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अधिनायक : रघुवीर सहाय Adhinayak Kavita

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रघुवीर सहाय द्वारा रचित अधिनायक कविता (Adhinayak Kavita) भारतीय लोकतंत्र व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है। यह कविता ऐसी व्यवस्था पर व्यंग्य करती है जो सत्ता के रोब-दाब और ठाट-बाट से लोगों पर शासन करने की मंशा रखती है। कविता का पाठ नीचे दिया गया है :-

अधिनायक कविता (Adhinayak Kavita)

राष्ट्रगीत में भला कौन वह
भारत-भाग्य-विधाता है
फटा सुथन्ना पहने जिसका
गुन हरचरना गाता है

मखमल टमटम बल्लम तुरही
पगड़ी छत्र चॅवर के साथ
तोप छुड़ा कर ढोल बजा कर
जय-जय कौन कराता है

पूरब-पश्चिम से आते हैं
नंगे-बूचे नरकंकाल
सिंहासन पर बैठा
उनके
तमगे कौन लगाता है
कौन कौन है वह जन-गण-मन
अधिनायक वह महाबली
डरा हुआ मन बेमन जिसका
बाजा रोज बजाता है

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