ब्लॉग लेखन : सामान्य परिचय
ब्लॉग और ब्लागिंग न्यू मीडिया के क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। ये मीडिया प्लेटफॉर्म के शुरुआती बिन्दु माने जा सकते हैं। लगभग दो दशक से ब्लॉग आम जनता को अपने विचार अभिव्यक्त करने, दूसरे के विचार जानने की आधार भूमि प्रदान कर रहा है। लोगों तक अपनी आवाज पहुँचाने का यह सशक्त माध्यम है। इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति बिना किसी की मदद या पक्षपात के अपने विचार दूसरों का साथ शेयर कर सकता है। ब्लॉग ने धीरे-धीरे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे माध्यमों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया और नतीजा आज सोशल मीडिया के विशाल वट वृक्ष के रूप में सामने है, जो सामाजिक जीवन के हर हिस्से को गहराई से प्रभावित कर रहा है।
ब्लॉग का अर्थ
एक ब्लॉग निजी डायरी की तरह होता है, जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बनाया- जा सकता है। एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहाँ, कोई भी व्यक्ति अपने विचार, अपनी अभिरुचियाँ, अपने शौक, अपना यात्रा वृतांत, अपने जीवन के अनुभव आदि साझा कर सकता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि ब्लॉग आपकी निजी वेबसाइट होती है, जिसे आप अपनी सुविधा के अनुसार अद्यतन (अपडेट) करते रहते हैं। लेकिन इसके साथ ही कुछ ब्लॉग पेशेवर भी होते हैं, जहां कई लोगों के समूह क साथ मिलकर ब्लॉगिंग करते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया और नवभारत टाइम्स के ब्लॉग को इसी श्रेणी में रखा जा सकता है।
सामान्य अर्थ में ब्लॉग को वेबसाइट प्लेटफॉर्म माना जाता है, लेकिन वास्तव में यह एक सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म है, जो ब्लागर को एक वेबसाइट पर आनलाइन डायरी लिखने की सुविधा देता है। डायरी पर लिखी गई सबसे आखिरी टिप्पणी या विषय को पोस्ट कहा जाता है और यही पोस्ट ब्लॉग खोलते ही उसके होमपेज पर दिखती है। ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता इसकी गतिशीलता होती है अर्थात् इसे लगातार अपडेट किया जा सकता है और इस पर लिखे गए पोस्ट पर पाठक अपनी प्रतिक्रिया भी दे सकता है।
(1) एंड्रयू सल्विन ने इसे इस तरह परिभाषित किया है- “पहला पत्रकारीय मॉडल जो वास्तव में वेब की लोकतांत्रिक प्रकृति का महज दोहन नहीं करता बल्कि इसे प्रोत्साहित भी करता है। यह एक नया माध्यम है, जो आखिरकार एक विशेष आवाज हासिल करने लगा है।”
(2) एक अन्य विद्वान मेग हॉरिहन कहते हैं- “यह कई पोस्ट का एक संग्रह है…. छोटे, अनौपचारिक, कभी-कभी विवादास्पद और कभी-कभी बेहद निजी … जिसकी शुरुआत किसी न किसी ताजी सूचना के साथ होती है।”
इस आधार पर ब्लॉग को ‘इंटरनेट पर एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, जहाँ एक या एक से अधिक लेखक अपने निजी विचार, विश्लेषण और टिप्पणियाँ साझा करें, उन्हें लगातार अपडेट करें और जहाँ पाठकों को भी लेखक/लेखकों की पोस्ट पर अपने विचार प्रकट करने की सुविधा हासिल हो, ब्लॉग कहा जा सकता है।
हिंदी में ब्लॉगिंग
