

निष्कर्ष – अंत में सर्वेक्षण का निष्कर्ष निकाला जाता है। फिर चाहे विवरणात्मक रूप में हो, चाहे वर्णनात्मक रूप में। गुणात्मक प्रविधि और मात्रात्मक प्रविधि द्वारा भाषा का विश्लेषण प्रकार किया जाता है।

गुणात्मक प्रविधि

जैसा कि इसके नाम से ही ज्ञात है इसमें भाषा के गुण अर्थात् विशेष यानि भाषा में आने वाले बदलावों को देखा और समझा जाता है।

स्थिति-1: जैसे- –
वक्ता – 1 मुझे बाजार जाना है।
वक्ता – 2 हाँ आज मुझे भी मार्केट जाना है।

स्थिति-2 : 15 अगस्त को मेरे भाई का जन्मदिन है। 15 अगस्त को मेरे Brother का birthday है।

स्थिति-3 : हम कल दिल्ली जा रहे हैं Why don’t you join us.

स्थिति-4: I am on leave so I can not come to college. I will come tomorrow.

उपरोक्त चारों स्थितियों में ही भाषा में आने वाले बदलाव को देखा जा कता है पहली स्थिति में अंग्रेजी भाषा का सीमित प्रभाव देखा जा सकता है जबकि स्थिति – 3 में अंग्रेजी भाषा का प्रभाव बढ़ता दिखलाई पड़ता है जबकि स्थिति-4 में केवल अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग किया गया है। पहली स्थिति तथा सरी स्थिति में कोड – मिश्रण का प्रयोग किया गया है। जबकि स्थिति – 3 में कोड अंतरण का प्रयोग किया गया है। स्थिति – 4 तो पूरी तरह से ही अंग्रेजी भाषा।
इस प्रकार हम भाषा के बदलते रूप को देख सकते हैं।

मात्रात्मक प्रविधि

इसमें सर्वेक्षण की मात्रा अर्थात् भाष के आंकड़ों को एकत्र किया जाता जैसे- पूर्वी दिल्ली में लोग किस-किस भाषा का प्रयोग करते हैं कितने प्रतिशत हिंदी भाषा बोलते हैं। कितने प्रतिशत लोग देशी शब्दों का प्रयोग करते हैं। ने प्रतिशत लोग अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं। कितने प्रतिशत लोग अन्य ‘भाषाओं का प्रयोग करते हैं। इन सभी आंकड़ों को एकत्र करना आदि।

Leave A Reply

Your email address will not be published.