वर्ष 1999 में अंग्रेजी ब्लॉगिंग की शुरूआत होने के बावजूद हिंदी फॉन्ट की समस्या की वजह से हिंदी में ब्लॉगिंग को प्रारम्भ होने में पूरे चार साल लगे। साथ ही लोगों के बीच तकनीकी जानकारी का अभाव भी इसके प्रसार में बाधक रहा । पहला हिन्दी ब्लॉग ‘नौ दो ग्यारह ‘ 21 अप्रैल 2003 में आलोक कुमार ने लिखा । इसके बाद रवि रतलामी ने वर्ष 2004 में ऑनलाइन पत्रिका ‘अभिव्यक्ति’ में ‘अभिव्यक्ति का नया माध्यम- ब्लॉग’ शीर्षक से लेख लिखकर किया, जिसे आगे बढ़ाया बालेंदु दाधीच ने अक्टूबर 2007 में ‘कादम्बिनी’ में प्रकाशित लेख ‘ब्लॉग बने तो बात बने’ के द्वारा। वर्तमान में हिन्दी ब्लॉगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। अब पुरूष और महिलाएँ ही नहीं, बच्चे भी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में आ चुके हैं और अपनी लोकप्रियता के झण्डे गाड़ रहे हैं। आज ब्लाग लेखन से कोई भी विषय अछूता नहीं है। राजनीति, साहित्य, कला, संगीत, खेल, फिल्म, सामाजिक मुद्दों पर ही नहीं विज्ञान और मनोविज्ञान जैसे गूढ़ विषयों पर भी न सिर्फ ब्लॉग लिखे जा रहे हैं, वरन सराहे भी जा रहे हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न सिर्फ दैनिक समाचार पत्र और मासिक पत्रिकाएँ ब्लॉगों की सामग्री को नियमित रूप से अपने अंकों में प्रकाशित कर रही हैं, वरन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी समीक्षाओं के कॉलम भी लिखे जाने लगे हैं। चूंकि ब्लॉग एक अलग तरह का माध्यम है, इसलिए इसके अपने कुछ पारिभाषिक शब्द भी हैं, जो ब्लॉग की दुनिया में खूब प्रचलित हैं। ब्लॉग लेखन के अभ्यस्त लोग ब्लॉगर के नाम से जाने जाते हैं और ब्लॉग लिखने की प्रक्रिया ‘ब्लॉगिंग’ कहलाती है। इसी प्रकार ब्लॉग में लिखे जाने वाले सभी लेख ‘पोस्ट’ के नाम से जाने जाते हैं। अपने पसंदीदा ब्लॉगों में प्रकाशित होने वाली अद्यतन सूचनाओं की जानकारी के लिए जिस तकनीक का सहारा लिया जाता है, वह आरएसएस फीड के नाम से जानी जाती है, जबकि जो वेबसाइटें अपने यहां पंजीकृत समस्त ब्लॉगों की ताजी पोस्टों की सूचना देने का कार्य करती हैं, वे ‘एग्रीगेटर’ के नाम से जानी जाती हैं। आमतौर से हिन्दी में भी ये शब्द इसी रूप में प्रचलित हैं, पर कुछ अनुवाद प्रेमियों ने ब्लॉग के लिए ‘चिट्ठा’, ब्लॉगर के लिए ‘चिट्ठाकार’ और ब्लॉगिंग के लिए ‘चिट्ठाकारिता’ जैसे शब्द भी गढ़े हैं, जो यदा-कदा ही उपयोग में लाए जाते हैं।
ब्लॉग की विशेषताएँ
ब्लॉगिंग विशेषज्ञ केनेथ बाइर्ड ने आधुनिक ब्लॉग की निम्न विशेषताएँ बताई हैं-
- ब्लॉग में नेविगेशन की कुछ सुविधाएँ विद्यमान होती है।
- ब्लॉग के ले आउट में अमूमन एक हेडर, एक फुटर और एक बॉडी (विषय वस्तु) होता है।
- पोस्ट की अलग अलग श्रेणियाँ होती हैं ।
- पाठक आर्काइव में से पुराने पोस्ट पढ़ सकते हैं।
- एक पोस्ट में तस्वीरें, दूसरी वेबसाइट के लिंक, वीडियो और दूसरे मीडिया के हिस्से शामिल रह सकते हैं ।
- पाठकों की टिप्पणियों या प्रतिक्रियाओं के लिए स्पेस होता है।
ब्लॉग की इन मानक विशेषताओं के अलावा आधुनिक ब्लॉगिंग में कई अन्य तकनीकी आयाम भी जुड़ने लगे है। जहाँ कई ब्लॉगर प्लगिन्स डाउनलोड कर अपने पोस्ट स्वतः ट्विटर और फेसबुक पर भी स्थानांतरित कर देते हैं, वहीं कई तस्वीरों की गैलरी और दूसरे फीचर प्रदर्शित करते हैं।
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